अलवर. अलवर में सतही पानी के इंतजाम नहीं है. जिले में पानी की किल्लत काफी तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में सरकार ने एक बार फिर से अलवर में सतही पानी लाने के लिए ईसरदा बांध और चंबल नदी में डीपीआर तैयार करने के आदेश दिए हैं. ये आदेश सरकार ने अपने कार्यकाल के अंतिम समय में (DPR for Israda dam And Chambal River) दिया है. डीपीआर को अभी बनने में करीब एक साल का समय लगेगा. माना जा रही है कि इस निर्माण के आदेश सरकार आने वाले चुनाव को देखते हुए दी है. चंबल से पानी लाने के लिए एक बार पहले भी 5000 करोड़ रुपए की डीपीआर तैयार किया जा चुका है. वहीं ईस्टर्न कैनाल योजना से भी पानी लाने की योजना बन चुकी है. लेकिन सभी योजनाएं केवल फाइलों तक सिमट कर रह गई हैं.
लोगों बैठे ट्यूबवेल के भरोसे: प्रदेश में सबसे ज्यादा जनसंख्या जयपुर के बाद अलवर जिले में है. अलवर प्रदेश की औद्योगिक राजधानी है. यहां लाखों श्रमिक काम करते हैं. लेकिन जिले में पानी के हालात दिन पर दिन खराब हो रहे हैं. कई ब्लॉक ऐसे हैं, जहां पानी पूरी तरह से समाप्त हो चुका है. जबकि अन्य जगहों पर कुछ सालों में पानी समाप्त हो जाएगा. बता दें कि पूरे शहर में सतही पानी के इंतजाम नहीं है. जिसके चलते लोगों को ट्यूबवेल के भरोसे रहना पड़ रहा है.
पढ़ें. दौसा की प्यास बुझाएगा ईसरदा बांध, ऊर्जा मंत्री बीड़ी कल्ला ने दी स्वीकृति
वसुंधरा सरकार के कार्यकाल में अलवर में चंबल का पानी लाने के लिए 5000 करोड़ की डीपीआर तैयार की गई थी. लेकिन यह डीपीआर केवल फाइलों तक की सिमट कर रह गई. बिगड़ते हालातों को देखते हुए ईस्टर्न कैनाल योजना (ERCP) से अलवर सहित 13 जिलों को पानी सप्लाई करने की योजना तैयार की गई थी. लेकिन तय योजना भी फाइल से बाहर नहीं निकल पाई. गहलोत सरकार ने एक बार फिर से अलवर जिले में पानी लाने के लिए ईसरदा बांध और चंबल से डीपीआर तैयार करने के आदेश देते हुए एक बजट जारी किया हैं. बता दें कि दोनों योजनाओं के लिए जिले को दो हिस्सों में बांटा गया है.
एक करोड़ रुपए का बजट जारी: ईसरदा बांध से पानी लाने के लिए एक करोड़ रुपए का बजट जारी किया गया है. अलवर जिले के राजगढ़, रेणी, कठूमर, लक्ष्मणगढ़, गोविंदगढ़, मालाखेड़ा, उमरेण, थानागाजी और बानसूर जिले में पानी लाने की योजना तय की गई है. जबकि चंबल से पानी लाने के लिए 27 करोड़ रुपए का बजट मंजूर किया गया है. चंबल योजना में इस बार भरतपुर , धौलपुर, केवला देव वन अभ्यारण सहित अलवर के बचे हुए क्षेत्रों को पानी की सप्लाई कराने के लिए डीपीआर को तैयार किया जा रहा है. बता दें कि चंबल नदी से 8 महीने तक ओवरफ्लो का पानी लिया जाएगा. गर्मी के चार माह में घड़ियालों का आरक्षित पानी (DPR for Israda dam And Chambal River) नहीं लिया जाएगा.
डीपीआर तैयार करने में 6 माह से साल भर का समय लगेगा: प्रदेश सरकार के कार्यकाल को खत्म होने में अभी करीब 13 महीने का समय बचा है. ऐसे में साफ है कि, यह योजना भी केवल फाइलों तक सिमट कर रह जाएगी. क्योंकि प्रदेश में अगर नई सरकार बनेगी तो नई सरकार अपने अनुसार ही डीपीआर तैयार करवाएगी. इन सब के बीच अलवर के लोगों को नुकसान हो रहा है. शहर में सप्ताह में एक दिन ही पानी सप्लाई किया जाता है. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में हालात शहर से ज्यादा खराब हो रहे हैं. आगर एसे ही हालात रहे तो वह दिन दूर नहीं जब पाली और अन्य जिलों की तरह अलवर में भी ट्रेन से पानी सप्लाई होगाय
पानी स्टोर के लिए जगह की गई चिन्हित: जलदाय विभाग के अधिकारियों ने ईसरदा बांध से पानी लाने के लिए कुछ जगहों को चिन्हित किया है. उन जगहों पर पानी स्टोर करने के लिए बड़े टैंक बनाए जाएंगे.और वहां से पानी स्टोर करके जिले में सप्लाई किया जाएगा.
फाइलों से बाहर नहीं बढ़ती योजना
अलवर में सतही पानी लाने की योजना की फाइले कभी बाहर नहीं निकल पाती है. चंबल से पानी लाने के लिए 5000 करोड़ की डीपीआर तैयार की गई थी. इसी के साथ ईस्टर्न कैनाल योजना के माध्यम से अलवर सहित प्रदेश के 13 जिलों में पानी सप्लाई करने की योजना भी (DPR for Israda dam And Chambal River) तैयार की गई थी.