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ये कैसी मुसीबत...दोहरी मार झेल रहे दिव्यांगों ने कहा- सिर्फ दो वक्त की रोटी की व्यवस्था कर दो, ताकि हम भी जी लें - livelihood bread crisis

कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन में लोग अपनी रोजी-रोटी की जद्दोजहद कर रहे हैं. हर कोई किसी भी तरह से अपना और परिवार का पेट पालने के लिए संघर्ष कर रहा है. ऐसे में सबसे ज्यादा दयनीय हालत उन दिव्यांगों की हो गई है, जो हमेशा अपनों पर ही निर्भर होने को मजबूर होते हैं. दिव्यांगों के हालात पर पेश है ये खास रिपोर्ट...

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लॉकडाउन में दिव्यांगों पर पड़ रही दोहरी मार
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Published : May 30, 2020, 4:46 PM IST

अलवर. लॉकडाउन के दौरान वैसे तो सभी को परेशानी उठानी पड़ रही है. लेकिन दिव्यांगों को ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. दिव्यांगों का काम छूट चुका है, तो वहीं लोग कोरोना के डर से उनकी मदद भी नहीं कर रहे हैं.

लॉकडाउन में दिव्यांगों पर पड़ रही दोहरी मार

अलवर जिले की बात करें तो यहां पर करीब 40 हजार दिव्यांग हैं. इनमें से 27 हजार सरकारी आंकड़ों में दर्ज हैं और करीब 8 हजार नि:शक्तजन हैं. वैसे तो ये पूरी तरीके से अपने परिवार में दूसरों पर निर्भर रहते हैं. लेकिन कुछ लोग पेट भरने के लिए नौकरी भी करते हैं तो कुछ व्यवसाय करते हैं. लॉकडाउन में दिव्यांगों का व्यवसाय बंद हो चुका है तो वहीं नौकरी छूट चुकी है.

ऐसे में दो वक्त की रोटी के लिए दिव्यांगों को खासी परेशानी उठानी पड़ रही है. इन सबके बीच नि:शक्तजनों को ज्यादा दिक्कत हो रही है. क्योंकि आमतौर पर घर से बाहर निकलने वाले नि:शक्तजनों की लोग मदद करते हैं. उनको सड़क पार करवाते हैं. लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते कोई भी व्यक्ति इनकी मदद नहीं कर रहा है.

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दिव्यांगों ने कहा- सिर्फ रोटी की व्यवस्था करवा दो

यह भी पढ़ेंः अलवर: शराब के ठेके को बंद कराने की मांग को लेकर स्थानीय महिलाओं ने किया धरना प्रदर्शन

ईटीवी भारत से खास बातचीत में दिव्यांगों ने बताया कि लॉकडाउन में उनकी परेशानी बढ़ गई है. कानून के हिसाब से जिस तरह से दिव्यांगों को वोट डालने में मदद मिलती है. उसी तरह से इस आपदा की घड़ी में सरकार को दिव्यांगों की मदद करनी चाहिए, जिससे दिव्यांग अपना पेट भर सकें. क्योंकि लॉकडाउन के चलते लोगों का काम धंधा बंद हो गए हैं. इतना ही नहीं दो वक्त की रोटी के लिए भीख मांगने वाले लोगों को भी अब कोई मदद नहीं मिल रही है. क्योंकि लोग घरों में बंद हैं. मजबूरी में दिव्यांग दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर हैं.

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ईटीवी भारत पर दिव्यांगों का झलका दर्द

दिव्यांगों ने बताया कि सरकार की अभी तक कोई मदद नहीं मिली है. यही हालात रही तो आने वाले समय में परेशानी और बढ़ सकती है. दिव्यांगों को सरकार की तरफ से अभी तक कोई मदद नहीं मिली है. कुछ दिव्यांगों के हालात ज्यादा खराब हैं. सरकार और प्रशासन की तरफ से लगातार राशन और खाना सभी जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाने के दावे किए जा रहे थे. लेकिन अलवर में हालात कुछ और नजर आए. इसके अलावा दिव्यांगों ने बताया कि उनके खाते में भी पैसे नहीं आए हैं.

यह भी पढ़ेंः हैवानियत! धौलपुर में विवाहिता की दोनों आंखें फोड़ी, जीभ काटी...फिर गला दबाकर की निर्मम हत्या

अलवर के हालात पर एक नजर...

  • अलवर में 40 हजार से अधिक दिव्यांग हैं
  • अलवर शहर में 15 हजार के आसपास दिव्यांग हैं
  • इनमें नि:शक्तजनों की संख्या करीब 3 हजार है
  • पैरों से विकलांग लोगों की संख्या ज्यादा है
  • दिव्यांगों में छह श्रेणियां होती हैं
  • सरकार की तरफ से छह श्रेणियों में दिव्यांगों के प्रमाण-पत्र बनाए जाते हैं
  • अलवर में कई समितियां हैं, जो दिव्यांगों पर काम कर रही हैं
  • समितियों की तरफ से दिव्यांगों को कृत्रिम अंग लगाए जाते हैं
  • इसके अलावा उनको उपकरण भी बांटे जाते हैं

हाल ही में सरकार की तरफ से दिव्यांगों के नए प्रमाण पत्र बनाए गए. इसके तहत सबसे ज्यादा रजिस्ट्रेशन राजस्थान के अलवर जिले में हुए. अलवर में 50 हजार से अधिक दिव्यांगों ने प्रमाण पत्र बनवाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया. कोरोना काल के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने में परेशानी हो रही है. लॉकडाउन में काम बंद होने से इनका रोजगार छिन गया है. जीवन यापन करने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. दो वक्त की रोटी के लिए कई तरह की दिक्कतें आ रही हैं.

अलवर. लॉकडाउन के दौरान वैसे तो सभी को परेशानी उठानी पड़ रही है. लेकिन दिव्यांगों को ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. दिव्यांगों का काम छूट चुका है, तो वहीं लोग कोरोना के डर से उनकी मदद भी नहीं कर रहे हैं.

लॉकडाउन में दिव्यांगों पर पड़ रही दोहरी मार

अलवर जिले की बात करें तो यहां पर करीब 40 हजार दिव्यांग हैं. इनमें से 27 हजार सरकारी आंकड़ों में दर्ज हैं और करीब 8 हजार नि:शक्तजन हैं. वैसे तो ये पूरी तरीके से अपने परिवार में दूसरों पर निर्भर रहते हैं. लेकिन कुछ लोग पेट भरने के लिए नौकरी भी करते हैं तो कुछ व्यवसाय करते हैं. लॉकडाउन में दिव्यांगों का व्यवसाय बंद हो चुका है तो वहीं नौकरी छूट चुकी है.

ऐसे में दो वक्त की रोटी के लिए दिव्यांगों को खासी परेशानी उठानी पड़ रही है. इन सबके बीच नि:शक्तजनों को ज्यादा दिक्कत हो रही है. क्योंकि आमतौर पर घर से बाहर निकलने वाले नि:शक्तजनों की लोग मदद करते हैं. उनको सड़क पार करवाते हैं. लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते कोई भी व्यक्ति इनकी मदद नहीं कर रहा है.

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दिव्यांगों ने कहा- सिर्फ रोटी की व्यवस्था करवा दो

यह भी पढ़ेंः अलवर: शराब के ठेके को बंद कराने की मांग को लेकर स्थानीय महिलाओं ने किया धरना प्रदर्शन

ईटीवी भारत से खास बातचीत में दिव्यांगों ने बताया कि लॉकडाउन में उनकी परेशानी बढ़ गई है. कानून के हिसाब से जिस तरह से दिव्यांगों को वोट डालने में मदद मिलती है. उसी तरह से इस आपदा की घड़ी में सरकार को दिव्यांगों की मदद करनी चाहिए, जिससे दिव्यांग अपना पेट भर सकें. क्योंकि लॉकडाउन के चलते लोगों का काम धंधा बंद हो गए हैं. इतना ही नहीं दो वक्त की रोटी के लिए भीख मांगने वाले लोगों को भी अब कोई मदद नहीं मिल रही है. क्योंकि लोग घरों में बंद हैं. मजबूरी में दिव्यांग दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर हैं.

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ईटीवी भारत पर दिव्यांगों का झलका दर्द

दिव्यांगों ने बताया कि सरकार की अभी तक कोई मदद नहीं मिली है. यही हालात रही तो आने वाले समय में परेशानी और बढ़ सकती है. दिव्यांगों को सरकार की तरफ से अभी तक कोई मदद नहीं मिली है. कुछ दिव्यांगों के हालात ज्यादा खराब हैं. सरकार और प्रशासन की तरफ से लगातार राशन और खाना सभी जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाने के दावे किए जा रहे थे. लेकिन अलवर में हालात कुछ और नजर आए. इसके अलावा दिव्यांगों ने बताया कि उनके खाते में भी पैसे नहीं आए हैं.

यह भी पढ़ेंः हैवानियत! धौलपुर में विवाहिता की दोनों आंखें फोड़ी, जीभ काटी...फिर गला दबाकर की निर्मम हत्या

अलवर के हालात पर एक नजर...

  • अलवर में 40 हजार से अधिक दिव्यांग हैं
  • अलवर शहर में 15 हजार के आसपास दिव्यांग हैं
  • इनमें नि:शक्तजनों की संख्या करीब 3 हजार है
  • पैरों से विकलांग लोगों की संख्या ज्यादा है
  • दिव्यांगों में छह श्रेणियां होती हैं
  • सरकार की तरफ से छह श्रेणियों में दिव्यांगों के प्रमाण-पत्र बनाए जाते हैं
  • अलवर में कई समितियां हैं, जो दिव्यांगों पर काम कर रही हैं
  • समितियों की तरफ से दिव्यांगों को कृत्रिम अंग लगाए जाते हैं
  • इसके अलावा उनको उपकरण भी बांटे जाते हैं

हाल ही में सरकार की तरफ से दिव्यांगों के नए प्रमाण पत्र बनाए गए. इसके तहत सबसे ज्यादा रजिस्ट्रेशन राजस्थान के अलवर जिले में हुए. अलवर में 50 हजार से अधिक दिव्यांगों ने प्रमाण पत्र बनवाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया. कोरोना काल के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने में परेशानी हो रही है. लॉकडाउन में काम बंद होने से इनका रोजगार छिन गया है. जीवन यापन करने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. दो वक्त की रोटी के लिए कई तरह की दिक्कतें आ रही हैं.

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