अलवर. वैसे तो हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. लेकिन कोरोना के चलते यह साल अन्य सालों की तुलना में अलग रहा. कोरोना काल में लोगों के रोजगार छूट गए. परिवार सड़कों पर आ गए. ऐसे में सैकड़ों महिलाओं ने अपने परिवार का पेट भरने के लिए खुद को संभाला और मजबूत किया और कामकाज शुरू किया. ऐसा ही एक मिसाल देखने को मिली अलवर में. राजीव गांधी सामान्य अस्पताल में प्रतिदिन तीन से चार महिलाएं मास्क बेचने का काम करती हैं. ईटीवी भारत ने इन महिलाओं से बातचीत की.
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महिलाओं ने बताया कि कोरोना के बाद लॉकडाउन लग गया और सभी काम धंधे बंद हो गए. उनका पूरा परिवार सड़क पर आ गया. खाने-पीने के लाले पड़ गए. जिसके बाद घर चलाने के लिए मास्क बनाने शुरू किए. और फिर इन मास्क को दुकानों पर जाकर बेचना शुरू किया. अब इन महिलाओं ने अस्पताल के बाहर भी मास्क बेचना शुरू कर दिया है. ये महिलाएं मास्क ही नहीं बेचती लोगों को कोरोना से जागरूक भी करती हैं.
महिलाएं लोगों को मास्क लगाने के फायदे बताती हैं. अस्पताल प्रशासन की तरफ से भी इन महिलाओं की मदद की जा रही है. इन महिलाओं की तरह सैंकड़ों महिलाएं अलवर में ऐसी हैं जिनके परिवार को लॉकडाउन में खाने के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा था. अब इन महिलाओं ने आत्मनिर्भरता को अपनाया और पतियों की नौकरी जाने पर घर की जिम्मेदारियों के साथ परिवार का पेट भी पाल रही हैं.