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गीतानंद शिशु अस्पताल के एफबीएनसी वार्ड में आग लगने की घटना में दो एजेंसी हुई आमने-सामने, अब एक-दूसरे की बात रहे गलती

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Published : Jan 7, 2020, 3:53 AM IST

अलवर में गत दिनों गीतानंद शिशु अस्पताल के एफबीएनसी वार्ड में आग लग गई. रेडियंट वार्मर पर लेटी एक बच्ची झुलस गई थी. जिसने बाद में उपचार के दौरान दम तोड़ दिया था. इस मामले में अब रेडिएंट वार्मर की मरम्मत का काम देख रही कंपनी और अस्पताल-एनएचएम के कार्मिक आमने-सामने हो गए है और एक-दूसरे की गलती बता रहे हैं.

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गीतानंद शिशु अस्पताल के एफबीएनसी वार्ड में आग लगने की घटना में दो एजेंसी हुई आमने-सामने

अलवर. गीतानंद शिशु अस्पताल के एफबीएनसी वार्ड में गत दिनों आग लगने की घटना सामने आई थी. उस दौरान रेडियंट वार्मर पर लेटी बच्ची झुलस गई थी. जिसने बाद में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था. इस घटना में 2 एजेंसियां आमने-सामने आ गई हैं व एक-दूसरे पर आरोप थोपने में लगे हुए हैं.

गीतानंद शिशु अस्पताल के एफबीएनसी वार्ड में आग लगने की घटना में दो एजेंसी हुई आमने-सामने

गत दिनों गीतानंद शिशु अस्पताल के एफबीएनसी वार्ड के एक रेडिएंट वार्मर में अचानक आग लग गई थी. जिसके बाद यह पूरा हादसा हुआ था. रेडिएंट वार्मर की मरम्मत का काम केटीपीएल नाम की कंपनी को दिया हुआ है. इस घटना के तुरंत बाद स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी जांच के लिए वार्ड में पहुंचे थे. इस दौरान रेडिएंट वार्मर में शार्ट सर्किट होने का पता चला था.

यह भी पढ़ें : नवजातों पर कहर कब तक: अलवर में प्रतिदिन एक बच्चे की मौत, ये है आंकड़े

वहीं केटीपीएल के इंजीनियरों ने कहा कि अधिक बिजली सप्लाई होने के कारण रेडिएटर वार्मर में शॉर्ट सर्किट हुआ है. इसी दौरान एनएचएम के तकनीकी कर्मचारी व अधिकारी मामले की जांच के लिए अस्पताल पहुंचे. उनका कहना रहा कि रेडियंट वार्मर पुराने हो चुके हैं. इनकी अवधि समाप्त हो चुकी है. इसलिए रेडियंट वार्मर में शॉर्ट सर्किट हुआ है.

यह भी पढ़ें : गीतानंद शिशु अस्पतालः 6 निलंबित कर्मचारियों की बहाली न होने पर नर्सिंग एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष ने दी आत्मदाह की चेतावनी

उसी दौरान जांच पड़ताल में पता चला कि ज्यादातर रेडिएंट फार्मर 11 से 12 साल पुराने हैं. जबकि रेडिएंट वार्मर 7 से 8 साल बाद पूरी तरीके से खराब हो जाता है. उसके बाद उसमें किसी तरह की भी कोई भी परेशानी हो सकती है. वहीं अब केटीपीएल कंपनी इस मामले में स्वास्थ्य विभाग व अस्पताल प्रशासन की गलती बता रही है तो स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी पूरा मामला केटीपीएल पर थोपने में लगे हुए हैं. इन सबके बीच आम लोगों में बच्चों के उपचार लेकर खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

अलवर. गीतानंद शिशु अस्पताल के एफबीएनसी वार्ड में गत दिनों आग लगने की घटना सामने आई थी. उस दौरान रेडियंट वार्मर पर लेटी बच्ची झुलस गई थी. जिसने बाद में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था. इस घटना में 2 एजेंसियां आमने-सामने आ गई हैं व एक-दूसरे पर आरोप थोपने में लगे हुए हैं.

गीतानंद शिशु अस्पताल के एफबीएनसी वार्ड में आग लगने की घटना में दो एजेंसी हुई आमने-सामने

गत दिनों गीतानंद शिशु अस्पताल के एफबीएनसी वार्ड के एक रेडिएंट वार्मर में अचानक आग लग गई थी. जिसके बाद यह पूरा हादसा हुआ था. रेडिएंट वार्मर की मरम्मत का काम केटीपीएल नाम की कंपनी को दिया हुआ है. इस घटना के तुरंत बाद स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी जांच के लिए वार्ड में पहुंचे थे. इस दौरान रेडिएंट वार्मर में शार्ट सर्किट होने का पता चला था.

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वहीं केटीपीएल के इंजीनियरों ने कहा कि अधिक बिजली सप्लाई होने के कारण रेडिएटर वार्मर में शॉर्ट सर्किट हुआ है. इसी दौरान एनएचएम के तकनीकी कर्मचारी व अधिकारी मामले की जांच के लिए अस्पताल पहुंचे. उनका कहना रहा कि रेडियंट वार्मर पुराने हो चुके हैं. इनकी अवधि समाप्त हो चुकी है. इसलिए रेडियंट वार्मर में शॉर्ट सर्किट हुआ है.

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उसी दौरान जांच पड़ताल में पता चला कि ज्यादातर रेडिएंट फार्मर 11 से 12 साल पुराने हैं. जबकि रेडिएंट वार्मर 7 से 8 साल बाद पूरी तरीके से खराब हो जाता है. उसके बाद उसमें किसी तरह की भी कोई भी परेशानी हो सकती है. वहीं अब केटीपीएल कंपनी इस मामले में स्वास्थ्य विभाग व अस्पताल प्रशासन की गलती बता रही है तो स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी पूरा मामला केटीपीएल पर थोपने में लगे हुए हैं. इन सबके बीच आम लोगों में बच्चों के उपचार लेकर खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

Intro:अलवर
अलवर के गीतानंद शिशु अस्पताल के एफबीएनसी वार्ड में आग लगने की घटना सामने आई थी। उस दौरान रेडियंट वार्मर पर लेटी बच्ची झुलस गई थी। इलाज के दौरान उस बच्चे ने दम तोड़ दिया। इस घटना में 2 विभाग आमने-सामने आ गए हैं व एक दूसरे पर आरोप थोपने में लगे हुए हैं।


Body:एबीसी वार्ड के एक रेडिएंट वार्मर में अचानक आग लगी थी। जिसके बाद यह पूरा हादसा हुआ। रेडिएंट वार्मर की मरम्मत का काम केटीपीएल नाम की कंपनी को दिया हुआ है। घटना के तुरंत बाद स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी जांच के लिए एमपीएससी वार्ड में पहुंचे। इस दौरान रेडिएंट वार्मर में शार्ट सर्किट होने का पता चला था। केटीपीएल के इंजीनियरों ने कहा कि अधिक विद्युत सप्लाई होने के कारण रेडिएटर वार्मर में शॉर्ट सर्किट हुआ। इसी दौरान एनएचएम के तकनीकी कर्मचारी व अधिकारी मामले की जांच के लिए अस्पताल में पहुंचे। उन्होंने कहा रेडियंट वार्मर पुराने हो चुके हैं। इनकी अवधि समाप्त हो चुकी है। इसलिए रेडियंट वार्मर में शॉर्ट सर्किट हुआ है।


Conclusion:उसी दौरान जांच पड़ताल में पता चला की अनवर में ज्यादातर रेडिएंट फार्मर 11 से 12 साल पुराने हैं। जबकि रेडिएंट वार्मर 7 से 8 साल बाद पूरी तरीके से खराब हो जाता है। उसके बाद उसमें किसी भी तरह की कोई भी परेशानी हो सकती है। इसलिए वार्मर में यह घटना हुई है। ऐसे में केटीपीएल कंपनी स्वास्थ्य विभाग व अस्पताल प्रशासन की गलती बता रही है। जबकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी पूरा मामला केटीपीएल पर थोपने में लगे हुए हैं। इन सबके बीच आम लोगों में मरीजों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
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