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कोरोना के चलते खनन विभाग को करोड़ों का नुकसान, प्रदेश में सबसे ज्यादा राजस्व देता है अलवर - राजस्थान में सबसे ज्यादा राजस्व देता है अलवर

राजस्थान में सबसे ज्यादा राजस्व अलवर जिले से सरकार को मिलता है. फिर चाहे परिवहन विभाग हो या सेल टैक्स, आबकारी विभाग हो या खनन विभाग. राजस्व देने में सभी विभाग आगे है. ऐसे में इस बार कोरोना में खनन विभाग को करोड़ों रुपए का नुकसान झेलना पड़ा है. हालांकि काम की शुरुआत होने से सरकार को पैसा भी मिलने लगा है. लेकिन पांच माह में हुए नुकसान की भरपाई होना मुश्किल है.

खनन विभाग को करोड़ो का नुकसान, Mines department lost crores
खनन विभाग को करोड़ो का नुकसान
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Published : Sep 26, 2020, 7:05 PM IST

अलवर. शहर राजस्थान की औद्योगिक राजधानी है. जिले में 15 हजार से अधिक औद्योगिक इकाइयां हैं. इनमें 8 लाख से अधिक लोग काम करते हैं. इसके अलावा राजस्थान का सीमावर्ती जिला होने के कारण अन्य जिलों की तुलना में अलवर से सरकार को टैक्स ज्यादा मिलता है. जयपुर के बाद राजस्थान सरकार को सबसे ज्यादा टैक्स अलवर जिले से मिलता है. जबकि कुछ विभाग ऐसे हैं. जहां जयपुर से भी ज्यादा राजस्व जुटाकर सरकार को दिया जाता है.

खनन विभाग को करोड़ो का नुकसान

अलवर में परिवहन विभाग, सेल टैक्स विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, खनन विभाग, रीको और आबकारी विभाग सहित कई अन्य ऐसे विभाग हैं. जिन पर सरकार की सीधी नजर रहती हैं. ऐसे में इस बार कोरोना काल में खनन विभाग से सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है. हर माह सरकार को 30 से 40 करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व देने वाले खनन विभाग लाखों पर आ गई है. इस वित्तीय वर्ष में अगस्त माह तक खनन विभाग को केवल 23 करोड़ 95 लाख 98 हजार 721 रुपए की आय हुई है.

पढ़ेंः बड़ी लापरवाही : भरतपुर में अस्पताल के गेट पर डिलीवरी के बाद नीचे गिरा बच्चा, Video Viral

अप्रैल माह में विभाग को सबसे कम आई हुई थी. इस माह में करीब 62 लाख रुपए से ज्यादा का राजस्व मिला. हालांकि लगातार हर माह इस राशि में बढ़ोतरी हो रही है. अगस्त माह में 6 करोड़ से ज्यादा का राजस्व खनन विभाग को मिला. विभाग की तरफ से कुछ नए प्लॉट का आवंटन भी किया जा रहा है. इसके बाद विभाग को मिलने वाले राजस्व में बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही है.

खनन विभाग को इससे 65 करोड़ से अधिक का राजस्व मिलेगा. 14 नई खान के आवंटन खनन विभाग की तरफ से 14 खनन के लिए पट्टे आवंटित किए गए. इनमें से केवल दो खनन की बोली लगी है. दरअसल यह पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होती है. ऑनलाइन बोली लगाने वाले व्यक्ति को एक लाख रुपए सिक्योरिटी मनी के रूप में देना होता है. उसके बाद वह बोली प्रक्रिया में शामिल होता है. ऐसे में 12 खान के लिए फिर से नीलामी प्रक्रिया की जाएगी. इन सभी खान से खनन विभाग को 65 करोड़ से अधिक की आय होगी.

अलवर अवैध खनन के लिए बदनाम

अलवर में पत्थर की डिमांड ज्यादा है. इसलिए यहां खुलेआम अवैध खनन होता है. दरअसल सैकड़ों की संख्या में ट्रक और डंपर प्रतिदिन पत्थर रोड़ी खरंजा और अन्य निर्माण में काम आने वाले सामान को लेकर नोएडा, दिल्ली, गु़डगामा, फरीदाबाद, गाजियाबाद सहित एनसीआर के विभिन्न शहरों में जाते हैं. ऐसे में लगातार इसकी डिमांड बढ़ रही है. इसलिए अवैध खनन भी पनप रहा है.

सरकार की गाइडलाइन का हो रहा पालन

जिम्मेदार विभाग के अधिकारियों ने कहा कि कोरोना काल के बाद शुरू हुए काम के दौरान सरकार की गाइडलाइन का पूरा पालन किया जा रहा है. इसके अलावा लगातार मॉनिटरिंग और जांच पड़ताल की बात भी कही गई है.

नुकसान का दिख रहा असर

सरकार को कई माह से अकेले अलवर जिले से मिलने वाला करोड़ों रुपए का राजस्व अब नहीं मिल रहा है. इसका खामियाजा भी आम लोगों को उठाना पड़ रहा है. सभी सरकारी विभाग में बजट की कमी के चलते कामकाज ठप हैं. वहीं यूआईटी और पीडब्ल्यूडी सहित कई ऐसे सरकारी विभाग हैं. जहां बिना बजट के काम संभव नहीं है.

पढ़ेंः सावधान! सर्दी में बढ़ सकता है कोरोना का प्रकोप

हजारों लोगों को मिलता है रोजगार

अलवर में खनन विभाग की तरफ से 354 सरकारी पट्टे जारी किए गए हैं. इसके अलावा जिले में 86 क्रेशर चल रहे हैं. इन पर बड़ी संख्या में लेबर और श्रमिक काम करते हैं. इसके अलावा ट्रैक्टर चालक ट्रक चालक सहित बड़ी संख्या में लोग इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. कोरोना आल के दौरान सभी बेरोजगार हो गए थे. हालांकि अब फिर से लोगों को काम धंधा मिलने लगा है.

अलवर. शहर राजस्थान की औद्योगिक राजधानी है. जिले में 15 हजार से अधिक औद्योगिक इकाइयां हैं. इनमें 8 लाख से अधिक लोग काम करते हैं. इसके अलावा राजस्थान का सीमावर्ती जिला होने के कारण अन्य जिलों की तुलना में अलवर से सरकार को टैक्स ज्यादा मिलता है. जयपुर के बाद राजस्थान सरकार को सबसे ज्यादा टैक्स अलवर जिले से मिलता है. जबकि कुछ विभाग ऐसे हैं. जहां जयपुर से भी ज्यादा राजस्व जुटाकर सरकार को दिया जाता है.

खनन विभाग को करोड़ो का नुकसान

अलवर में परिवहन विभाग, सेल टैक्स विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, खनन विभाग, रीको और आबकारी विभाग सहित कई अन्य ऐसे विभाग हैं. जिन पर सरकार की सीधी नजर रहती हैं. ऐसे में इस बार कोरोना काल में खनन विभाग से सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है. हर माह सरकार को 30 से 40 करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व देने वाले खनन विभाग लाखों पर आ गई है. इस वित्तीय वर्ष में अगस्त माह तक खनन विभाग को केवल 23 करोड़ 95 लाख 98 हजार 721 रुपए की आय हुई है.

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अप्रैल माह में विभाग को सबसे कम आई हुई थी. इस माह में करीब 62 लाख रुपए से ज्यादा का राजस्व मिला. हालांकि लगातार हर माह इस राशि में बढ़ोतरी हो रही है. अगस्त माह में 6 करोड़ से ज्यादा का राजस्व खनन विभाग को मिला. विभाग की तरफ से कुछ नए प्लॉट का आवंटन भी किया जा रहा है. इसके बाद विभाग को मिलने वाले राजस्व में बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही है.

खनन विभाग को इससे 65 करोड़ से अधिक का राजस्व मिलेगा. 14 नई खान के आवंटन खनन विभाग की तरफ से 14 खनन के लिए पट्टे आवंटित किए गए. इनमें से केवल दो खनन की बोली लगी है. दरअसल यह पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होती है. ऑनलाइन बोली लगाने वाले व्यक्ति को एक लाख रुपए सिक्योरिटी मनी के रूप में देना होता है. उसके बाद वह बोली प्रक्रिया में शामिल होता है. ऐसे में 12 खान के लिए फिर से नीलामी प्रक्रिया की जाएगी. इन सभी खान से खनन विभाग को 65 करोड़ से अधिक की आय होगी.

अलवर अवैध खनन के लिए बदनाम

अलवर में पत्थर की डिमांड ज्यादा है. इसलिए यहां खुलेआम अवैध खनन होता है. दरअसल सैकड़ों की संख्या में ट्रक और डंपर प्रतिदिन पत्थर रोड़ी खरंजा और अन्य निर्माण में काम आने वाले सामान को लेकर नोएडा, दिल्ली, गु़डगामा, फरीदाबाद, गाजियाबाद सहित एनसीआर के विभिन्न शहरों में जाते हैं. ऐसे में लगातार इसकी डिमांड बढ़ रही है. इसलिए अवैध खनन भी पनप रहा है.

सरकार की गाइडलाइन का हो रहा पालन

जिम्मेदार विभाग के अधिकारियों ने कहा कि कोरोना काल के बाद शुरू हुए काम के दौरान सरकार की गाइडलाइन का पूरा पालन किया जा रहा है. इसके अलावा लगातार मॉनिटरिंग और जांच पड़ताल की बात भी कही गई है.

नुकसान का दिख रहा असर

सरकार को कई माह से अकेले अलवर जिले से मिलने वाला करोड़ों रुपए का राजस्व अब नहीं मिल रहा है. इसका खामियाजा भी आम लोगों को उठाना पड़ रहा है. सभी सरकारी विभाग में बजट की कमी के चलते कामकाज ठप हैं. वहीं यूआईटी और पीडब्ल्यूडी सहित कई ऐसे सरकारी विभाग हैं. जहां बिना बजट के काम संभव नहीं है.

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हजारों लोगों को मिलता है रोजगार

अलवर में खनन विभाग की तरफ से 354 सरकारी पट्टे जारी किए गए हैं. इसके अलावा जिले में 86 क्रेशर चल रहे हैं. इन पर बड़ी संख्या में लेबर और श्रमिक काम करते हैं. इसके अलावा ट्रैक्टर चालक ट्रक चालक सहित बड़ी संख्या में लोग इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. कोरोना आल के दौरान सभी बेरोजगार हो गए थे. हालांकि अब फिर से लोगों को काम धंधा मिलने लगा है.

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