ETV Bharat / city

संकट में सरिस्का के टाइगर : 5 बाघों के रेडियो कॉलर खराब..हो चुकी हैं फंदा लगाकर शिकार की घटनाएं

सरिस्का में बाघों का कुनबा बचाने और बाघों पर नजर रखने के लिए बाघों के रेडियो कॉलर लगाए गए थे. लेकिन ज्यादातर बाघों के रेडियो कॉलर बंद पड़े हुए हैं. केवल एक बाघ का कॉलर काम कर रहा है. दूसरी तरफ सरिस्का प्रशासन तीन नए बाघों को रेडियो कॉलर लगाने की तैयारी कर रहा है.

संकट में सरिस्का के टाइगर
संकट में सरिस्का के टाइगर
author img

By

Published : Oct 18, 2021, 8:29 PM IST

Updated : Oct 18, 2021, 9:27 PM IST

अलवर. साल 2005 में सरिस्का बाघ विहीन हो गया था. रणथंभौर व अन्य जगहों से बाघों को शिफ्ट करके सरिस्का लाया गया और बाघों को बसाया गया. सरिस्का में इस समय 23 बाघ हैं. इसमें 10 बाघिन, 7 बाघ व 6 शावक हैं.

बाघों का कुनबा बचाने के लिए सरिस्का के छह बाघों के वीएचएफ रेडियो कॉलर लगाए गए थे. बाघ एसटी-2, एसटी-3, एसटी-6, एसटी-9, एसटी-10 व एसटी-13 के रेडियो कॉलर लगा हुआ है. इनमें से केवल बाग एसटी-13 का कॉलर काम कर रहा है. जबकि अन्य 5 बाघों के कॉलर खराब हैं. सरिस्का के अधिकारियों ने कहा कि इनकी बैटरी खराब हो चुकी है. बैटरी की लाइफ 2 से 3 साल होती है. सभी बाघ सरिस्का के क्षेत्र में रम चुके हैं. वहां के जंगल क्षेत्र की उनको आदत हो चुकी है. इसलिए अब इनको कॉलर की आवश्यकता नहीं है.

संकट में हैं सरिस्का के टाइगर, 5 रेडियो कॉलर हैं बंद

दूसरी तरफ से सरिस्का प्रशासन बाघिन एसटी-12 के तीन शावकों के कॉलर लगाने की तैयारी कर रहा है. इसका प्रस्ताव बनाकर मुख्यालय व एनटीसीए वन विभाग की तरफ से भेजा गया है. हालांकि अभी तक कॉलर लगाने की अनुमति नहीं मिली है. सरिस्का प्रशासन ने कहा कि इन बाघों के जीपीएस कॉलर लगेगा या वीएचएफ इसकी जानकारी अभी तक नहीं मिली है. जीपीएस रेडियो कॉलर से भी 24 घंटे पहले की लोकेशन मिलती है. क्योंकि करंट लोकेशन वाले कॉलर की बैटरी जल्दी खराब हो जाती है.

पढ़ें- Special : सरिस्का में केवल ST-13 के दम पर बाघ कुनबे में इजाफा...

अब तक हो चुकी है 5 बाघों की मौत

सरिस्का में अब तक चार बाघ एसटी-1, एसटी-4, एसटी-11 व एसटी-16 की मौत हो चुकी है. इसके अलावा बाघिन एसटी-5 की मौत हुई है. तीन शावकों की मौत के मामले भी सामने आ चुके हैं. सरिस्का प्रशासन के तमाम दावों के बाद भी कई बाघों की मौत फंदे में लगने से हो चुकी है. जबकि शिकार का मामला भी सामने आ चुका है. ऐसे में साफ है कि बाघों की सुरक्षा पर अब भी खतरा मंडरा रहा है.

संकट में सरिस्का के टाइगर
5 बाघों के रेडियो कॉलर खराब, 3 बाघों को कॉलर लगाने की तैयारी

दो तरह के होते हैं रेडियो कॉलर

वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि 2 तरह के रेडियो कॉलर होते हैं. एक रोडियो कॉलर वीएचएफ तकनीक से काम करते हैं. जबकि दूसरे जीपीएस तकनीक पर आधारित होते हैं. सरिस्का में अभी 6 बाघों के कॉलर लगे हुए हैं. सभी के वीएचएफ तकनीक के कॉलर हैं. वन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि नए बाघों के किस तकनीक के कॉलर लगेंगे यह कहा नहीं जा सकता.

संकट में सरिस्का के टाइगर
बाघों का कुनबा बचाने की कवायद में झोल

बाघों पर मंडराता है खतरा

सरिस्का के बीचों बीच से अलवर जयपुर सड़क मार्ग गुजरता है. इसके अलावा सरिस्का के जंगल क्षेत्र में अभी गांव बसे हुए हैं. इसके चलते यहां लोगों की आवाजाही रहती है. इसलिए आए दिन सरिस्का क्षेत्र में शिकार के मामले सामने आते हैं. ऐसे में बाघों पर हमेशा खतरा मंडराता रहता है. हालांकि सरिस्का प्रशासन का दावा है कि सभी की सुरक्षा बेहतर तरह से की जा रही है. लगातार सरिस्का की टीम बाघों पर नजर रखती है.

अलवर. साल 2005 में सरिस्का बाघ विहीन हो गया था. रणथंभौर व अन्य जगहों से बाघों को शिफ्ट करके सरिस्का लाया गया और बाघों को बसाया गया. सरिस्का में इस समय 23 बाघ हैं. इसमें 10 बाघिन, 7 बाघ व 6 शावक हैं.

बाघों का कुनबा बचाने के लिए सरिस्का के छह बाघों के वीएचएफ रेडियो कॉलर लगाए गए थे. बाघ एसटी-2, एसटी-3, एसटी-6, एसटी-9, एसटी-10 व एसटी-13 के रेडियो कॉलर लगा हुआ है. इनमें से केवल बाग एसटी-13 का कॉलर काम कर रहा है. जबकि अन्य 5 बाघों के कॉलर खराब हैं. सरिस्का के अधिकारियों ने कहा कि इनकी बैटरी खराब हो चुकी है. बैटरी की लाइफ 2 से 3 साल होती है. सभी बाघ सरिस्का के क्षेत्र में रम चुके हैं. वहां के जंगल क्षेत्र की उनको आदत हो चुकी है. इसलिए अब इनको कॉलर की आवश्यकता नहीं है.

संकट में हैं सरिस्का के टाइगर, 5 रेडियो कॉलर हैं बंद

दूसरी तरफ से सरिस्का प्रशासन बाघिन एसटी-12 के तीन शावकों के कॉलर लगाने की तैयारी कर रहा है. इसका प्रस्ताव बनाकर मुख्यालय व एनटीसीए वन विभाग की तरफ से भेजा गया है. हालांकि अभी तक कॉलर लगाने की अनुमति नहीं मिली है. सरिस्का प्रशासन ने कहा कि इन बाघों के जीपीएस कॉलर लगेगा या वीएचएफ इसकी जानकारी अभी तक नहीं मिली है. जीपीएस रेडियो कॉलर से भी 24 घंटे पहले की लोकेशन मिलती है. क्योंकि करंट लोकेशन वाले कॉलर की बैटरी जल्दी खराब हो जाती है.

पढ़ें- Special : सरिस्का में केवल ST-13 के दम पर बाघ कुनबे में इजाफा...

अब तक हो चुकी है 5 बाघों की मौत

सरिस्का में अब तक चार बाघ एसटी-1, एसटी-4, एसटी-11 व एसटी-16 की मौत हो चुकी है. इसके अलावा बाघिन एसटी-5 की मौत हुई है. तीन शावकों की मौत के मामले भी सामने आ चुके हैं. सरिस्का प्रशासन के तमाम दावों के बाद भी कई बाघों की मौत फंदे में लगने से हो चुकी है. जबकि शिकार का मामला भी सामने आ चुका है. ऐसे में साफ है कि बाघों की सुरक्षा पर अब भी खतरा मंडरा रहा है.

संकट में सरिस्का के टाइगर
5 बाघों के रेडियो कॉलर खराब, 3 बाघों को कॉलर लगाने की तैयारी

दो तरह के होते हैं रेडियो कॉलर

वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि 2 तरह के रेडियो कॉलर होते हैं. एक रोडियो कॉलर वीएचएफ तकनीक से काम करते हैं. जबकि दूसरे जीपीएस तकनीक पर आधारित होते हैं. सरिस्का में अभी 6 बाघों के कॉलर लगे हुए हैं. सभी के वीएचएफ तकनीक के कॉलर हैं. वन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि नए बाघों के किस तकनीक के कॉलर लगेंगे यह कहा नहीं जा सकता.

संकट में सरिस्का के टाइगर
बाघों का कुनबा बचाने की कवायद में झोल

बाघों पर मंडराता है खतरा

सरिस्का के बीचों बीच से अलवर जयपुर सड़क मार्ग गुजरता है. इसके अलावा सरिस्का के जंगल क्षेत्र में अभी गांव बसे हुए हैं. इसके चलते यहां लोगों की आवाजाही रहती है. इसलिए आए दिन सरिस्का क्षेत्र में शिकार के मामले सामने आते हैं. ऐसे में बाघों पर हमेशा खतरा मंडराता रहता है. हालांकि सरिस्का प्रशासन का दावा है कि सभी की सुरक्षा बेहतर तरह से की जा रही है. लगातार सरिस्का की टीम बाघों पर नजर रखती है.

Last Updated : Oct 18, 2021, 9:27 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.