अलवर. प्रदेश के अलवर जिले का विवादों से गहरा नाता रहा है. मॉब लिंचिंग हो या अलवर में बढ़ता हुआ क्राइम का ग्राफ हो. हाल ही में पपला गुर्जर के साथियों की ओर से बहरोड़ थाने पर हमला कर पपला गुर्जर को भगाने का मामले ने देशभर में अलवर पुलिस को बदनाम किया. इस बार अलवर पुलिस अधीक्षक के एक आदेश ने नया विवाद खड़ा कर दिया था. दरअसल, अलवर पुलिस अधीक्षक ने 9 मुस्लिम पुलिसकर्मियों को दाढ़ी रखने की दी हुई अनुमति समाप्त कर दी थी.
बता दें कि मुस्लिम धर्म में दाढ़ी रखने का प्रावधान है. पुलिस की ड्यूटी में पुलिसकर्मियों को दाढ़ी रखने की अनुमति लेनी पड़ती है. अलवर में 32 मुस्लिम पुलिसकर्मियों ने दाढ़ी रखने की अनुमति ली हुई है. वहीं, हर साल पुलिसकर्मियों को यह अनुमति लेनी पड़ती है. जानकारी के अनुसार साल 2019 में 9 अन्य पुलिसकर्मियों ने दाढ़ी रखने की अनुमति ली थी. उस समय पुलिस विभाग की तरफ से उनको दाढ़ी रखने की अनुमति दे दी गई थी. लेकिन जिला पुलिस प्रशासन की तरफ से उनकी अनुमति समाप्त कर दी गई थी.
लेकिन, पुलिस अधीक्षक के इस आदेश से विवाद बढ़ने लगा. जिसके बाद अलवर पुलिस अधीक्षक बैकफुट पर आ गए और अपने इस आदेश को वापस ले लिए. बता दें कि पुलिस अधीक्षक ने जिस 9 मुस्लिम पुलिसकर्मियों को दाढ़ी रखने की अनुमति समाप्त की थी, उन्हें अब फिर से दाढ़ी रखने की अनुमति दे दी. साथ ही इसे लेकर आदेश भी जारी कर दिया है.
पुलिस के आला अधिकारियों की मानें तो कानून व्यवस्था बनाए रखने और लॉ एंड ऑर्डर को देखते हुए यह फैसला लिया गया था. दरअसल, कई बार सांप्रदायिक मामलों में ड्यूटी के दौरान कई तरह की परेशानियां आती है. ऐसे में सभी पुलिसकर्मी समान लगे इसलिए यह फैसला लिया. वहीं, अलवर पुलिस अधीक्षक परिस देशमुख ने कहा कि लॉ एंड ऑर्डर बनाए रखने और कानून में सभी समान नजर आए किसी की पहचान उजागर नहीं हो सके, इसलिए पुलिस की ओर से यह कदम उठाया जाता है.