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Sariska National Park : पर्यटकों का रोमांच होगा दोगुना, अक्टूबर से शुरू होगा पर्यटन सीजन...तैयारी में जुटा सरिस्का प्रशासन - Birds and animals of many species

अलवर का सरिस्का देश-विदेश में अपनी खास पहचान रखता है. यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. सरिस्का में बाघों का कुनबा बढ़ रहा है, साथ ही यहां आने वाले पर्यटकों को अब बाघों की सेटिंग होने लगी है, लेकिन बीते कुछ दिनों से बारिश के चलते पर्यटकों की संख्या में कमी आई है. अब एक अक्टूबर से पर्यटन सीजन शुरू हो रहा है. सरिस्का प्रशासन इसकी तैयारी कर रहा है. सरिस्का के सभी रूटों को एक अक्टूबर से आम लोगों के लिए खोल दिए जाएंगे.

Sariska National Park
अक्टूबर माह से शुरू होगा पर्यटन सीजन
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Published : Sep 27, 2021, 10:48 PM IST

अलवर. सरिस्का देश-विदेश में जंगल में अपनी खूबसूरती के लिए विशेष पहचान रखता है. सरिस्का में 345 तरह के पक्षी पाए जाते हैं, जबकि 40 तरह के जानवर जिनमें बाघ, चीता, हिरण, बारहसिंघा, चीतल, नीलगाय व अन्य शामिल हैं. 100 से अधिक सांप की प्रजातियां हैं.

इसके अलावा बिच्छू, खरगोश व अन्य तरह के जानवर भी यहां पाए जाते हैं. सालभर लाखों पर्यटक यहां घूमने के लिए आते हैं, लेकिन बीते 2 महीने से यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में खासी कमी आई. मानसून सीजन के दौरान एक जुलाई से 30 सितंबर तक सरिस्का टाइगर रिजर्व को बंद कर दिया जाता है.

इस दौरान सरिस्का का केवल एक रूट सफारी के लिए खुला हुआ था. बारिश में कीचड़ रहती है. ऐसे में पर्यटक ओं की संख्या खासी कम रही, लेकिन अब एक अक्टूबर से सरिस्का को आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा. सरिस्का में सफारी के तीन रूप हैं, साथ ही बफर जोन में 2 रूटों पर सफारी होती है.

पढ़ें : Schools Reopen : राजस्थान में 1 से 5 तक के स्कूल खुले, बच्चों में दिखा उत्साह...पहले दिन की पढ़ाई के साझा किए अनुभव

सरिस्का प्रशासन की मानें तो सरकार की गाइडलाइन के अनुसार पर्यटक सरिस्का में घूम सकेंगे. सरकार की तरफ से अब कई तरह की छूट दी गई है. शिरीष का प्रशासन की तरफ से सरिस्का को पर्यटकों के लिए तैयार कर दिया गया है. यहां आने वाले पर्यटकों के लिए शौचालय, बैठने की व्यवस्था और कैंटीन के पुराने इंतजाम भी सरिस्का प्रशासन की तरफ से बेहतर करने के प्रयास किए जा रहे हैं.

सरिस्का क्षेत्र में इस बार बीते सालों की तुलना में बेहतर बारिश हुई है. इसलिए सरिस्का में हरियाली ज्यादा है, साथ ही जंगल में अंदर बने हुए तालाब व जलाशयों में पानी भरा हुआ है. ऐसे में बाघ पेंशनर जानवर पानी पीने के लिए आते हैं व पर्यटकों को उनकी साइटिंग होती है. बीते कुछ समय के दौरान यहां फिल्मी सितारे व खिलाड़ियों व अन्य हस्तियों के आने का सिलसिला भी रहा. जिसके चलते सरिस्का खासा चर्चा में रहा.

पर्यटकों की संख्या पर एक नजर...

पर्यटकों की संख्या पर नजर डालें तो साल 2014-15 मई में 40 हजार 275 पर्यटकों ने सरिस्का में सफारी का आनंद लिया. उनसे सरिस्का प्रशासन को 91 लाख रुपए की आय हुई. साल 2015-16 में 52 हजार 170 पर्यटकों ने सफारी से सरिस्का देखा. इनसे 131 लाख रुपए का राजस्व सरिस्का प्रशासन को मिला. साल 2016-17 में 52 हजार 205 पर्यटक आए. साल 2017-18 में 50 हजार 265 पर्यटक आए. साल 2018-19 में 46 हजार 313 पर्यटक आए. साल 2019-20 में 44 हजार 828 पर्यटक सफारी में घूमे. साल 2020-21 में 40 हजार 583 पर्यटकों ने सफारी का आनंद लिया. इनसे सरिस्का प्रशासन को 151 लाख की आय हुई. इसके अलावा भी हजारों की संख्या में पर्यटक यहां घूमने के लिए आते हैं.

पढ़ें : World Tourism Day 2021 : बयाना के दुर्ग में द्वापरयुगीन शिवलिंग, बाणासुर की साधना से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने दिया था वरदान

पशु-पक्षी व जानवरों पर एक नजर...

सरिस्का में 23 बाघ हैं. इसमें 6 शावक, 10 बाघिन व 7 बाघ हैं. इसके अलावा 150 से ज्यादा यहां पैंथर हैं. नीलगाय, बारहसिंघा, हिरण की संख्या हजारों में है. पक्षियों की संख्या भी अन्य जगहों की तुलना में ज्यादा है. 300 से अधिक प्रजातियों के पक्षी यहां पाए जाते हैं. सर्दी के मौसम में विदेशी पक्षियों की संख्या भी ज्यादा रहती है. सरिस्का का जंगल अन्य जगह के जंगल से अलग व सुंदर है.

अलवर. सरिस्का देश-विदेश में जंगल में अपनी खूबसूरती के लिए विशेष पहचान रखता है. सरिस्का में 345 तरह के पक्षी पाए जाते हैं, जबकि 40 तरह के जानवर जिनमें बाघ, चीता, हिरण, बारहसिंघा, चीतल, नीलगाय व अन्य शामिल हैं. 100 से अधिक सांप की प्रजातियां हैं.

इसके अलावा बिच्छू, खरगोश व अन्य तरह के जानवर भी यहां पाए जाते हैं. सालभर लाखों पर्यटक यहां घूमने के लिए आते हैं, लेकिन बीते 2 महीने से यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में खासी कमी आई. मानसून सीजन के दौरान एक जुलाई से 30 सितंबर तक सरिस्का टाइगर रिजर्व को बंद कर दिया जाता है.

इस दौरान सरिस्का का केवल एक रूट सफारी के लिए खुला हुआ था. बारिश में कीचड़ रहती है. ऐसे में पर्यटक ओं की संख्या खासी कम रही, लेकिन अब एक अक्टूबर से सरिस्का को आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा. सरिस्का में सफारी के तीन रूप हैं, साथ ही बफर जोन में 2 रूटों पर सफारी होती है.

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सरिस्का प्रशासन की मानें तो सरकार की गाइडलाइन के अनुसार पर्यटक सरिस्का में घूम सकेंगे. सरकार की तरफ से अब कई तरह की छूट दी गई है. शिरीष का प्रशासन की तरफ से सरिस्का को पर्यटकों के लिए तैयार कर दिया गया है. यहां आने वाले पर्यटकों के लिए शौचालय, बैठने की व्यवस्था और कैंटीन के पुराने इंतजाम भी सरिस्का प्रशासन की तरफ से बेहतर करने के प्रयास किए जा रहे हैं.

सरिस्का क्षेत्र में इस बार बीते सालों की तुलना में बेहतर बारिश हुई है. इसलिए सरिस्का में हरियाली ज्यादा है, साथ ही जंगल में अंदर बने हुए तालाब व जलाशयों में पानी भरा हुआ है. ऐसे में बाघ पेंशनर जानवर पानी पीने के लिए आते हैं व पर्यटकों को उनकी साइटिंग होती है. बीते कुछ समय के दौरान यहां फिल्मी सितारे व खिलाड़ियों व अन्य हस्तियों के आने का सिलसिला भी रहा. जिसके चलते सरिस्का खासा चर्चा में रहा.

पर्यटकों की संख्या पर एक नजर...

पर्यटकों की संख्या पर नजर डालें तो साल 2014-15 मई में 40 हजार 275 पर्यटकों ने सरिस्का में सफारी का आनंद लिया. उनसे सरिस्का प्रशासन को 91 लाख रुपए की आय हुई. साल 2015-16 में 52 हजार 170 पर्यटकों ने सफारी से सरिस्का देखा. इनसे 131 लाख रुपए का राजस्व सरिस्का प्रशासन को मिला. साल 2016-17 में 52 हजार 205 पर्यटक आए. साल 2017-18 में 50 हजार 265 पर्यटक आए. साल 2018-19 में 46 हजार 313 पर्यटक आए. साल 2019-20 में 44 हजार 828 पर्यटक सफारी में घूमे. साल 2020-21 में 40 हजार 583 पर्यटकों ने सफारी का आनंद लिया. इनसे सरिस्का प्रशासन को 151 लाख की आय हुई. इसके अलावा भी हजारों की संख्या में पर्यटक यहां घूमने के लिए आते हैं.

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पशु-पक्षी व जानवरों पर एक नजर...

सरिस्का में 23 बाघ हैं. इसमें 6 शावक, 10 बाघिन व 7 बाघ हैं. इसके अलावा 150 से ज्यादा यहां पैंथर हैं. नीलगाय, बारहसिंघा, हिरण की संख्या हजारों में है. पक्षियों की संख्या भी अन्य जगहों की तुलना में ज्यादा है. 300 से अधिक प्रजातियों के पक्षी यहां पाए जाते हैं. सर्दी के मौसम में विदेशी पक्षियों की संख्या भी ज्यादा रहती है. सरिस्का का जंगल अन्य जगह के जंगल से अलग व सुंदर है.

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