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बाहर का रास्ता देख चुके हैं...उसके बावजूद आहूजा मूंछ ऊपर किए हुए हैं...अलवर सीट

भाजपा की ओर से 9 सीटों पर प्रत्याशी घोषित होना बाकी है. इन सीटों के प्रत्याशियों को लेकर पार्टी के भीतर मंथन जारी है. वहीं, इस बीच वरिष्ठ नेता ज्ञानदेव आहूजा ने 'मूंछों पर ताव' देते हुए अलवर लोकसभा सीट से सियासी ताल ठोक दी है....

ज्ञानदेव आहूजा, भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष।
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Published : Mar 28, 2019, 2:53 PM IST

Updated : Mar 28, 2019, 4:36 PM IST

जयपुर/अलवर . भाजपा की ओर से प्रत्याशियों की पहली सूची जारी होने के बाद शेष बची 9 सीटों को लेकर अटकलों का दौर जारी है. सभी सीटों पर संभावित प्रत्याशियों को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच अलवर लोकसभा सीट भी खासी चर्चा में बनी हुई है. इस सीट पर कई नेताओं की दावेदारी के बीच वरिष्ठ नेता ज्ञानदेव आहूजा की दावेदारी ने राजनीतिक चर्चाओं को बढ़ा दिया है. आहूजा ने खुद को अलवर सीट से मजबूत दावेदार बताते हुए चुनाव लड़ने को लेकर ताल ठोका है. उनके इस अंदाज को देख सियासतदारों के बीच चर्चा शुरू हो चुकी है कि एक बार टिकट नहीं मिलने पर पार्टी छोड़कर दोबारा शामिल होने वाले आहूजा एक बार फिर 'मूंछों पर ताव' देने लगे हैं.

दरअसल, उपचुनाव के दौरान हाथ से फिसल चुकी अलवर लोकसभा सीट पर दोबारा काबिज होने के लिए भाजपा जहां सारे समीकरणों को बिठाने में लगी है. वहीं, इस सीट पर मजबूत प्रत्याशी को उतारने के लिए भी मंथन कर रही है. इस सीट से टिकट के लिए कई दावेदारों के नाम चर्चा में बने हुए हैं. इस बीच पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष ज्ञानदेव आहूजा ने भी इस सीट के लिए सियासी ताल ठोक रखी है. उन्होंने खुद को अलवर लोकसभा सीट से प्रबल दावेदार बताते हुए चुनाव लड़ने की बात कही है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी ने मेरा टिकट काट दिया था इसलिए मैं नाराज था. लेकिन, यदि चुनाव मेरे अलावा किसी ओर को भी टिकट देती है तो उसके लिए मेहनत से काम करूंगा. आहूजा के इन बयानों के बीच खुद की दावेदारी मजबूती के साथ रखने की चर्चाओं ने सियासी उबाल ला दिया है. साथ ही उनके बयान को लेकर सियासतदारों के बीच कई तरह की चर्चा भी शुरू हो गई है.

सियासी हलकों में चर्चा शुरू हो गई है कि विधानसभा में टिकट नहीं मिलने पर नाराज होकर आहूजा पार्टी से बाहर चले गए थे. लेकिन, वापस आने के बाद वे फिर खुद को मजबूत दावेदार बताते हुए चुनाव लड़ने की बात कहने लगे हैं. आपको बता दें कि विधानसभा चुनाव के दौरान रामगढ़ सीट से भाजपा ने ज्ञानदेव आहूजा का टिकट काट दिया था. इससे नाराज होकर आहूजा ने पार्टी को छोड़ते हुए सांगानेर सीट से निर्दलीय फार्म भर दिया. लेकिन, बाद में वे नामांकन वापस लेते हुए फिर भाजपा में शामिल हो गए थे. इसके बाद उन्हें भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के पद की जिम्मेदारी दी गई.

जयपुर/अलवर . भाजपा की ओर से प्रत्याशियों की पहली सूची जारी होने के बाद शेष बची 9 सीटों को लेकर अटकलों का दौर जारी है. सभी सीटों पर संभावित प्रत्याशियों को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच अलवर लोकसभा सीट भी खासी चर्चा में बनी हुई है. इस सीट पर कई नेताओं की दावेदारी के बीच वरिष्ठ नेता ज्ञानदेव आहूजा की दावेदारी ने राजनीतिक चर्चाओं को बढ़ा दिया है. आहूजा ने खुद को अलवर सीट से मजबूत दावेदार बताते हुए चुनाव लड़ने को लेकर ताल ठोका है. उनके इस अंदाज को देख सियासतदारों के बीच चर्चा शुरू हो चुकी है कि एक बार टिकट नहीं मिलने पर पार्टी छोड़कर दोबारा शामिल होने वाले आहूजा एक बार फिर 'मूंछों पर ताव' देने लगे हैं.

दरअसल, उपचुनाव के दौरान हाथ से फिसल चुकी अलवर लोकसभा सीट पर दोबारा काबिज होने के लिए भाजपा जहां सारे समीकरणों को बिठाने में लगी है. वहीं, इस सीट पर मजबूत प्रत्याशी को उतारने के लिए भी मंथन कर रही है. इस सीट से टिकट के लिए कई दावेदारों के नाम चर्चा में बने हुए हैं. इस बीच पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष ज्ञानदेव आहूजा ने भी इस सीट के लिए सियासी ताल ठोक रखी है. उन्होंने खुद को अलवर लोकसभा सीट से प्रबल दावेदार बताते हुए चुनाव लड़ने की बात कही है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी ने मेरा टिकट काट दिया था इसलिए मैं नाराज था. लेकिन, यदि चुनाव मेरे अलावा किसी ओर को भी टिकट देती है तो उसके लिए मेहनत से काम करूंगा. आहूजा के इन बयानों के बीच खुद की दावेदारी मजबूती के साथ रखने की चर्चाओं ने सियासी उबाल ला दिया है. साथ ही उनके बयान को लेकर सियासतदारों के बीच कई तरह की चर्चा भी शुरू हो गई है.

सियासी हलकों में चर्चा शुरू हो गई है कि विधानसभा में टिकट नहीं मिलने पर नाराज होकर आहूजा पार्टी से बाहर चले गए थे. लेकिन, वापस आने के बाद वे फिर खुद को मजबूत दावेदार बताते हुए चुनाव लड़ने की बात कहने लगे हैं. आपको बता दें कि विधानसभा चुनाव के दौरान रामगढ़ सीट से भाजपा ने ज्ञानदेव आहूजा का टिकट काट दिया था. इससे नाराज होकर आहूजा ने पार्टी को छोड़ते हुए सांगानेर सीट से निर्दलीय फार्म भर दिया. लेकिन, बाद में वे नामांकन वापस लेते हुए फिर भाजपा में शामिल हो गए थे. इसके बाद उन्हें भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के पद की जिम्मेदारी दी गई.

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बाहर का रास्ता देख चुके हैं...उसके बावजूद आहूजा मूछ ऊपर किए हुए हैं...अलवर सीट



भाजपा की ओर से 9 सीटों पर प्रत्याशी घोषित होना बाकी है. इन सीटों के प्रत्याशियों को लेकर पार्टी के भीतर मंथन जारी है. वहीं, इस बीच वरिष्ठ नेता ज्ञानदेव आहूजा ने 'मूछो पर ताव' देते हुए अलवर लोकसभा सीट से सियासी ताल ठोक दी है....



जयपुर . भाजपा की ओर से प्रत्याशियों की पहली सूची जारी होने के बाद शेष बची 9 सीटों को लेकर अटकलों का दौर जारी है. सभी सीटों पर संभावित प्रत्याशियों को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच अलवर लोकसभा सीट भी खासी चर्चा में बनी हुई है. इस सीट पर कई नेताओं की दावेदारी के बीच वरिष्ठ नेता ज्ञानदेव आहूजा की दावेदारी ने राजनीतिक चर्चाओं को बढ़ा दिया है. आहूजा ने खुद को अलवर सीट से मजबूत दावेदार बताते हुए चुनाव लड़ने को लेकर ताल ठोका है. उनके इस अंदाज को देख सियासतदारों के बीच चर्चा शुरू हो चुकी है कि एक बार टिकट नहीं मिलने पर पार्टी छोड़कर दोबारा शामिल होने वाले आहूजा एक बार फिर 'मूछों पर ताव' देने लगे हैं.

दरअसल,  उपचुनाव के दौरान हाथ से फिसल चुकी अलवर लोकसभा सीट पर दोबारा काबिज होने के लिए भाजपा जहां सारे समीकरणों को बिठाने में लगी है. वहीं, इस सीट पर मजबूत प्रत्याशी को उतारने के लिए भी मंथन कर रही है. इस सीट से टिकट के लिए कई दावेदारों के नाम चर्चा में बने हुए हैं. इस बीच पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष ज्ञानदेव आहूजा ने भी इस सीट के लिए सियासी ताल ठोक रखी है. उन्होंने खुद को अलवर  लोकसभा सीट से प्रबल दावेदार बताते हुए चुनाव लड़ने की बात कही है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी ने मेरा टिकट काट दिया था इसलिए मैं नाराज था. लेकिन, यदि चुनाव मेरे अलावा  किसी ओर को भी टिकट देती है तो उसके लिए मेहनत से काम करूंगा. आहूजा के इन बयानों के बीच खुद की दावेदारी मजबूती के साथ रखने की चर्चाओं ने सियासी उबाल ला दिया है. साथ ही उनके बयान को लेकर सियासतदारों के बीच कई तरह की चर्चा भी शुरू हो गई है. सियासी हलकों में चर्चा शुरू हो गई है कि विधानसभा में टिकट नहीं मिलने पर नाराज होकर आहूजा पार्टी से बाहर चले गए थे. लेकिन, वापस आने के बाद वे फिर खुद को मजबूत दावेदार बताते हुए चुनाव लड़ने की बात कहने लगे हैं. आपको बता दें कि विधानसभा चुनाव के दौरान  रामगढ़ सीट से भाजपा ने ज्ञानदेव आहूजा का टिकट काट दिया था. इससे नाराज होकर आहूजा ने पार्टी को छोड़ते हुए सांगानेर सीट से निर्दलीय फार्म भर दिया. लेकिन, बाद में वे नामांकन वापस लेते हुए फिर भाजपा में शामिल हो गए थे. इसके बाद उन्हें भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के पद की जिम्मेदारी दी गई.




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Last Updated : Mar 28, 2019, 4:36 PM IST
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