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कोरोना काल में बुजुर्गों को राहत, अलवर में नेत्र ऑपरेशन शुरू

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Published : Nov 2, 2020, 3:22 PM IST

जयपुर के एसएमएस अस्पताल के बाद सबसे ज्यादा आंखों के ऑपरेशन अलवर के राजीव गांधी सामान्य अस्पताल में होते हैं. कोरोना काल में ऑपरेशन प्रक्रिया बंद होने से मरीज लगातार परेशान हो रहे थे, लेकिन अब अस्पताल में फिर से ऑपरेशन प्रक्रिया शुरू हो गई है. ऐसे में बुजुर्ग लोगों ने राहत की सांस ली है, क्योंकि नेत्र ऑपरेशन कराने वाले ज्यादातर लोग 50 साल से अधिक उम्र के होते हैं.

अलवर में नेत्र ऑपरेशन, Eye operation in Alwar
अलवर में नेत्र ऑपरेशन

अलवर. कोरोना काल में सरकारी अस्पताल को कोरोना अस्पताल में बदल दिया गया था. ऐसे में उस समय अन्य बीमारियों के मरीज खासे परेशान हुए थे. मरीजों को होने वाली परेशानियों को देखते हुए सितंबर माह से जिला अस्पताल सहित सभी प्रमुख अस्पतालों को कोविड फ्री बनाया गया और कोविड के इलाज की सुविधा वैकल्पिक भवन में की गई.

अलवर में नेत्र ऑपरेशन

जिसके बाद अब एक बार फिर से बंद अस्पताल में नेत्र ऑपरेशन की प्रक्रिया शुरू हुई. ऐसे में आंखों संबंधित बीमारी से परेशान बुजुर्गों को बड़ी राहत मिली है. अलवर के राजीव गांधी सामान्य अस्पताल के डॉक्टरों ने कोरोना काल में इस साल अक्टूबर में सर्वाधिक 333 आंखों के ऑपरेशन किए हैं. इसमें मोतियाबिंद के 322 और आंखों के अन्य रोगों के 11 ऑपरेशन है. अस्पताल में अब नेत्र संबंधित ऑपरेशन की गति तेज होने लगी है.

पढे़ं- राजस्थान विधानसभा में उठा गुर्जर आंदोलन का मामला, बिलों पर चर्चा के बाद सरकार देगी जवाब

हालांकि, पिछले साल अक्टूबर में 435 के मुकाबले इस बार कोरोना के कारण ऑपरेशन कम हुए हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण के खतरे में बुजुर्गों के अस्पताल पहुंचने पर यह संख्या सर्वाधिक है. अप्रैल और मई में आंखों के ऑपरेशन बंद करने के कारण गरीब और बुजुर्ग लोगों के सामने खासी परेशानी खड़ी हो गई थी. अस्पताल प्रशासन ने जून में नेत्र ऑपरेशन फिर से शुरू कर बुजुर्गों को राहत दी है.

हर महीने आंखों के ऑपरेशन का आंकड़ा बढ़ रहा है. जिला अस्पताल के आंकड़ों पर नजर डालें, तो जून में 32 जुलाई में 125 अगस्त में 67 सितंबर में 196 अक्टूबर में 333 ऑपरेशन हुए हैं. इस साल जून से अक्टूबर माह तक 753 में मोतियाबिंद के 707 और 46 अन्य ऑपरेशन किए गए हैं.

जिला अस्पताल में जिले के अलावा भरतपुर, दौसा और हरियाणा के मरीज ऑपरेशन कराने के लिए आते हैं. अस्पताल में हर साल 6000 से अधिक नेत्र ऑपरेशन होते हैं, जो प्रदेश के जिला अस्पतालों में सर्वाधिक है. अस्पताल में किए ऑपरेशन में प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर सुनील चौहान, डॉ. मधु स्वरूप सक्सेना, डॉक्टर दीपा जैन की अहम भूमिका रही है. अलवर में नेत्र ऑपरेशन सबसे ज्यादा होते हैं और सबसे सफल रहते हैं. इसलिए आसपास के जिलों और राज्यों से भी लोग ऑपरेशन कराने के लिए अलवर आते हैं.

पढे़ं- गुर्जर आंदोलन को लेकर मंत्री रघु शर्मा ने कहा- इस मुद्दे का सामाधान वार्ता से ही संभव

कोरोना काल से पहले पिछले साल अप्रैल 2019 से मार्च 2020 तक 4910 ऑपरेशन किए गए. इसमें मोतियाबिंद के 4578 और दूसरी बीमारियों के 332 ऑपरेशन किए गए. हालांकि कोरोना के कारण नेत्र ऑपरेशन में मार्च से ही गिरावट शुरू हो गई. लेकिन वर्ष 2019 में अप्रैल में 461 मई में 478 जून में 222 जुलाई में 998 अगस्त में 267, सितंबर में 200, जनवरी में 435, फरवरी में 556 और मार्च में 280 ऑपरेशन किए गए.

अलवर. कोरोना काल में सरकारी अस्पताल को कोरोना अस्पताल में बदल दिया गया था. ऐसे में उस समय अन्य बीमारियों के मरीज खासे परेशान हुए थे. मरीजों को होने वाली परेशानियों को देखते हुए सितंबर माह से जिला अस्पताल सहित सभी प्रमुख अस्पतालों को कोविड फ्री बनाया गया और कोविड के इलाज की सुविधा वैकल्पिक भवन में की गई.

अलवर में नेत्र ऑपरेशन

जिसके बाद अब एक बार फिर से बंद अस्पताल में नेत्र ऑपरेशन की प्रक्रिया शुरू हुई. ऐसे में आंखों संबंधित बीमारी से परेशान बुजुर्गों को बड़ी राहत मिली है. अलवर के राजीव गांधी सामान्य अस्पताल के डॉक्टरों ने कोरोना काल में इस साल अक्टूबर में सर्वाधिक 333 आंखों के ऑपरेशन किए हैं. इसमें मोतियाबिंद के 322 और आंखों के अन्य रोगों के 11 ऑपरेशन है. अस्पताल में अब नेत्र संबंधित ऑपरेशन की गति तेज होने लगी है.

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हालांकि, पिछले साल अक्टूबर में 435 के मुकाबले इस बार कोरोना के कारण ऑपरेशन कम हुए हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण के खतरे में बुजुर्गों के अस्पताल पहुंचने पर यह संख्या सर्वाधिक है. अप्रैल और मई में आंखों के ऑपरेशन बंद करने के कारण गरीब और बुजुर्ग लोगों के सामने खासी परेशानी खड़ी हो गई थी. अस्पताल प्रशासन ने जून में नेत्र ऑपरेशन फिर से शुरू कर बुजुर्गों को राहत दी है.

हर महीने आंखों के ऑपरेशन का आंकड़ा बढ़ रहा है. जिला अस्पताल के आंकड़ों पर नजर डालें, तो जून में 32 जुलाई में 125 अगस्त में 67 सितंबर में 196 अक्टूबर में 333 ऑपरेशन हुए हैं. इस साल जून से अक्टूबर माह तक 753 में मोतियाबिंद के 707 और 46 अन्य ऑपरेशन किए गए हैं.

जिला अस्पताल में जिले के अलावा भरतपुर, दौसा और हरियाणा के मरीज ऑपरेशन कराने के लिए आते हैं. अस्पताल में हर साल 6000 से अधिक नेत्र ऑपरेशन होते हैं, जो प्रदेश के जिला अस्पतालों में सर्वाधिक है. अस्पताल में किए ऑपरेशन में प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर सुनील चौहान, डॉ. मधु स्वरूप सक्सेना, डॉक्टर दीपा जैन की अहम भूमिका रही है. अलवर में नेत्र ऑपरेशन सबसे ज्यादा होते हैं और सबसे सफल रहते हैं. इसलिए आसपास के जिलों और राज्यों से भी लोग ऑपरेशन कराने के लिए अलवर आते हैं.

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कोरोना काल से पहले पिछले साल अप्रैल 2019 से मार्च 2020 तक 4910 ऑपरेशन किए गए. इसमें मोतियाबिंद के 4578 और दूसरी बीमारियों के 332 ऑपरेशन किए गए. हालांकि कोरोना के कारण नेत्र ऑपरेशन में मार्च से ही गिरावट शुरू हो गई. लेकिन वर्ष 2019 में अप्रैल में 461 मई में 478 जून में 222 जुलाई में 998 अगस्त में 267, सितंबर में 200, जनवरी में 435, फरवरी में 556 और मार्च में 280 ऑपरेशन किए गए.

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