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ओम प्रसाद का प्रयास बना गांव के लिए प्रेरणा...हर कोई कर रहा तारीफ

अलवर में एक बुजुर्ग ने अपने पैसे से जमीन खरीदकर स्कूल के निर्माण के लिए जमीन को दान में दे दी. जिसके बाद उस जमीन पर ट्रेन के डिब्बों के डिजाइन का बहुत ही आर्कषक स्कूल भवन का निर्माण हुआ है. आसपास के कई गांवों के बच्चे यहां पढ़ाई करने आते हैं.

अलवर का ट्रेन वाला स्कूल, Alwar's train school
ट्रेन के डिब्बों के डिजाइन का स्कूल
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Published : Sep 9, 2020, 2:56 PM IST

अलवर. आज के समय में जहां जमीन के लिए भाई-भाई के बीच विवाद होता है, बेटा पिता का हत्यारा बन जाता है. ऐसे समय में अलवर के एक छोटे से गांव में बच्चों का भविष्य बनाने के लिए एक बुजुर्ग ने अपने पैसे से जमीन खरीदी और स्कूल के लिए दान कर दी. आज उस जगह पर ट्रेन के डिब्बों के डिजाइन का बहुत ही आर्कषक स्कूल भवन बना हुआ है.

ट्रेन के डिब्बों के डिजाइन का स्कूल

आसपास के कई गांव के बच्चे यहां पढ़ाई करने आते हैं. जिले से महज 23 किलोमीटर दूर कालीखोल गांव के एक व्यक्ति ने ऐसा उदाहरण पेश किया है जिसे सुनने के बाद सभी लोग उनकी तारीफ कर रहे हैं. कालीखोल गांव में रहने वाले ओम प्रसाद नाम के एक बुजुर्ग ने कुछ साल पहले करीब तीन लाख रुपए में एक बीघा जमीन खरीदी. खुद एक झोपड़ी में रहते हैं, लेकिन गांव के बच्चों का भविष्य सुधारने के लिए उन्होंने अपनी यह जमीन गांव स्कूल को दान कर दी.

बढ़ रही है बच्चों की संख्या...

स्कूल के प्रधानाचार्य और ग्रामीणों के प्रयास से उस जगह पर शिक्षा विभाग की तरफ से 19 लाख 75 हजार रुपए का बजट स्वीकृत किया गया. ग्रामीणों ने मिलकर ट्रेन के डिब्बे के आकार में स्कूल भवन का निर्माण कराया. स्कूल भवन को देखने के लिए आसपास के गांव से बच्चे और लोग आने लगे तो धीरे-धीरे यह भवन चर्चाओं का विषय बन गया. कुछ साल पहले इस स्कूल में करीब 150 बच्चे थे. आज उनकी संख्या बढ़कर 260 हो चुकी है. आसपास के कई गांव से बच्चे पढ़ाई करने के लिए यहां आते हैं. तो वहीं, निजी स्कूलों से भी बच्चे नाम कटवा कर इस स्कूल में प्रवेश ले रहे हैं.

स्कूल को 10वीं तक कराने की मांग...

गांव के लोग स्कूल को दसवीं तक कराने के प्रयास कर रहे हैं. इस संबंध में कई बार शिक्षा विभाग के अधिकारियों से मुलाकात की गई और नेताओं के सामने यह समस्या रखी है. दसवीं तक स्कूल होने के बाद गांव के बच्चे यहीं पर पढ़ाई कर सकेंगे. गांव की बेटियों को दूसरे गांव नहीं जाना पड़ेगा. स्कूल के नए भवन में शौचालय, पीने के पानी, कमरों में पंखे सहित सभी सुविधाएं हैं.

भगवान ओम प्रसाद का यह प्रयास आज इस गांव के लिए एक प्रेरणा बन चुका है. गांव के लोग अब अन्य सामाजिक कार्य के लिए भी आगे आने लगे हैं. स्कूल भवन निर्माण के लिए बाजार से सामान खरीद कर लाने और उसकी देखरेख करने की पूरी जिम्मेदारी भी भगवान ओम प्रसाद ने निभाई. ग्रामीणों के प्रयास से आज बच्चों को खेलने के लिए ग्राउंड भी मिला है. स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों ने कहा कि उनको स्कूल काफी अच्छा लगता है. स्कूल में सभी आधुनिक सुविधाएं हैं. शिक्षकों के प्रयास की वजह से स्कूल में लगातार बच्चों की संख्या बढ़ रही है.

चर्चा का विषय बना हुआ है स्कूल...

स्कूल आसपास के क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है. दूर-दूर से लोग स्कूल को देखने के लिए आ रहे हैं. बच्चों को बेहतर शिक्षा के लिए ग्रामीणों की तरफ से कई प्रयास किए जा रहे हैं. स्कूल का रास्ता टूटा हुआ है उस रास्ते को बनवाने के लिए भी ग्रामीणों की तरफ से प्रशासन के सामने कई बार यह मुद्दा रखा जा चुका है.

अलवर. आज के समय में जहां जमीन के लिए भाई-भाई के बीच विवाद होता है, बेटा पिता का हत्यारा बन जाता है. ऐसे समय में अलवर के एक छोटे से गांव में बच्चों का भविष्य बनाने के लिए एक बुजुर्ग ने अपने पैसे से जमीन खरीदी और स्कूल के लिए दान कर दी. आज उस जगह पर ट्रेन के डिब्बों के डिजाइन का बहुत ही आर्कषक स्कूल भवन बना हुआ है.

ट्रेन के डिब्बों के डिजाइन का स्कूल

आसपास के कई गांव के बच्चे यहां पढ़ाई करने आते हैं. जिले से महज 23 किलोमीटर दूर कालीखोल गांव के एक व्यक्ति ने ऐसा उदाहरण पेश किया है जिसे सुनने के बाद सभी लोग उनकी तारीफ कर रहे हैं. कालीखोल गांव में रहने वाले ओम प्रसाद नाम के एक बुजुर्ग ने कुछ साल पहले करीब तीन लाख रुपए में एक बीघा जमीन खरीदी. खुद एक झोपड़ी में रहते हैं, लेकिन गांव के बच्चों का भविष्य सुधारने के लिए उन्होंने अपनी यह जमीन गांव स्कूल को दान कर दी.

बढ़ रही है बच्चों की संख्या...

स्कूल के प्रधानाचार्य और ग्रामीणों के प्रयास से उस जगह पर शिक्षा विभाग की तरफ से 19 लाख 75 हजार रुपए का बजट स्वीकृत किया गया. ग्रामीणों ने मिलकर ट्रेन के डिब्बे के आकार में स्कूल भवन का निर्माण कराया. स्कूल भवन को देखने के लिए आसपास के गांव से बच्चे और लोग आने लगे तो धीरे-धीरे यह भवन चर्चाओं का विषय बन गया. कुछ साल पहले इस स्कूल में करीब 150 बच्चे थे. आज उनकी संख्या बढ़कर 260 हो चुकी है. आसपास के कई गांव से बच्चे पढ़ाई करने के लिए यहां आते हैं. तो वहीं, निजी स्कूलों से भी बच्चे नाम कटवा कर इस स्कूल में प्रवेश ले रहे हैं.

स्कूल को 10वीं तक कराने की मांग...

गांव के लोग स्कूल को दसवीं तक कराने के प्रयास कर रहे हैं. इस संबंध में कई बार शिक्षा विभाग के अधिकारियों से मुलाकात की गई और नेताओं के सामने यह समस्या रखी है. दसवीं तक स्कूल होने के बाद गांव के बच्चे यहीं पर पढ़ाई कर सकेंगे. गांव की बेटियों को दूसरे गांव नहीं जाना पड़ेगा. स्कूल के नए भवन में शौचालय, पीने के पानी, कमरों में पंखे सहित सभी सुविधाएं हैं.

भगवान ओम प्रसाद का यह प्रयास आज इस गांव के लिए एक प्रेरणा बन चुका है. गांव के लोग अब अन्य सामाजिक कार्य के लिए भी आगे आने लगे हैं. स्कूल भवन निर्माण के लिए बाजार से सामान खरीद कर लाने और उसकी देखरेख करने की पूरी जिम्मेदारी भी भगवान ओम प्रसाद ने निभाई. ग्रामीणों के प्रयास से आज बच्चों को खेलने के लिए ग्राउंड भी मिला है. स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों ने कहा कि उनको स्कूल काफी अच्छा लगता है. स्कूल में सभी आधुनिक सुविधाएं हैं. शिक्षकों के प्रयास की वजह से स्कूल में लगातार बच्चों की संख्या बढ़ रही है.

चर्चा का विषय बना हुआ है स्कूल...

स्कूल आसपास के क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है. दूर-दूर से लोग स्कूल को देखने के लिए आ रहे हैं. बच्चों को बेहतर शिक्षा के लिए ग्रामीणों की तरफ से कई प्रयास किए जा रहे हैं. स्कूल का रास्ता टूटा हुआ है उस रास्ते को बनवाने के लिए भी ग्रामीणों की तरफ से प्रशासन के सामने कई बार यह मुद्दा रखा जा चुका है.

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