अलवर. क्राइम के लिए पूरे देश में बदनाम अलवर के एक लाल ने अलग इतिहास रच दिया. अलवर के 21 साल के शुभम यादव ने एक ऐसी उपलब्धि हासिल की है. जिसके बारे में सुनने के बाद सभी लोगों की बोलती बंद हो गई है.
मध्यम परिवार के शुभम ने सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ कश्मीर से इस्लामिक स्टडी में मास्टर कोर्स के लिए अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा में टॉप क्या है. शुभम की गैर मुस्लिम और गैर कश्मीरी है. शुभम के पिता प्रदीप यादव अलवर की में परचून की दुकान चलाते हैं और उनकी मां इंदुबाला इतिहास की शिक्षिका हैं. शुभम ने दर्शनशास्त्र में स्नातक की पढ़ाई पूरी कर ली है और एलएलबी की परीक्षा परिणाम की प्रतीक्षा कर रहे हैं. इस्लामिक स्टडी का कोर्स नहीं करेंगे. उनकी पहली प्राथमिकता प्रतिष्ठित दिल्ली विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई करना है. लॉ प्रोग्राम प्रवेश के लिए परिणाम 18 नवंबर को घोषित किए जाएंगे. शुभम ने कहा कि मेरी पहली प्राथमिकता कानून का अध्ययन करना है. लेकिन में भविष्य में यूजीएससी परीक्षा की तैयारी भी करना चाहता हूं.
शुभम यादव ने कहा कि वो दुनिया भर में बढ़ते इस्लामोफोबिया और धार्मिक ध्रुवीकरण को देखने के बाद इस्लाम के बारे में उत्सुक हो गए. इसके बाद दोस्तों ने उन्हें प्रेरित किया और आज टॉप रैंक प्राप्त कर उन्होंने यह साबित कर दिया कि अगर कुछ करने की चाहत हो तो व्यक्ति कोई भी मुकाम हासिल कर सकता है. शुभम देश के पहले ऐसे युवा हैं जो गैर कश्मीरी और गैर मुस्लिम होने के बाद भी उन्होंने टॉप किया है.
उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से इस्लाम और इस्लामिक अध्ययनों में खासी रूढ़िवादिता है. इस्लामिक अध्ययन केवल मुसलमानों के अध्ययन के बारे में नहीं है. बल्कि इस्लामी कानून और संस्कृति की खोज है. उन्होंने कहा कि भविष्य में प्रशासनिक सेवा में जाना चाहता हूं. प्रशासन को हिंदुओं और मुसलमानों के बीच समझ से पूर्ण तंत्र की आवश्यकता होगी और इसके लिए प्रशासन को धर्म कि अधिक समाज वाले लोगों की आवश्यकता होगी.