ETV Bharat / city

SPECIAL : बहरोड़ में शिक्षक की पहल...मृत्युभोज रुकवाया, लोगों के सहयोग से स्कूल में हुए 1 करोड़ के विकास कार्य

author img

By

Published : Apr 14, 2021, 6:43 PM IST

शिक्षक का काम केवल स्कूल में पढ़ाना नहीं होता. सही मायनों में वह समाज की दिशा भी बदल सकता है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है अलवर जिले में बहरोड़ कस्बे के गांव पहाड़ी के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रिंसिपल मुकेश कुमार यादव ने.

Development of school by stopping Mortuary
बहरोड़ में शिक्षक की पहल

बहरोड़ (अलवर). गांव पहाड़ी के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रिंसिपल मुकेश कुमार यादव ने मिसाल कायम की है. गांव में अपनी पोस्टिंग के दौरान उन्होंने मृत्यु भोज (काज) प्रथा बंद करा इसमें खर्च होने वाले पैसे को बच्चों की पढ़ाई के काम में लगवा दिया. रकम में भी कोई छोटी नहीं. उन्होंने करीब 1 करोड़ रुपए के विकास कार्य करा राजकीय स्कूल को निजी स्कूलों से कई गुना बेहतर स्थिति में ला खड़ा किया है. रिपोर्ट देखिये...

एक शिक्षक की सोच ने बदली स्कूल की तस्वीर

खास बात ये है कि स्कूल के विकास के लिए मुकेश कुमार ने अपने वेतन से भी करीब 3.25 लाख रुपए खर्च किए. यह सब करने में कुछ कठिनाईयों का सामना करना पड़ा, लेकिन अपने संकल्प के बूते यह उन्होंने कर दिखाया. बहरोड उपखंड के पहाड़ी गांव के सरकारी स्कूल में रंग-बिरंगी दीवारों पर बनी चित्रकला, बाला पेंटिंग, ग्रीन पार्क, झूले, बास्केटबॉल कोर्ट से लेकर तमाम सुविधाएं जुटाई गई हैं. बच्चों में देश और सैनिकों के प्रति सम्मान हो, इसके लिए स्कूल परिसर शहीद धर्मपाल गुर्जर की प्रतिमा स्थापना भी की गई.

Development of school by stopping Mortuary
स्कूल पर लगभग 1 करोड़ खर्च करा चुके हैं मुकेश

मुकेश कुमार ने बताया कि यह कोशिश उन्होंने स्टाफ और अपने वेतन से राशि बचाकर शुरू की. स्टाफ ने करीब सवा लाख रुपए मिलाकर विकास कार्य कराए. इससे ग्रामीणों को प्रेरणा मिली और गांव पहाड़ी, शुक्ल की ढाणी के साथ-साथ सीएसआर योजना में करीब 70 लाख रुपए जुटा लिए गए. गांव में प्रदेश सरकार के ऐलान से 3 साल पहले ही मृत्युभोज करने पर रोक लगाने का अभियान शुरू कर दिया गया था. जिसके बाद गांवों के परिवारों ने परिजनों के मृत्युभोज (काज) में खर्च होने वाली राशि स्कूल को देना शुरू की.

Development of school by stopping Mortuary
सरकारी स्कूल में निजी स्कूलों जैसी सुविधाएं

पढ़ें- गर्मी में गहराया जल संकट, भामाशाहों के रहमोकरम पर स्कूल...बच्चे घर से लाते हैं पानी

स्कूल के कमरा एवं बरामदा और कई सार्वजनिक काम करवाए. इन प्रयासों ने स्कूल और गांव में वो रिश्ता बना दिया कि अक्टूबर 2019 में जब मुकेश कुमार का तबादला हुआ तो ग्रामीण-बच्चे रो पड़े थे. ग्रामीणों ने शुरुआत स्कूल परिसर को उठाने में करीब 5 लाख रुपए से मिट्टी भराई करके की. गांव में मृत्युभोज का प्रचलन अधिक था. जिसे गांव की भाषा में काज कहते थे. मुकेश ने बताया कि पिता की बातें और काम याद था तो उन्होंने ग्रामीणों से समझाइश की. काज प्रथा पर रोक लगाने की अपील की.

Development of school by stopping Mortuary
शिक्षक मुकेश कुमार ने समाज को दी सीख

शुरुआत में किसी ने बात नहीं मानी, लेकिन धीरे-धीरे लोग समझने लगे. तत्कालीन सरपंच सुमन देवी के ससुर लालाराम पहलवान ने पहल की और भाईयों के साथ मिलकर मां की यादगार में कमरा-बरामदा बनवाया. इसके बाद लोग खुद ही स्कूल में काम कराने लगे और खर्च राशि 1 करोड़ तक पहुंच चुकी है. विद्यालय की दशा एवं दिशा बदलने में एचपीसीएल एवं संतोष देवी चेरिटेबल ट्रस्ट जखराना अहम सहयोग दिया. स्कूल की टॉपर छात्रा निशा गुर्जर ने 94 फीसदी अंक हासिल किए तो भामाशाह बिक्रम पहलवान ने स्कूटी भेंट की.

Development of school by stopping Mortuary
मृत्युभोज का खर्च अब स्कूल के हवाले

एचपीसीएल रेवाड़ी ने करीब 25 लाख की लागत से फर्नीचर, आरओ एवं वाटर कूलर, 10 कम्प्युटर सिस्टम, टाॅयलेट निर्माण, सौदर्यीकरण करवाया. ट्रस्ट ने स्कूल के पास बस स्टैंड पर टीनशेड़, अध्यापन सामग्री, मेघावी विद्यार्थियों को टेबलेट दिए. भामाशाह रामानंद रावत ने 1 लाख रुपए से भाेजनालय स्थल पर टीनशेड लगवाई, सरपंच जगदीश रावत ने सभास्थल बनवाया.

Development of school by stopping Mortuary
आदर्श स्कूल बना सरकारी विद्यालय

पढ़ें- खेल-खेल में डिजिटल फंक्शन से चलाना सीखें वाहन, देखें कैसे काम करता है सिम्युलेटर

प्रिंसिपल मुकेश और स्कूल स्टाफ के प्रयास इतने कामयाब हुए हैं कि लोग अब परिजनों के जीते-जी भी स्कूल में उनके नाम से काम करा रहे हैं. ग्रामीण लालाराम पहलवान और उसके भाईयों ने सबसे पहले मां दड़कली देवी, सेठ मुरारीलाल ने पिता गौरीसहाय गुप्ता, ब्रह्मानंद जांगिड़ ने भाईयों के साथ मिलकर पिता राधेश्याम जांगिड़, शुक्लों की ढाणी के रतीराम शुक्ल ने भाईयों के सहयेाग से पिता बीरबल शुक्ल की यादगार में कमरा-बरामदे बनवाए.

Development of school by stopping Mortuary
बहरोड़ में पहाड़ी स्कूल

इन सभी ने मृत्युभोज का पैसा बचाकर स्कूल में लगाया. गांव पहाड़ी निवासी बनवारीलाल गुर्जर, रामुकमार, दलीप एवं मुकेश गुर्जर ने अपने पिता माडाराम गुर्जर के लिए जीवंत रहते कमरा-बरामदा बनवा दिया। साथ ही कहा कि मृत्युभोज नहीं करेंगे. बदले माहौल का असर स्कूल पर ये पड़ा कि स्कूल में 1 जुलाई 2016 में छात्र-छात्राओं की संख्या 123 थी. यह सत्र 2017-18 में 175 इसके अगले साल 260 और फिर 2020 में 368 पहुंच गई. इस साल 415 बच्चों के नामांकन हुए हैं.

परीक्षा परिणाम भी शत-प्रतिशत रहा. अब विद्यालय में विज्ञान संकाय खोलने की आवश्यकता है. इसके लिए शिक्षा विभाग एवं विधायक को मांग पत्र दिया हुआ है. ग्रामीणों को उम्मीद है कि शिक्षा के विकास को प्राथमिकता देते रहे विधायक से उन्हें जल्द ही यह सौगात भी मिल जाएगी.

बहरोड़ (अलवर). गांव पहाड़ी के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रिंसिपल मुकेश कुमार यादव ने मिसाल कायम की है. गांव में अपनी पोस्टिंग के दौरान उन्होंने मृत्यु भोज (काज) प्रथा बंद करा इसमें खर्च होने वाले पैसे को बच्चों की पढ़ाई के काम में लगवा दिया. रकम में भी कोई छोटी नहीं. उन्होंने करीब 1 करोड़ रुपए के विकास कार्य करा राजकीय स्कूल को निजी स्कूलों से कई गुना बेहतर स्थिति में ला खड़ा किया है. रिपोर्ट देखिये...

एक शिक्षक की सोच ने बदली स्कूल की तस्वीर

खास बात ये है कि स्कूल के विकास के लिए मुकेश कुमार ने अपने वेतन से भी करीब 3.25 लाख रुपए खर्च किए. यह सब करने में कुछ कठिनाईयों का सामना करना पड़ा, लेकिन अपने संकल्प के बूते यह उन्होंने कर दिखाया. बहरोड उपखंड के पहाड़ी गांव के सरकारी स्कूल में रंग-बिरंगी दीवारों पर बनी चित्रकला, बाला पेंटिंग, ग्रीन पार्क, झूले, बास्केटबॉल कोर्ट से लेकर तमाम सुविधाएं जुटाई गई हैं. बच्चों में देश और सैनिकों के प्रति सम्मान हो, इसके लिए स्कूल परिसर शहीद धर्मपाल गुर्जर की प्रतिमा स्थापना भी की गई.

Development of school by stopping Mortuary
स्कूल पर लगभग 1 करोड़ खर्च करा चुके हैं मुकेश

मुकेश कुमार ने बताया कि यह कोशिश उन्होंने स्टाफ और अपने वेतन से राशि बचाकर शुरू की. स्टाफ ने करीब सवा लाख रुपए मिलाकर विकास कार्य कराए. इससे ग्रामीणों को प्रेरणा मिली और गांव पहाड़ी, शुक्ल की ढाणी के साथ-साथ सीएसआर योजना में करीब 70 लाख रुपए जुटा लिए गए. गांव में प्रदेश सरकार के ऐलान से 3 साल पहले ही मृत्युभोज करने पर रोक लगाने का अभियान शुरू कर दिया गया था. जिसके बाद गांवों के परिवारों ने परिजनों के मृत्युभोज (काज) में खर्च होने वाली राशि स्कूल को देना शुरू की.

Development of school by stopping Mortuary
सरकारी स्कूल में निजी स्कूलों जैसी सुविधाएं

पढ़ें- गर्मी में गहराया जल संकट, भामाशाहों के रहमोकरम पर स्कूल...बच्चे घर से लाते हैं पानी

स्कूल के कमरा एवं बरामदा और कई सार्वजनिक काम करवाए. इन प्रयासों ने स्कूल और गांव में वो रिश्ता बना दिया कि अक्टूबर 2019 में जब मुकेश कुमार का तबादला हुआ तो ग्रामीण-बच्चे रो पड़े थे. ग्रामीणों ने शुरुआत स्कूल परिसर को उठाने में करीब 5 लाख रुपए से मिट्टी भराई करके की. गांव में मृत्युभोज का प्रचलन अधिक था. जिसे गांव की भाषा में काज कहते थे. मुकेश ने बताया कि पिता की बातें और काम याद था तो उन्होंने ग्रामीणों से समझाइश की. काज प्रथा पर रोक लगाने की अपील की.

Development of school by stopping Mortuary
शिक्षक मुकेश कुमार ने समाज को दी सीख

शुरुआत में किसी ने बात नहीं मानी, लेकिन धीरे-धीरे लोग समझने लगे. तत्कालीन सरपंच सुमन देवी के ससुर लालाराम पहलवान ने पहल की और भाईयों के साथ मिलकर मां की यादगार में कमरा-बरामदा बनवाया. इसके बाद लोग खुद ही स्कूल में काम कराने लगे और खर्च राशि 1 करोड़ तक पहुंच चुकी है. विद्यालय की दशा एवं दिशा बदलने में एचपीसीएल एवं संतोष देवी चेरिटेबल ट्रस्ट जखराना अहम सहयोग दिया. स्कूल की टॉपर छात्रा निशा गुर्जर ने 94 फीसदी अंक हासिल किए तो भामाशाह बिक्रम पहलवान ने स्कूटी भेंट की.

Development of school by stopping Mortuary
मृत्युभोज का खर्च अब स्कूल के हवाले

एचपीसीएल रेवाड़ी ने करीब 25 लाख की लागत से फर्नीचर, आरओ एवं वाटर कूलर, 10 कम्प्युटर सिस्टम, टाॅयलेट निर्माण, सौदर्यीकरण करवाया. ट्रस्ट ने स्कूल के पास बस स्टैंड पर टीनशेड़, अध्यापन सामग्री, मेघावी विद्यार्थियों को टेबलेट दिए. भामाशाह रामानंद रावत ने 1 लाख रुपए से भाेजनालय स्थल पर टीनशेड लगवाई, सरपंच जगदीश रावत ने सभास्थल बनवाया.

Development of school by stopping Mortuary
आदर्श स्कूल बना सरकारी विद्यालय

पढ़ें- खेल-खेल में डिजिटल फंक्शन से चलाना सीखें वाहन, देखें कैसे काम करता है सिम्युलेटर

प्रिंसिपल मुकेश और स्कूल स्टाफ के प्रयास इतने कामयाब हुए हैं कि लोग अब परिजनों के जीते-जी भी स्कूल में उनके नाम से काम करा रहे हैं. ग्रामीण लालाराम पहलवान और उसके भाईयों ने सबसे पहले मां दड़कली देवी, सेठ मुरारीलाल ने पिता गौरीसहाय गुप्ता, ब्रह्मानंद जांगिड़ ने भाईयों के साथ मिलकर पिता राधेश्याम जांगिड़, शुक्लों की ढाणी के रतीराम शुक्ल ने भाईयों के सहयेाग से पिता बीरबल शुक्ल की यादगार में कमरा-बरामदे बनवाए.

Development of school by stopping Mortuary
बहरोड़ में पहाड़ी स्कूल

इन सभी ने मृत्युभोज का पैसा बचाकर स्कूल में लगाया. गांव पहाड़ी निवासी बनवारीलाल गुर्जर, रामुकमार, दलीप एवं मुकेश गुर्जर ने अपने पिता माडाराम गुर्जर के लिए जीवंत रहते कमरा-बरामदा बनवा दिया। साथ ही कहा कि मृत्युभोज नहीं करेंगे. बदले माहौल का असर स्कूल पर ये पड़ा कि स्कूल में 1 जुलाई 2016 में छात्र-छात्राओं की संख्या 123 थी. यह सत्र 2017-18 में 175 इसके अगले साल 260 और फिर 2020 में 368 पहुंच गई. इस साल 415 बच्चों के नामांकन हुए हैं.

परीक्षा परिणाम भी शत-प्रतिशत रहा. अब विद्यालय में विज्ञान संकाय खोलने की आवश्यकता है. इसके लिए शिक्षा विभाग एवं विधायक को मांग पत्र दिया हुआ है. ग्रामीणों को उम्मीद है कि शिक्षा के विकास को प्राथमिकता देते रहे विधायक से उन्हें जल्द ही यह सौगात भी मिल जाएगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.