अलवर. लॉकडाउन के दौरान वैसे तो सभी परेशान हैं. लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं जिनको काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. उसमें एक है मोची वर्ग. इनका काम पूरी तरह से ग्राहकों पर निर्भर रहता है. लेकिन इस वक्त तो लोग घरों में बंद है. ऐसे में मोची का काम करने वाले लोगों का काम-धंधा पूरी तरीके से ठप्प पड़ा है. इन लोगों के दो वक्त की रोटा का भी इंतजाम हो जाए तो बड़ी बात होगी.
जिले में लॉकडाउन के दौरान श्रमिक, प्रतिदिन मजदूरी करके अपना पेट भरने वाले या कमठाना मजदूरों को पेट भरने के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जिले में सैकड़ों परिवार है जो मोची का काम करता है. जब ईटीवी भारत की टीम ने मोचियों से बातचीत की तो उनके चेहरों की उदासी साफ झलक रही थी. उनका कहना था कि लॉकडाउन के कारण कामकाज पूरी तरीके से बंद है. सरकार से अब तक कोई खास मदद नहीं मिली है. कुछ जगहों पर राशन का गेहूं मिला है उसी से अभी तक काम चल रहे हैं. एक मोची ने कहा कि रोज काम करने के बाद भी शाम तक सौ से डेढ़ सौ रुपए ही कमा पाते हैं. जिससे किसी तरह परिवार का पेट पलता है.
पढ़ेंः हेयर ड्रेसर और पार्लर का काम करने वाले लोगों पर मंडरा रहा आर्थिक संकट, घर के हालात हो रहे खराब
मोचियों ने कहा कि सरकार और प्रशासन की तरफ से लगातार जरूरतमंदों को राशन किट और सहायता उपलब्ध कराने के दावे किए जा रहे हैं. लेकिन हमें अभी तक कोई सहायता नहीं मिली है. इनके परिवार में 4 से 5 सदस्य हैं. सभी की हालत बद से बदतर हो गई है. चौराहों और गली के नुक्कड़ पर लोगों की जूतियां गाठने वाले मोची इन दिनों लॉगडाउन की मार झेल रहे हैं.