अलवर. जिला सहित प्रदेश में कोरोना का कहर अभी थमा ही नहीं कि ब्लैक फंगस ने दस्तक दे दी. वैसे तो अलवर जिले में आधीकरिक तौर पर ब्लैक फंगस का कोई मामला देखने को नहीं मिला है. लेकिन फिर भी प्रशासन इसकी तैयारियो को लेकर सतर्क है. अलवर जिले में कोरोना की द्वितीय लहर को रोकने और संभावित तीसरी लहर की तैयारियों को लेकर भी प्रशासन लगातार बैठके कर रहा है.
जानकारों की मानें तो कोरोना कि तीसरी लहर सबसे ज्यादा बच्चों को प्रभावित करेगी. वही ब्लैक फंगस उन डायबटीक मरीजों को सबसे ज्यादा प्रभावीत करेगा जिन्हें कोरोना से ठीक होने के लिए एस्टेरॉयड दिए गए और जिस कारण उनकी इम्युनिटी का लेवल कमजोर हो गया.
कलेक्टर नन्नू मल पहाड़िया ने बताया कि राज्य सरकार ब्लैक फंगस और कोरोना की तीसरी लहर को लेकर गंभीर है. जिसके चलते लगातार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मॉनिटरिंग की जा रही है. डीएम ने बताया कि वीसी में जिला स्तर के मेडिकल विशेषज्ञ ने ब्लैक, वाइट, येल्लो फंगस के लक्षण, बचाव और सावधानियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी है.
डीएम ने बताया ब्लैक फंगस के लक्षण दिखाई देने पर तत्काल रुप से डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और डॉक्टर की सलाह के बिना कोई दवा नहीं लेनी चाहिए. बैठक में कलेक्टर ने उपखंड अधिकारी और बीसीएमएचओ को निर्देश दिये की जो कोविड संक्रमित मरीज स्वस्थ हुए हैं और ऐक्टिव कोविड मरीजों का घर-घर सर्वे मेडिकल टीमों की ओर से कराया जाए. इसके लिए उन्हें ब्लैक फंगस के बारे में आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान करें.
डीएम ने बताया कि सर्वेक्षण के दौरान कोरोना या ब्लैक फंगस की आशंका होने पर मरीज को अग्रिम उपचार के लिए स्थानीय चिकित्सा संस्थानों में भिजवाया जाएगा. मरीज की स्थिति के अनुसार उन्हें जिला स्तरीय अथवा अन्य सूचीबद्ध अस्पतालों में उपचार के लिए भेजा जाएगा. इसके अलावा बैठक में कलेक्टर ने उपखंड अधिकारी और बीसीएमओ को निर्देशित किया कि झोलाछाप डॉक्टरों और नीम हकीमो के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई की जाए.