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राजस्थान की 'औद्योगिक राजधानी' अलवर में मंदी का असर, कई औद्योगिक ईकाइयों पर संकट

राजस्थान की औद्योगिक राजधानी कहा जाने वाला अलवर जिला आर्थिक मंदी के निचले पायदन से गुजर रहा है. जिले में प्रदेश की सबसे ज्यादा औद्योगिक इकाइयां हैं जो की धीरे-धीरे बंद हो रही हैं. यहां काम करने वाले कर्मचारी बेरोजगार हो रहे हैं.

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Published : Oct 17, 2019, 5:46 PM IST

Updated : Oct 17, 2019, 7:08 PM IST

economic downturn in Alwar, अलवर में मंदी का असर

अलवर. पिछले दिनों आई कुछ रिपोर्ट के मुताबिक देश आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है. विशेषज्ञ आर्थिक मंदी के बारे में कई बार बोल चुके हैं. ऐसे में इस आर्थिक मंदी का राजस्थान की औद्योगिक राजधानी कहे जाने वाले अलवर में भी देखने को मिल रहा है. अलवर जिले में प्रदेश की सबसे ज्यादा औद्योगिक इकाइयां हैं. वाणिज्य कर विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो वाणिज्य कर विभाग में 40 हजार 842 डीलर कर दाता हैं. छोटी-बड़ी औद्योगिक इकाई रजिस्टर्ड हैं इसमें 8 हजार 350 मैन्युफैक्चरिंग यूनिट हैं. वहीं 23 हजार 500 ट्रेडर्स हैं.

अलवर में मंदी का असर.

अलवर में छोटे-बड़े 12 उद्योगिक क्षेत्र हैं. इनमें सबसे ज्यादा ऑटोमोबाइल स्टील आयरन की यूनिट हैं. सरकारी आंकड़ों के हिसाब से अलवर में 160 ऑटोमोबाइल की प्रमुख यूनिट और 150 आयरन स्टील की मुख्य औद्योगिक इकाइयां हैं. अलवर जिला संभाग के कुल राजस्व का 80 से 70 प्रतिशत कर ऑटोमोबाइल स्टील आयरन की औद्योगिक इकाइयों से आता है. आर्थिक मंदी के चलते साल 2019 सितंबर माह में बीते साल 2018 सितंबर माह की तुलना में टैक्स में काफी कमी आई है.

वाणिज्य कर विभाग के आंकड़ों की मानें तो साल 2018 सितंबर महीने में विभाग को 10187.51 लाख रुपए का कर मिला था. वहीं साल 2019 के सितंबर महीने में विभाग को 10538. 44 लाख रुपए का कर मिला है. इसमें 3.44 लाख की ग्रोथ दर्ज की गई है. जबकि वाणिज्य कर विभाग के नियम के हिसाब से वास्तविक ग्रोथ 25 प्रतिशत के आसपास सालाना आनी चाहिए.

विभाग के अधिकारियों की मानें तो 3.44 प्रतिशत की ग्रोथ दरअसल नई औद्योगिक इकाइयों के रजिस्ट्रेशन से हुई है. इस साल करीब 4 हजार नए रजिस्ट्रेशन हुए हैं. नए रजिस्ट्रेशन के दौरान औद्योगिक इकाइयों को काफी सारा चार्ज कर देना पड़ता है. इसलिए यह ग्रोथ दर्ज की गई है. जबकि असल में वाणिज्य कर विभाग के कर्मी 15 से 20 प्रतिशत की कमी आई है. आंकड़ों के मुताबिक हर दिन स्टील के कई प्लांट बंद हो रहे हैं. ऑटोमोबाइल स्टील यूनिटों में काम बंद रहता है.

ये भी पढ़ें: मंडावा उप चुनाव : झुंझुनू की इस ग्राम पंचायत ने कांग्रेस को दिए दो प्रदेशाध्यक्ष, अब कांग्रेस प्रत्याशी रीटा चौधरी भी यहीं की

अशोक लीलैंड और होंडा सहित बड़े प्लांट महीने में 10 दिन चल रहे हैं. यहां काम करने वाले युवाओं के सामने बेरोजगारी का संकट मंडराने लगा है. वहीं इससे सरकार को आर्थिक तौर पर भी नुकसान पहुंच रहा है. अगर आर्थिक मंदी में सुधार नहीं हुआ तो आने वाले समय में परेशानी बढ़ सकती है.

अलवर. पिछले दिनों आई कुछ रिपोर्ट के मुताबिक देश आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है. विशेषज्ञ आर्थिक मंदी के बारे में कई बार बोल चुके हैं. ऐसे में इस आर्थिक मंदी का राजस्थान की औद्योगिक राजधानी कहे जाने वाले अलवर में भी देखने को मिल रहा है. अलवर जिले में प्रदेश की सबसे ज्यादा औद्योगिक इकाइयां हैं. वाणिज्य कर विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो वाणिज्य कर विभाग में 40 हजार 842 डीलर कर दाता हैं. छोटी-बड़ी औद्योगिक इकाई रजिस्टर्ड हैं इसमें 8 हजार 350 मैन्युफैक्चरिंग यूनिट हैं. वहीं 23 हजार 500 ट्रेडर्स हैं.

अलवर में मंदी का असर.

अलवर में छोटे-बड़े 12 उद्योगिक क्षेत्र हैं. इनमें सबसे ज्यादा ऑटोमोबाइल स्टील आयरन की यूनिट हैं. सरकारी आंकड़ों के हिसाब से अलवर में 160 ऑटोमोबाइल की प्रमुख यूनिट और 150 आयरन स्टील की मुख्य औद्योगिक इकाइयां हैं. अलवर जिला संभाग के कुल राजस्व का 80 से 70 प्रतिशत कर ऑटोमोबाइल स्टील आयरन की औद्योगिक इकाइयों से आता है. आर्थिक मंदी के चलते साल 2019 सितंबर माह में बीते साल 2018 सितंबर माह की तुलना में टैक्स में काफी कमी आई है.

वाणिज्य कर विभाग के आंकड़ों की मानें तो साल 2018 सितंबर महीने में विभाग को 10187.51 लाख रुपए का कर मिला था. वहीं साल 2019 के सितंबर महीने में विभाग को 10538. 44 लाख रुपए का कर मिला है. इसमें 3.44 लाख की ग्रोथ दर्ज की गई है. जबकि वाणिज्य कर विभाग के नियम के हिसाब से वास्तविक ग्रोथ 25 प्रतिशत के आसपास सालाना आनी चाहिए.

विभाग के अधिकारियों की मानें तो 3.44 प्रतिशत की ग्रोथ दरअसल नई औद्योगिक इकाइयों के रजिस्ट्रेशन से हुई है. इस साल करीब 4 हजार नए रजिस्ट्रेशन हुए हैं. नए रजिस्ट्रेशन के दौरान औद्योगिक इकाइयों को काफी सारा चार्ज कर देना पड़ता है. इसलिए यह ग्रोथ दर्ज की गई है. जबकि असल में वाणिज्य कर विभाग के कर्मी 15 से 20 प्रतिशत की कमी आई है. आंकड़ों के मुताबिक हर दिन स्टील के कई प्लांट बंद हो रहे हैं. ऑटोमोबाइल स्टील यूनिटों में काम बंद रहता है.

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अशोक लीलैंड और होंडा सहित बड़े प्लांट महीने में 10 दिन चल रहे हैं. यहां काम करने वाले युवाओं के सामने बेरोजगारी का संकट मंडराने लगा है. वहीं इससे सरकार को आर्थिक तौर पर भी नुकसान पहुंच रहा है. अगर आर्थिक मंदी में सुधार नहीं हुआ तो आने वाले समय में परेशानी बढ़ सकती है.

Intro:अलवर।
देशभर में मंदी के हालात हैं, तो वही ऑटो सेक्टर व टैक्सटाइल सहित कई क्षेत्र इससे खासे प्रभावित हैं। ऐसे में मंदी का सबसे ज्यादा असर अलवर में देखने को मिला है। अलवर की औद्योगिक इकाइयों में काम बंद है व लोग बेरोजगार हो रहे हैं।


Body:देश में आर्थिक मंदी के हालात हैं व विशेषज्ञ आर्थिक मंदी के बारे में कई बार बोल चुके हैं। लेकिन उसके बाद भी केंद्र सरकार इस पर चुप्पी साधे हुए है। ऐसे में आर्थिक मंदी का अलवर में बड़ा प्रभाव देखने को मिला है। अलवर को राजस्थान की औद्योगिक राजधानी कहा जाता है। यहां राजस्थान में सबसे ज्यादा औद्योगिक इकाइयां हैं। वाणिज्य कर विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो वाणिज्य कर विभाग में 40 हजार 842 डीलर कर दाता हैं व छोटी बड़ी औद्योगिक इकाई रजिस्टर्ड है। इसमें 8 हजार 350 मैन्युफैक्चरिंग यूनिट है। तो वही 23 हजार 500 ट्रेडर्स हैं। अलवर में छोटे-बड़े 12 उद्योगी क्षेत्र हैं। इनमें सबसे ज्यादा ऑटोमोबाइल स्टील आयरन की यूनिट है। सरकारी आंकड़ों के हिसाब से अलवर में 160 ऑटोमोबाइल की प्रमुख यूनिट व 150 आयरन स्टील की मुख्य औद्योगिक इकाइयां हैं। अलवर संभाग के कुल राजस्व का 80 से 70 प्रतिशत कर ऑटोमोबाइल स्टील आयरन की औद्योगिक इकाइयों से आता है। आर्थिक मंदी के चलते साल 2019 सितंबर माह में बीते साल सितंबर माह की तुलना में टैक्स में काफी कमी आई है।


Conclusion:वाणिज्य कर विभाग के आंकड़ों की मानें तो साल 2018 सितंबर माह में विभाग को 10187.51 लाख रुपए का कर मिला था। तो वही साल 2019 के सितंबर माह में विभाग को 10538. 44 लाख रुपए का कर मिला है। इसमें 3.44 लाख की ग्रोथ दर्ज की गई है। जबकि वाणिज्य कर विभाग के नियम के हिसाब से वास्तविक ग्रोथ 25 प्रतिशत के आसपास सालाना आनी चाहिए। विभाग के अधिकारियों की माने तो 3.44 प्रतिशत की ग्रोथ दरअसल नई औद्योगिक इकाइयों के रजिस्ट्रेशन से हुई है। इस साल करीब 4000 नए रजिस्ट्रेशन हुए हैं। नए रजिस्ट्रेशन के दौरान औद्योगिक इकाइयों को काफी सारा चार्ज कर देना पड़ता है। इसलिए यह ग्रोथ दर्ज की गई है। जबकि असल में वाणिज्य कर विभाग के कर्मी 15 से 20 प्रतिशत की कमी आई है। प्रतिदिन स्टील के कई प्लांट बंद हो रहे हैं व ऑटोमोबाइल स्टील यूनिटों में काम बंद रहता है। अशोक लीलैंड व हौंडा सहित बड़े प्लांट महीने में 10 दिन चल रहे हैं। ऐसे में इन में काम करने वाले युवाओं के सामने बेरोजगारी का संकट मंडराने लगा है। तो वहीं इससे सरकार को आर्थिक तौर पर भी नुकसान पहुंच रहा है। अगर आर्थिक मंदी में सुधार नहीं हुआ तो आने वाले समय में परेशानी बढ़ सकती है।

पीटीसी-हिमांशु शर्मा, वरिष्ठ संवाददाता, अलवर
बाइट-हिमांशु महावर, प्रेसिडेंट लघु उद्योग भारती, जयपुर संभाग
Last Updated : Oct 17, 2019, 7:08 PM IST
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