अजमेर : बदलते मौसम और त्योहारों के बीच घरों की साफ-सफाई कई बार परेशानी का सबब बन जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि सफाई के दौरान धूल और फंगस उड़ते हैं और ये एलर्जी के मरीजों के लिए बेहद खतरनाक हैं. खासकर अस्थमा और एलर्जी के पेशेंट्स के लिए. इन दोनों ही बीमारियों के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है. यही वजह है कि धूल, धुएं और अस्थमा के अन्य कारकों से खास तौर पर सतर्क रहने की जरूरत है. वहीं, वायरल इंफेक्शन भी श्वास संबंधी रोगियों की तकलीफ को बढ़ा सकता है. चलिए अजमेर के जवाहरलाल लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के सहायक आचार्य डॉ. रमाकांत दीक्षित से एलर्जी और अस्थमा के लक्षण और बचाव के बारे में जानते हैं.
डॉ. रमाकांत दीक्षित ने बताया कि मौसम बदल रहा है. सुबह और शाम को गुलाबी ठंड महसूस होने लगी है. वहीं, दिन को चिलचिलाती धूप और गर्मी का आलम है. ऐसे सर्द-गर्म मौसम में लोग लापरवाही कर बैठते हैं और वायरल इंफेक्शन का शिकार हो जाते हैं. वहीं, इन दिनों त्योहारी सीजन भी चल रहा है. लोग अपने घरों और प्रतिष्ठानों की सफाई में लगे हैं. यह दोनों कारण एलर्जी और अस्थमा रोगियों के लिए मुश्किल बढ़ा रहे हैं. लिहाजा चिकित्सक अस्थमा और एलर्जी के मरीजों को विशेष सावधानी बरतने के लिए कह रहे हैं.
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डॉ. रमाकांत दीक्षित ने कहा कि अस्थमा और एलर्जी के मरीज को धूल और धुएं से दूर रहना चाहिए. यदि आवश्यकता है तो ऐसे मरीज अपने मुंह को कपड़े से ढके, ताकि सफाई के दौरान धूल के कणों के साथ वायरल इंफेक्शन श्वास के साथ शरीर में न जाए. उन्होंने कहा कि हो सके तो डस्टिंग से परहेज करें और गीले कपड़े से सफाई करें, ताकि धूल उड़ने की संभावना कम रहे. वहीं, एलर्जी और अस्थमा रोगी अपनी दवाइयां बंद न करें और उसे समय पर लेते रहे. खासकर इनहेलर का उपयोग जरूर करें.
अस्थमा और एलर्जी के लक्षण : डॉ. दीक्षित ने बताया कि दवाइयां लेने के बाद भी यदि रोग के लक्षण नजर आ रहे हैं, मसलन श्वास लेने में सीटी की आवाज आना, सूखी खांसी आना, रात को खांसी के कारण नींद खुल जाना, नाक में खुजली होना, आंख में खुजली होना, चमड़ी पर चकते उभर आना भी अस्थमा और एलर्जी के प्रारंभिक लक्षण हैं.
बेहद खतरनाक है धुआं : डॉ. रमाकांत दीक्षित ने बताया कि दीपावली का समय नजदीक आ रहा है. ऐसे में कई लोग पहले से ही आतिशबाजी करने लगते हैं. आतिशबाजी से उठने वाले धुएं लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर डालते हैं. खासकर अस्थमा रोगियों को इस धुएं से बचना चाहिए. उन्होंने बताया कि कम धुआं निकलने वाले पटाखों का ही इस्तेमाल करना चाहिए. वहीं, आतिशबाजी खुले स्थान पर होनी चाहिए. संकरे स्थान पर आतिशबाजी करने से लंबे समय तक धुएं का असर रहता है.
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अस्थमा एलर्जी संबंधी रोग : डॉ. दीक्षित ने बताया कि अस्थमा एलर्जी से संबंधित रोग है. इसलिए एलर्जी के कारक के बारे में मालूम होना जरूरी है. ताकि उससे बचा जा सके. खाने पीने की चीजों से भी एलर्जी हो सकती है, जिससे लक्षण नजर आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि रोगी को किस चीज से एलर्जी है तो यह उसे खुद मालूम करना पड़ेगा. हालांकि, जांच के जरिए भी पता लगाया जा सकता है कि रोगी को किस वस्तु से एलर्जी है.
रखें ये सावधानी : उन्होंने बताया कि अस्थमा और एलर्जी के मरीजों को खूब पानी पीना चाहिए. गुनगुना पानी ज्यादा फायदेमंद है. इन दिनों मौसम में परिवर्तन के बीच एसी और कूलर का उपयोग न करें. रात को चादर ओढ़कर सोए और पंखे को कम स्पीड पर रखें. बुजुर्ग और बच्चों को विशेष तौर पर सुबह और शाम को फूल बाह के कपड़े पहनकर रखें.