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अलवर के सरिस्का में अब शाम की पारी में भी सफारी का आनंद ले सकेंगे पर्यटक

अलवर सरिस्का में अब पर्यटक शाम के समय भी सफारी का आनंद ले सकेंगे. शाम की पारी में पर्यटकों के भ्रमण के लिए अब दोपहर 3 बजकर 30 मिनट से शाम 7 बजे तक का समय रखा गया है. पहले यह समय दोपहर 1 बजकर 15 मिनट से 3 बजकर 45 मिनट तक था.

safari in sariska,  sariska sanctuary
अलवर के सरिस्का में अब शाम की पारी में भी सफारी का आनंद ले सकेंगे पर्यटक
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Published : Jun 28, 2021, 6:05 PM IST

अलवर. कोरोना के चलते लंबे समय से अपने घरों में बंद लोगों के लिए राहत भरी खबर है. सरकार की तरफ से बीते दिनों सरिस्का को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया था. लेकिन पर्यटकों को केवल सुबह के समय सफारी मिलती थी. गर्मी में पर्यटक घूमने से बच रहे थे. कोरोना के कम होते संक्रमण को देखते हुए सरकार की तरफ से कुछ बदलाव किए गए हैं. पर्यटक अब शाम के समय भी सिरस्का में सफारी का आनंद ले सकेंगे. साथ ही सरिस्का में प्रतिदिन पर्यटकों को बाघ की साइटिंग हो रही है. ऐसे में यहां आने वाले पर्यटक खासे रोमांचित हैं.

पढ़ें: रणथम्भौर नेशनल पार्क में पर्यटन गतिविधियां शुरू, पर्यटकों के आने से लौटी रौनक

राजस्थान सरकार की नई गाइडलाइन आने के बाद सरिस्का बाघ परियोजना में पर्यटकों के भ्रमण के लिए शाम की पारी में समय का बदलाव किया है. शाम की पारी में पर्यटकों के भ्रमण के लिए अब दोपहर 3 बजकर 30 मिनट से शाम 7 बजे तक का समय रखा गया है. पहले यह समय दोपहर 1 बजकर 15 मिनट से 3 बजकर 45 मिनट तक था. सुबह की पारी पहले की तरह 6 बजकर 30 मिनट से 9 बजकर 30 मिनट तक रहेगी. बीते कुछ समय से लगातार सरिस्का में पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है. कई फिल्मी सितारे भी यहां घूमने के लिए आ रहे हैं. सरिस्का एक बार फिर से अपने पुराने रंग में नजर आने लगा है. यहां बाघों का कुनबा भी बढ़ रहा है. सरिस्का में इस समय 23 बाघ, बाघिन व शावक हैं.

सरिस्का में सफारी

सरिस्का के एसीएफ संदीप कुमार ने बताया कि सरिस्का में बड़ी संख्या में पर्यटक सफारी का आनंद लेने के लिए पहुंच रहे हैं. सरकार की नई गाइडलाइन के अनुसार अब शाम के समय भी पर्यटक सफारी का देर तक आनंद ले सकेंगे. सरिस्का में प्रतिदिन यहां आने वाले पर्यटकों को बाघों की साइटिंग हो रही है. ऐसे में पर्यटक भी खासे रोमांचित हैं.

बारिश का दिख रहा असर

बीते दिनों चक्रवाती तूफान व विक्षोभ के चलते हुई तेज बारिश का असर अब सरिस्का में नजर आने लगा है. बारिश के बाद सरिस्का हरा-भरा हो गया है. वन्यजीवों के लिए पानी भी पर्याप्त मौजूद है. वैसे आमतौर पर हर साल इस समय सरिस्का में पानी की किल्लत होती है. वन्यजीव पानी की तलाश में आबादी क्षेत्रों में आते हैं. लेकिन इस समय घने जंगल में पानी मौजूद है. इसलिए वन्यजीवों की मूवमेंट भी लगातार बढ़ रही है.

अलवर. कोरोना के चलते लंबे समय से अपने घरों में बंद लोगों के लिए राहत भरी खबर है. सरकार की तरफ से बीते दिनों सरिस्का को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया था. लेकिन पर्यटकों को केवल सुबह के समय सफारी मिलती थी. गर्मी में पर्यटक घूमने से बच रहे थे. कोरोना के कम होते संक्रमण को देखते हुए सरकार की तरफ से कुछ बदलाव किए गए हैं. पर्यटक अब शाम के समय भी सिरस्का में सफारी का आनंद ले सकेंगे. साथ ही सरिस्का में प्रतिदिन पर्यटकों को बाघ की साइटिंग हो रही है. ऐसे में यहां आने वाले पर्यटक खासे रोमांचित हैं.

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राजस्थान सरकार की नई गाइडलाइन आने के बाद सरिस्का बाघ परियोजना में पर्यटकों के भ्रमण के लिए शाम की पारी में समय का बदलाव किया है. शाम की पारी में पर्यटकों के भ्रमण के लिए अब दोपहर 3 बजकर 30 मिनट से शाम 7 बजे तक का समय रखा गया है. पहले यह समय दोपहर 1 बजकर 15 मिनट से 3 बजकर 45 मिनट तक था. सुबह की पारी पहले की तरह 6 बजकर 30 मिनट से 9 बजकर 30 मिनट तक रहेगी. बीते कुछ समय से लगातार सरिस्का में पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है. कई फिल्मी सितारे भी यहां घूमने के लिए आ रहे हैं. सरिस्का एक बार फिर से अपने पुराने रंग में नजर आने लगा है. यहां बाघों का कुनबा भी बढ़ रहा है. सरिस्का में इस समय 23 बाघ, बाघिन व शावक हैं.

सरिस्का में सफारी

सरिस्का के एसीएफ संदीप कुमार ने बताया कि सरिस्का में बड़ी संख्या में पर्यटक सफारी का आनंद लेने के लिए पहुंच रहे हैं. सरकार की नई गाइडलाइन के अनुसार अब शाम के समय भी पर्यटक सफारी का देर तक आनंद ले सकेंगे. सरिस्का में प्रतिदिन यहां आने वाले पर्यटकों को बाघों की साइटिंग हो रही है. ऐसे में पर्यटक भी खासे रोमांचित हैं.

बारिश का दिख रहा असर

बीते दिनों चक्रवाती तूफान व विक्षोभ के चलते हुई तेज बारिश का असर अब सरिस्का में नजर आने लगा है. बारिश के बाद सरिस्का हरा-भरा हो गया है. वन्यजीवों के लिए पानी भी पर्याप्त मौजूद है. वैसे आमतौर पर हर साल इस समय सरिस्का में पानी की किल्लत होती है. वन्यजीव पानी की तलाश में आबादी क्षेत्रों में आते हैं. लेकिन इस समय घने जंगल में पानी मौजूद है. इसलिए वन्यजीवों की मूवमेंट भी लगातार बढ़ रही है.

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