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अलवर में ओबीसी वर्ग से चुना जाएगा जिला प्रमुख - Reservation lottery

अलवर में पंचायती राज संस्थाओं के विभिन्न स्तरों पर पदों के आरक्षण प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब गांव की सरकार बनने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. वहीं जिला प्रमुख चुनाव से पहले 49 वार्डों में जिला परिषद सदस्य का चुनाव होगा.

पिछड़ा वर्ग से चुना जाएगा जिला प्रमुख, District head to be selected from backward class
अलवर में अन्य पिछड़ा वर्ग से चुना जाएगा जिला प्रमुख
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Published : Dec 22, 2019, 12:46 PM IST

अलवर. जिले में इस बार ओबीसी वर्ग से जिला प्रमुख चुना जाएगा. जिला प्रमुख पद के लिए आरक्षण की जयपुर में निकली लॉटरी के बाद यह तय हो पाया. लॉटरी में अलवर जिले के खाते में ओबीसी की सीट आई है. पिछली बार अलवर में सामान्य महिला वर्ग से जिला प्रमुख चुनी गई थीं. लॉटरी खुलने के बाद अब गांवों में भी राजनीति शुरू हो चुकी है.

अलवर में अन्य पिछड़ा वर्ग से चुना जाएगा जिला प्रमुख

पंचायती राज की विभिन्न संस्थाओं में पदों के आरक्षण प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब गांव की सरकार बनने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. वैसे तो गांव की सरकार सरपंच से लेकर जिला प्रमुख तक रहती है, लेकिन सभी चुनाव में ग्रामीणों की रोचक स्थिति है.

पढ़ेंः Exclusive: नागरिक संशोधन बिल पर भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष ज्ञानदेव आहूजा से खास बातचीत

जिला प्रमुख चुनाव से पहले 49 वार्डों में जिला परिषद सदस्य का चुनाव होगा. इन वार्डों में निर्वाचित जिला परिषद सदस्य जिला प्रमुख का निर्वाचन करेंगे. इसीलिए जिला प्रमुख पद पर काबिज होने के लिए कांग्रेस व भाजपा समेत सभी पार्टियां पूरी ताकत झोंक रही है. जिला प्रमुख पद पर चुनाव में बहुमत का आंकड़ा 25 है.

अलवर जिले में लंबे समय के बाद जिला प्रमुख पद ओबीसी के खाते में आया है. इससे पूर्व जिला प्रमुख पद 2014 में सामान्य महिला, 2009 में ओबीसी महिला और 2005 में अनुसूचित जाति के खाते में गया था.

ओबीसी राजनीति जिले में खासी प्रभावशाली रही है. अलवर जिले के 11 विधानसभा क्षेत्रों में से 5 में ओबीसी मतदाता ज्यादा है. इसमें यादव, जाट, गुर्जर सहित ओबीसी के अन्य मतदाता शामिल हैं. 6 विधानसभा क्षेत्रों में ओबीसी वोट बैंक का राजनीति पर खासा असर रहता है. बहरोड़, तिजारा, किशनगढ़ बास, मुंडावर, बानसूर क्षेत्र में ओबीसी राजनीति मुखर रही है.

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जिला प्रमुख का चुनाव कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों के लिए खास रहता है. लिहाजा, दोनों ही पार्टियों की तरफ से चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी गई है.

अलवर. जिले में इस बार ओबीसी वर्ग से जिला प्रमुख चुना जाएगा. जिला प्रमुख पद के लिए आरक्षण की जयपुर में निकली लॉटरी के बाद यह तय हो पाया. लॉटरी में अलवर जिले के खाते में ओबीसी की सीट आई है. पिछली बार अलवर में सामान्य महिला वर्ग से जिला प्रमुख चुनी गई थीं. लॉटरी खुलने के बाद अब गांवों में भी राजनीति शुरू हो चुकी है.

अलवर में अन्य पिछड़ा वर्ग से चुना जाएगा जिला प्रमुख

पंचायती राज की विभिन्न संस्थाओं में पदों के आरक्षण प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब गांव की सरकार बनने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. वैसे तो गांव की सरकार सरपंच से लेकर जिला प्रमुख तक रहती है, लेकिन सभी चुनाव में ग्रामीणों की रोचक स्थिति है.

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जिला प्रमुख चुनाव से पहले 49 वार्डों में जिला परिषद सदस्य का चुनाव होगा. इन वार्डों में निर्वाचित जिला परिषद सदस्य जिला प्रमुख का निर्वाचन करेंगे. इसीलिए जिला प्रमुख पद पर काबिज होने के लिए कांग्रेस व भाजपा समेत सभी पार्टियां पूरी ताकत झोंक रही है. जिला प्रमुख पद पर चुनाव में बहुमत का आंकड़ा 25 है.

अलवर जिले में लंबे समय के बाद जिला प्रमुख पद ओबीसी के खाते में आया है. इससे पूर्व जिला प्रमुख पद 2014 में सामान्य महिला, 2009 में ओबीसी महिला और 2005 में अनुसूचित जाति के खाते में गया था.

ओबीसी राजनीति जिले में खासी प्रभावशाली रही है. अलवर जिले के 11 विधानसभा क्षेत्रों में से 5 में ओबीसी मतदाता ज्यादा है. इसमें यादव, जाट, गुर्जर सहित ओबीसी के अन्य मतदाता शामिल हैं. 6 विधानसभा क्षेत्रों में ओबीसी वोट बैंक का राजनीति पर खासा असर रहता है. बहरोड़, तिजारा, किशनगढ़ बास, मुंडावर, बानसूर क्षेत्र में ओबीसी राजनीति मुखर रही है.

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जिला प्रमुख का चुनाव कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों के लिए खास रहता है. लिहाजा, दोनों ही पार्टियों की तरफ से चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी गई है.

Intro:अलवर
अलवर में ओबीसी जिला प्रमुख चुना जाएगा। जिला प्रमुख पद के आरक्षण की लॉटरी जयपुर में निकाली गई। इसमें अलवर जिले के खाते में ओबीसी की सीट आई है। पिछली बार अलवर में सामान्य महिला वर्ग से जिला प्रमुख चुनी गई थी। लॉटरी निकलने के बाद अब गांव में राजनीति शुरू हो चुकी है।


Body:पंचायती राज संस्थाओं के विभिन्न भागों में पदों के आरक्षण प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब गांव की सरकार बनने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। वैसे तो गांव की सरकार फन सरपंच से लेकर जिला प्रमुख तक रहती है। लेकिन सभी चुनाव में ग्रामीणों की रोचक स्थिति है। जिला प्रमुख चुनाव से पहले 49 वार्डों में जिला परिषद सदस्य का चुनाव होगा। इन वार्डों में निर्वाचित जिला परिषद सदस्य जिला प्रमुख का निर्वाचन करेंगे। इसीलिए जिला प्रमुख पद पर काबिज होने के लिए कांग्रेसमें भाजपा समेत सभी पार्टियां पूरी ताकत झोंक दी है। जिला प्रमुख पद पर चुनाव में बहुमत का आंकड़ा 25 है। अलवर जिले में लंबे समय के बाद जिला प्रमुख पद ओबीसी के खाते में आया है। इससे पूर्व जिला प्रमुख पद 2014 में सामान्य महिला 2009 में ओबीसी महिला व 2005 में अनुसूचित जाति के खाते में गया था। ओबीसी राजनीति जिले में खासी प्रभावशाली रही है। अलवर जिले में 11 विधानसभा क्षेत्रों में से 5 में ओबीसी मतदाता ज्यादा है। इसमें यादव जाट गुर्जर सहित ओबीसी के अन्य मतदाता शामिल हैं। 6 विधानसभा क्षेत्रों में ओबीसी वोट बैंक का राजनीति का असर रहता है। बहरोड़, तिजारा, किशनगढ़ बास, मुंडावर, बानसूर क्षेत्र में ओबीसी राजनीति मुखर रही है।


Conclusion:जिला प्रमुख चुनाव कांग्रेसी और भाजपा दोनों ही पार्टियों के लिए खास रहता है। भाजपा के लिए आपसे उत्तर जिले में करीब 21 तथा दक्षिण में 28 जिला परिषद की सीटें हैं। लेकिन इस बार जिला प्रमुख चुनाव में भाजपा के उत्तर जिले की राजनीति मुखर रहने की उम्मीद है। विधानसभा क्षेत्र बहरोड तिजारा किशनगढ़ बास मुंडावर बानसूर जिला प्रमुख चुनाव में अहम भूमिका निभा सकते हैं। प्रबल दावेदार भी इन्हीं विधानसभाओं से आने की उम्मीद है। हालांकि जिला प्रमुख चुनाव में निर्णायक भूमिका भाजपा के दक्षिण जिले की रहेगी। ऐसे में दोनों ही पार्टियों की तरफ से चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी गई है।
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