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मिसाल : एक ही जगह मंदिर और मजार, नहीं है कोई 'दीवार'

अलवर के मोती डूंगरी में हनुमान मंदिर और मजार एक साथ स्थित है. साल भर यहां मेले भरते हैं और लोग सवामणी करते हैं. मंदिर और मजार एक ही स्थान पर होने की वजह से यह लोगों के लिए आकर्षण का भी केंद्र बना रहता है.

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एक ही स्थान पर स्थित मंदिर और मजार
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Published : Aug 23, 2020, 5:41 PM IST

अलवर. जिले को पर्यटन के साथ-साथ देव भूमि के रूप में भी जाना जाता है. अलवर में पांडुपोल हनुमान मंदिर, नीलकंठ महादेव मंदिर नारायणी माता, करणी माता और भर्तहरि धाम सहित कई बड़े स्थल है. अलवर के मोती डूंगरी स्थित मंदिर अपने आप में आस्था की एक अलग मिसाल कायम करता है.

एक ही स्थान पर स्थित मंदिर और मजार

इस मंदिर में एक ही जगह पर हनुमान जी का मंदिर और मजार है. हैरानी की बात तो यह है कि इस मंदिर और मस्जिद के बीच कोई दीवार भी नहीं है. साल भर यहां मेले भरते हैं और लोग सवामणी करते हैं. जिनमें लाखों लोग आते हैं और भगवान के दर्शन करते हैं. मंदिर में आने वाले लोगों ने कहा कि वो सालों से यहां आ रहे हैं. मंदिर में आने वाले लोग मजार में भी सिर नवाते हैं. मजार में आने वाले लोग मंदिर में मत्था टेकते हैं और दिया जलते हैं.

पढ़ेंः सोशल मीडिया पर हथियार के साथ फोटो अपलोड करने वाले युवक को पुलिस ने दबोचा

यहां गंगा जमुनी तहजीब का अनूठा उदाहरण देखने को मिलता है. मंदिर और मजार में पूजा करने वाले और यहां की देखभाल करने वाले पुजारी बाबा नवल नाथ ने कहा कि वह 35 साल से ज्यादा उम्र से लगातार यहां सेवा कर रहे हैं. जब वो यहां आए थे तो उस समय हालात बिलकुल अलग थे. जल्दी से कोई व्यक्ति यहां नहीं आता था. चारों तरफ बड़े-बड़े पेड़ और जंगल जैसे हालात थे. उसके बाद देखते ही देखते हालात बदले तो वहीं आज यह जगह अलवर की सबसे खूबसूरत जगह बन चुकी है.

पढ़ेंः गहलोत सरकार पर बरसे नड्डा, भाजपा नेताओं को कहा- तैयार रहो...

अलवर यूआईटी की तरफ से यहां कई पार्क बनाए गए है. इसके अलावा डेवलपमेंट का काम लगातार चल रहा है. यूआईटी की तरफ से यहां फूड कोर्ट और रोपवे बनाने की योजना है. दरअसल, मोती डूंगरी स्थान शहर के बीचों-बीच है. यह पहाड़ी पर स्थित है, इसलिए इस जगह का अलग महत्व है. अलवर का यह स्थान अपने आप में एक अनोखी मिसाल कायम करता है. इस जगह पर अलवर के अलावा आसपास के शहर और राज्य से लोग आते हैं. यहां आने वाले प्रत्येक व्यक्ति की मुराद पूरी होती है.

अलवर. जिले को पर्यटन के साथ-साथ देव भूमि के रूप में भी जाना जाता है. अलवर में पांडुपोल हनुमान मंदिर, नीलकंठ महादेव मंदिर नारायणी माता, करणी माता और भर्तहरि धाम सहित कई बड़े स्थल है. अलवर के मोती डूंगरी स्थित मंदिर अपने आप में आस्था की एक अलग मिसाल कायम करता है.

एक ही स्थान पर स्थित मंदिर और मजार

इस मंदिर में एक ही जगह पर हनुमान जी का मंदिर और मजार है. हैरानी की बात तो यह है कि इस मंदिर और मस्जिद के बीच कोई दीवार भी नहीं है. साल भर यहां मेले भरते हैं और लोग सवामणी करते हैं. जिनमें लाखों लोग आते हैं और भगवान के दर्शन करते हैं. मंदिर में आने वाले लोगों ने कहा कि वो सालों से यहां आ रहे हैं. मंदिर में आने वाले लोग मजार में भी सिर नवाते हैं. मजार में आने वाले लोग मंदिर में मत्था टेकते हैं और दिया जलते हैं.

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यहां गंगा जमुनी तहजीब का अनूठा उदाहरण देखने को मिलता है. मंदिर और मजार में पूजा करने वाले और यहां की देखभाल करने वाले पुजारी बाबा नवल नाथ ने कहा कि वह 35 साल से ज्यादा उम्र से लगातार यहां सेवा कर रहे हैं. जब वो यहां आए थे तो उस समय हालात बिलकुल अलग थे. जल्दी से कोई व्यक्ति यहां नहीं आता था. चारों तरफ बड़े-बड़े पेड़ और जंगल जैसे हालात थे. उसके बाद देखते ही देखते हालात बदले तो वहीं आज यह जगह अलवर की सबसे खूबसूरत जगह बन चुकी है.

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अलवर यूआईटी की तरफ से यहां कई पार्क बनाए गए है. इसके अलावा डेवलपमेंट का काम लगातार चल रहा है. यूआईटी की तरफ से यहां फूड कोर्ट और रोपवे बनाने की योजना है. दरअसल, मोती डूंगरी स्थान शहर के बीचों-बीच है. यह पहाड़ी पर स्थित है, इसलिए इस जगह का अलग महत्व है. अलवर का यह स्थान अपने आप में एक अनोखी मिसाल कायम करता है. इस जगह पर अलवर के अलावा आसपास के शहर और राज्य से लोग आते हैं. यहां आने वाले प्रत्येक व्यक्ति की मुराद पूरी होती है.

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