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दिन-ब-दिन सांसों में जहर घोल रहीं अलवर और भिवाड़ी की औद्योगिक इकाइयां

लॉकडाउन के दौरान पूरा देश लॉक है और प्रदूषण अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है. ऐसे में लोगों को साफ हवा भी मिल रही है. लेकिन औद्योगिक इकाई शुरू होते ही उद्योगों की चिमनी धुआं उगलने लगी हैं. इसके अलावा औद्योगिक इकाइयां खुलेआम नालों में केमिकल वाला पानी छोड़ रही हैं, जो नियमों के हिसाब से पूरी तरह से गलत है.

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औद्योगिक इकाइयां खुलेआम फैला रहीं प्रदूषण
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Published : May 16, 2020, 12:27 PM IST

अलवर. प्रदूषण का स्तर 3 गुना तक पहुंच चुका है, आमतौर पर प्रदूषण का स्तर पीएम10 100यूजी से कम रहना चाहिए. लेकिन अलवर में 200 से 300 यूजी प्रदूषण का स्तर पहुंच चुका है. जबकि अलवर का भिवाड़ी शहर देश के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हो चुका है. भिवाड़ी में प्रदूषण का स्तर पीएम10 300 से अधिक पहुंचा था. प्रदूषण कम करने के लिए सरकार की तरफ से कई प्रयास किए गए, लेकिन प्रदूषण का स्तर कम नहीं हुआ.

औद्योगिक इकाइयां खुलेआम फैला रहीं प्रदूषण

सर्वोच्च न्यायालय और एनजीटी के तमाम आदेशों के बाद भी राज्य सरकार की तरफ से प्रदूषण कम करने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए. इसी दौरान कोरोना वायरस के चलते पूरा देश लॉकडाउन हुआ. लॉकडाउन होने के कारण पूरा देश थम गया. ऐसे में प्रदूषण तेजी से कम हुआ. प्रदूषण का स्तर अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा. मतलब हवा पूरी तरीके से शुद्ध हुई और विजिबिलिटी क्लियर हुई तो वहीं लोगों को स्वच्छ व साफ हवा मिली.

यह भी पढ़ेंः राजस्थान में लॉकडाउन 1.0 के मुकाबले 3.0 में बढ़ा प्रदूषण, हवा में घुलने लगा फिर Pollution का जहर

तीसरे फेस के लॉकडाउन के दौरान सरकार की तरफ से औद्योगिक क्षेत्रों को खोलते हुए उद्योगों को रियायत दी गई. अलवर के सभी औद्योगिक क्षेत्र खुल चुके हैं, इसके अलावा औद्योगिक इकाइयां भी शुरू हो चुकी हैं. अलवर में छोटे बड़े 16 औद्योगिक क्षेत्र हैं, जो पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान रखते हैं. इन क्षेत्रों में 15 हजार से अधिक औद्योगिक इकाइयां हैं. धीरे-धीरे इकाइयां खुलने लगी हैं. साथ ही प्रदूषण भी फैलने लगा है. अलवर के एमआईए उद्योगी क्षेत्र में औद्योगिक इकाइयों की चिमनी धुआं छोड़ने लगी है. इसके अलावा औद्योगिक इकाइयां बिना पानी का शोधन किए केमिकल वाला पानी नालों में छोड़ रही हैं. अलवर के एमआईए, राजगढ़, बहरोड़, थानागाजी, भिवाड़ी, खुशखेड़ा, तिजारा, टपूकड़ा और नीमराना सहित पूरे जिले के औद्योगिक क्षेत्रों में 20 प्रतिशत ऐसी औद्योगिक इकाइयां हैं, जो धुआं छोड़ती हैं. इसके अलावा कुछ केमिकल की फैक्ट्री है. जो लगातार केमिकल छोड़ती है. इसके अलावा मिनरल्स यूनिट भी अलवर में ज्यादा है.

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प्रदूषण का स्तर 3 गुना तक पहुंच चुका

प्रदूषण का स्तर...

लॉकडाउन शुरू होने से पहले भिवाड़ी की हवा में पीएम 2.5 का स्तर 103 यूजी था. उसके बाद लगातार प्रदूषण का स्तर कम हो रहा है. इसी तरह से पीएम10 197 यूजी था. 15 मई को भिवाड़ी में पीएम2.5 69 यूजी और पीएम10 149यूजी दर्ज किया गया. अलवर में 20 मार्च को पीएम10 88 प्रतिशत और पीएम 2.5 व 41 प्रतिशत दर्ज किया गया था. जबकि शुक्रवार को अलवर में पीएम 2.5 27यूजी व पीएम10 59 यूजी दर्ज किया गया.

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प्रदूषण कम करने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए

क्या है नियम...

नियम के हिसाब से औद्योगिक इकाइयों को चिमनी की ऊंचाई ज्यादा रखनी चाहिए. इसके अलावा अलवर एनसीआर में आता है. एनसीआर में सीएनजी और इलेक्ट्रॉनिक चिमनी होना आवश्यक है. लेकिन अलवर में आज भी कोयले और लकड़ी की चिमनियां चल रही हैं. दूसरी तरफ औद्योगिक इकाइयों को बाहर छोड़ने वाले पानी को ट्रीट करने के बाद बाहर छोड़ना चाहिए. लेकिन जापानी जॉन के अलावा कुछ औद्योगिक इकाइयों को छोड़कर कोई भी औद्योगिकीकरण पानी को ट्रीट नहीं कर रही है.

अलवर. प्रदूषण का स्तर 3 गुना तक पहुंच चुका है, आमतौर पर प्रदूषण का स्तर पीएम10 100यूजी से कम रहना चाहिए. लेकिन अलवर में 200 से 300 यूजी प्रदूषण का स्तर पहुंच चुका है. जबकि अलवर का भिवाड़ी शहर देश के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हो चुका है. भिवाड़ी में प्रदूषण का स्तर पीएम10 300 से अधिक पहुंचा था. प्रदूषण कम करने के लिए सरकार की तरफ से कई प्रयास किए गए, लेकिन प्रदूषण का स्तर कम नहीं हुआ.

औद्योगिक इकाइयां खुलेआम फैला रहीं प्रदूषण

सर्वोच्च न्यायालय और एनजीटी के तमाम आदेशों के बाद भी राज्य सरकार की तरफ से प्रदूषण कम करने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए. इसी दौरान कोरोना वायरस के चलते पूरा देश लॉकडाउन हुआ. लॉकडाउन होने के कारण पूरा देश थम गया. ऐसे में प्रदूषण तेजी से कम हुआ. प्रदूषण का स्तर अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा. मतलब हवा पूरी तरीके से शुद्ध हुई और विजिबिलिटी क्लियर हुई तो वहीं लोगों को स्वच्छ व साफ हवा मिली.

यह भी पढ़ेंः राजस्थान में लॉकडाउन 1.0 के मुकाबले 3.0 में बढ़ा प्रदूषण, हवा में घुलने लगा फिर Pollution का जहर

तीसरे फेस के लॉकडाउन के दौरान सरकार की तरफ से औद्योगिक क्षेत्रों को खोलते हुए उद्योगों को रियायत दी गई. अलवर के सभी औद्योगिक क्षेत्र खुल चुके हैं, इसके अलावा औद्योगिक इकाइयां भी शुरू हो चुकी हैं. अलवर में छोटे बड़े 16 औद्योगिक क्षेत्र हैं, जो पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान रखते हैं. इन क्षेत्रों में 15 हजार से अधिक औद्योगिक इकाइयां हैं. धीरे-धीरे इकाइयां खुलने लगी हैं. साथ ही प्रदूषण भी फैलने लगा है. अलवर के एमआईए उद्योगी क्षेत्र में औद्योगिक इकाइयों की चिमनी धुआं छोड़ने लगी है. इसके अलावा औद्योगिक इकाइयां बिना पानी का शोधन किए केमिकल वाला पानी नालों में छोड़ रही हैं. अलवर के एमआईए, राजगढ़, बहरोड़, थानागाजी, भिवाड़ी, खुशखेड़ा, तिजारा, टपूकड़ा और नीमराना सहित पूरे जिले के औद्योगिक क्षेत्रों में 20 प्रतिशत ऐसी औद्योगिक इकाइयां हैं, जो धुआं छोड़ती हैं. इसके अलावा कुछ केमिकल की फैक्ट्री है. जो लगातार केमिकल छोड़ती है. इसके अलावा मिनरल्स यूनिट भी अलवर में ज्यादा है.

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प्रदूषण का स्तर 3 गुना तक पहुंच चुका

प्रदूषण का स्तर...

लॉकडाउन शुरू होने से पहले भिवाड़ी की हवा में पीएम 2.5 का स्तर 103 यूजी था. उसके बाद लगातार प्रदूषण का स्तर कम हो रहा है. इसी तरह से पीएम10 197 यूजी था. 15 मई को भिवाड़ी में पीएम2.5 69 यूजी और पीएम10 149यूजी दर्ज किया गया. अलवर में 20 मार्च को पीएम10 88 प्रतिशत और पीएम 2.5 व 41 प्रतिशत दर्ज किया गया था. जबकि शुक्रवार को अलवर में पीएम 2.5 27यूजी व पीएम10 59 यूजी दर्ज किया गया.

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प्रदूषण कम करने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए

क्या है नियम...

नियम के हिसाब से औद्योगिक इकाइयों को चिमनी की ऊंचाई ज्यादा रखनी चाहिए. इसके अलावा अलवर एनसीआर में आता है. एनसीआर में सीएनजी और इलेक्ट्रॉनिक चिमनी होना आवश्यक है. लेकिन अलवर में आज भी कोयले और लकड़ी की चिमनियां चल रही हैं. दूसरी तरफ औद्योगिक इकाइयों को बाहर छोड़ने वाले पानी को ट्रीट करने के बाद बाहर छोड़ना चाहिए. लेकिन जापानी जॉन के अलावा कुछ औद्योगिक इकाइयों को छोड़कर कोई भी औद्योगिकीकरण पानी को ट्रीट नहीं कर रही है.

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