अलवर. कोरोना की पहली और दूसरी लहर में संक्रमित मरीजों का इलाज सरकारी अस्पताल में हुआ. ऐसे में काेराेना संक्रमण के डर की वजह से लोग अस्पतालाें में नहीं पहुंचे. इसलिए अलवर में 16 महीने की अवधि में 12.29 लाख रुपए की दवाएं एक्सपायर हाे गई. इनमें अधिकांश दवाइयां कैंसर, किडनी सहित अन्य गंभीर राेग की दवा हैं. स्वास्थ्य विभाग इस पूरे मामले को दबाने में लगा हुआ है.
अलवर में स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ाें पर नजर डाले तो साल 2019-20 के वित्तीय साल में 6 लाख 52 हजार 190 रुपए की दवाएं एक्सपायर हुई. जबकि साल 2020-21 में अब तक 5 लाख 77 हजार 691 रुपए की दवाएं एक्सपायर हाे चुकी हैं. काेराेना की दूसरी लहर में ताे जिला अस्पताल से लेकर सीएचसी-पीएचसी स्तर पर सभी जगह काेराेना मरीजाें का इलाज किया गया. ऐसे में शुगर, बीपी, किडनी और हार्ट अन्य बीमारियों के मरीज सरकारी अस्पताल से दूर रहे.
मुख्यमंत्री निशुल्क दवा याेजना (Mukhyamantri Nishulk Dawa Yojana) में अलवर के औषधि भंडार को साल 2019-20 में 30 कराेड़ 40 लाख 35 हजार 551 रुपए की दवाएं दी गई. जबकि साल 2020-21 में 29 कराेड़ 11 लाख 25 हजार 912 रुपए की दवाएं प्राप्त हाे चुकी हैं.
इसी तरह के हालात अन्य जिलों में भी
इस तरह से साल 2019-20 में अलवर जिला अस्पताल, सेटेलाइट अस्पताल और सीएचसी-पीएचसी के माध्यम से मरीजाें काे 25 कराेड़ 26 लाख 31 हजार 602 रुपए की दवाएं वितरित की गई. जबकि साल 2020-21 में 25 कराेड़ 37 लाख 40 हजार 174 रुपए की दवाएं वितरित की गई. दवाई खराब होने से सरकार को खासा नुकसान हुआ. इसी तरह के हालात प्रदेश के अन्य जिलों में है.
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दरसअल बीपी, शुगर, किडनी और लीवर जैसी बीमारियाें के राेगियाें काे काफी परेशानी हुई. उन्हाेंने संक्रमण के डर से अस्पतालाें से दूरी बनाए रखी. ऐसे मरीजाें ने सरकारी अस्पतालाें से ई-संजीवनी ऑनलाइन परामर्श लेना भी बंद कर दिया. जाे दवाएं खराब हुई हैं, वो कुल दवाओं के वार्षिक बजट की 0.2 प्रतिशत हैं. जबकि मुख्यमंत्री निशुल्क दवा याेजना में वार्षिक बजट के 0.5 प्रतिशत छीजत मानी गई है. हालांकि, स्वास्थ्य विभाग इस पूरे मामले को दबाने में लगा हुआ है लेकिन इस पूरे मामले में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी और अधिकारियों की लापरवाही का मामला सामने आया है.
कोरोना की दवाई भी हो रही खराब
कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज करने के लिए रेमडेसीविर इंजेक्शन, टोमुसिजुलैव इंजेक्शन और अन्य जरूरी दवाएं स्वास्थ्य विभाग की तरफ से संक्रमित मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए स्टॉक की गई. बड़ी संख्या में दवाएं निजी तौर पर भी खरीदी गई. अब कोरोना का संक्रमण कम हो चुका है. इंजेक्शन सहित अन्य जरूरी महंगी दवाइयां खराब हो रही हैं. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय में दी गई है.