अलवर. जिले में इस बार ओबीसी वर्ग से जिला प्रमुख चुना जाएगा. जिला प्रमुख पद के लिए आरक्षण की जयपुर में निकली लॉटरी के बाद यह तय हो पाया. लॉटरी में अलवर जिले के खाते में ओबीसी की सीट आई है. पिछली बार अलवर में सामान्य महिला वर्ग से जिला प्रमुख चुनी गई थीं. लॉटरी खुलने के बाद अब गांवों में भी राजनीति शुरू हो चुकी है.
पंचायती राज की विभिन्न संस्थाओं में पदों के आरक्षण प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब गांव की सरकार बनने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. वैसे तो गांव की सरकार सरपंच से लेकर जिला प्रमुख तक रहती है, लेकिन सभी चुनाव में ग्रामीणों की रोचक स्थिति है.
पढ़ेंः Exclusive: नागरिक संशोधन बिल पर भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष ज्ञानदेव आहूजा से खास बातचीत
जिला प्रमुख चुनाव से पहले 49 वार्डों में जिला परिषद सदस्य का चुनाव होगा. इन वार्डों में निर्वाचित जिला परिषद सदस्य जिला प्रमुख का निर्वाचन करेंगे. इसीलिए जिला प्रमुख पद पर काबिज होने के लिए कांग्रेस व भाजपा समेत सभी पार्टियां पूरी ताकत झोंक रही है. जिला प्रमुख पद पर चुनाव में बहुमत का आंकड़ा 25 है.
अलवर जिले में लंबे समय के बाद जिला प्रमुख पद ओबीसी के खाते में आया है. इससे पूर्व जिला प्रमुख पद 2014 में सामान्य महिला, 2009 में ओबीसी महिला और 2005 में अनुसूचित जाति के खाते में गया था.
ओबीसी राजनीति जिले में खासी प्रभावशाली रही है. अलवर जिले के 11 विधानसभा क्षेत्रों में से 5 में ओबीसी मतदाता ज्यादा है. इसमें यादव, जाट, गुर्जर सहित ओबीसी के अन्य मतदाता शामिल हैं. 6 विधानसभा क्षेत्रों में ओबीसी वोट बैंक का राजनीति पर खासा असर रहता है. बहरोड़, तिजारा, किशनगढ़ बास, मुंडावर, बानसूर क्षेत्र में ओबीसी राजनीति मुखर रही है.
पढ़ेंः कैसा है 'रैन' में बसेरा: चूरू नगर परिषद के आश्रय स्थल में रजाई-गद्दों के सिवाय कुछ खास इंतजाम नहीं
जिला प्रमुख का चुनाव कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों के लिए खास रहता है. लिहाजा, दोनों ही पार्टियों की तरफ से चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी गई है.