अलवर. अलवर का कलाकंद (मावा) देश-विदेश में अपनी खास पहचान रखता है. प्रतिदिन हजारों क्विंटल कलाकंद एनसीआर, हरियाणा व प्रदेश के विभिन्न शहरों में सप्लाई होता है. त्योहारी सीजन में इसकी डिमांड कई गुना बढ़ जाती है. डिमांड पूरी करने के लिए मिलावटखोर लोगों की जान से खिलवाड़ करने से भी नहीं चूकते हैं.
अलवर का कलाकंद पूरे देश में सप्लाई होता है. देश के अलावा सऊदी अरब सहित कई अन्य देशों में भी अलवर का कलाकंद लोगों के दिलों में मिठास खोलता है. अलवर से प्रतिदिन हजारों क्विंटल मिठाई व बड़ी मात्रा में दूध दिल्ली, गुड़गांव, फरीदाबाद, पलवल, रेवाड़ी, गाजियाबाद, नोएडा, मेरठ तक सप्लाई होता है. लेकिन बीते कुछ सालों से मोटा मुनाफा कमाने के चक्कर में कुछ लोगों ने मिलावट का खेल शुरू (Adulterated mawa supply from Alwar) किया और कलाकंद की छवि को नुकसान पहुंचाया.
जिले के हलवाई व मिठाई एसोसिएशन की मानें तो प्रतिदिन करीब 10 लाख लीटर दूध की आवक होती है. इसमें से करीब 55 प्रतिशत दूध घरों में काम आता है. 6 लाख लीटर से ज्यादा दूध की मिठाइयां बनती हैं. अलवर में 60 प्रतिशत मिठाइयों में कलाकंद बनता है. जबकि 40 प्रतिशत में अन्य सभी मिठाइयां आती हैं. दीपावली के त्योहारी सीजन में 15 से 20 लाख लीटर दूध की डिमांड रहती है. इस डिमांड को पूरा करने के लिए मिलावटखोर जमकर मिलावट करते हैं.
व्यापारियों की मानें तो अलवर जिले से प्रतिदिन 4 से 5 हजार किलो कलाकंद मिठाई दिल्ली-एनसीआर में सप्लाई होती है. इसके अलावा जिले में 2000 किलो की भी डिमांड रहती है. एक स्थानीय व्यापारी ने दबी जुबान से कलाकंद में मिलावट होने की बात कबूली. उन्होंने कहा कि कुछ क्षेत्र में मिलावटी दूध का काम होता है. उन लोगों के कारण अलवर जिला बदनाम हो रहा है. व्यापारियों ने बताया कि 4 किलो दूध में एक किलो मावा तैयार होता है. ऐसे में साफ है कि मावा, कलाकंद व मिठाइयों के लिए ज्यादा दूध की आवश्यकता होती है. दिवाली के सीजन में दूध की डिमांड बढ़ जाती है. यही वहज है कि डिमांड पूरी करने के लिए जमकर मिलावट की जाती है.
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जिले के इन एरिया में मिलावटखोरी का कारोबार: अलवर जिला मुख्यालय से बाहर निकलते ही चारों तरफ सिंथेटिक व नकली दूध, पनीर और मावे के अवैध कारखाने चल रहे हैं. कटोरीवाला तिबारा, छठी मील, चिकानी, डहरा शाहपुर, जिंदोली, ततारपुर, किशनगढ़बास, खैरथल, तिजारा, टपूकड़ा, भिवाड़ी, बहरोड़, लोहिया का तिबारा, रामगढ़, नौगांवा, बड़ौदामेव, गोविंदगढ़, खेरली, लक्ष्मणगढ़, दादर, कुशालगढ़, माधोगढ़, थानागाजी, राजगढ़ आदि इलाकों में दर्जनों कारखाने खुले हैं. जहां सिंथेटिक व मिलावटी दूध से पनीर और मावा आदि तैयार कर बेचा जा रहा है.
दिन के हिसाब से कीमत होती है निर्धारित: दुकानदारों ने बताया कि कलाकंद व मिठाई कितने दिनों में काम लेनी है. उसके अनुसार कीमत निर्धारित होती है. अगर किसी को 5 दिन में कलाकंद काम में लेना है, तो वो कलाकंद 180 रुपए किलो में भी मिल जाता है. ज्यादा दिन तक अगर उसे कलाकंद रखना है, तो उस कलाकंद के 200 से 250 रुपए किलो के हिसाब से देने पड़ते हैं. इसी तरह से अन्य चीजों की कीमतें भी निर्धारित होती हैं. सबसे ज्यादा कलाकंद की डिमांड रहती है.
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नाम बदलकर बेच रहे मिलावटी सामान: स्वास्थ्य विभाग की खैरथल और बहादुरपुर में छापे की कार्रवाई के दाैरान जांच में खुलासा हुआ था कि मिलावट खोर कलाकंद (मिल्क केक) काे दूध पाक, यम्मी केक व स्वीट केक नाम पर बेच रहे हैं. मिलावटी कलाकंद 90 से 120 रुपए किलाे में अन्य बड़े शहरों में सप्लाई हो रहा है. जिले में प्रतिदिन नकली दूध में मावा पकड़ा जाता है. बीते एक माह के दौरान सरस डेयरी में तीन से चार टैंकर मिलावटी दूध के पकड़े गए. इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग की टीम की जांच पड़ताल में प्रतिदिन नकली दूध का मावा पकड़ा जाता है. सैंपल की जांच में भी सबसे ज्यादा मिलावटी सैंपल दूध, कलाकंद, मिठाई व दूध से बनी हुई मिठाई के मिले (Adulterated food items on the rise) हैं.
अलवर सरस डेयरी में 2 लाख लीटर दूध की आवक होती है, लेकिन इन दिनों सरस डेयरी में करीब 1 लाख 30 हजार लीटर दूध प्रतिदिन की आवक हो रही है. जिले में दूध की डिमांड 1 लाख 10 हजार लीटर है. अलवर सरस डेयरी का दूध दिल्ली कैंट, गुडगांव सहित आसपास क्षेत्र में सप्लाई होता है. इसके अलावा जिले में 25 से 30 हजार लीटर दूध अमूल से, 10 हजार लीटर दूध लोटस व अन्य कंपनियों का सप्लाई होता है. अलवर में सखी सहित कई सहायता समूह हैं. वे भी दूध सप्लाई करती हैं. इसके अलावा पूरे जिले में करीब 5000 से ज्यादा दूध सप्लाई करने वाले लोग हैं. जो घर-घर जाकर दूध सप्लाई करते हैं. वो लोग भी हजारों लीटर दूध सप्लाई करते हैं.
सामान्य मिठाई की रेट:
- कलाकंद - 380 से 400 रुपए किलो
- सफेद और काले रसगुल्ले- 240 रुपए किलो
- बर्फी- 380 रुपए किलो
- काजू कतली - 700 से 800 रुपए किलो
- रसभरी - 240 रुपए किलो
- पनीर - 380 से 400 रुपए किलो
- मावा - 300 से 360 रुपए किलो
मिलावटी कारोबार वाले स्थान पर मिठाई की रेट
- काले और सफेद रसगुल्ले 65 से 70 रुपए किलो
- कलाकंद 120 से 160 रुपए किलो
- बर्फी 110 रुपए किलो
- काजू कतली 250 से 300 रुपए किलो
- रसभरी 100 से 120 रुपए किलो
- मावा 120 से 150 रुपए किलो
- पनीर 130 से ही 180 रुपए किलो