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नगर परिषद चुनाव- 2019ः अलवर में किसका बनेगा बोर्ड, कांग्रेस-भाजपा में लगी होड़

अलवर के नगर परिषद के सभापति पद के चुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही अपनी-अपनी गणित बैठाने में लगी हुई हैं. वहीं दोनों ही पार्टियां दावा कर रही हैं कि वे अपना बोर्ड बनाएंगी.

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Published : Nov 23, 2019, 9:59 PM IST

अलवर. नगर परिषद के सभापति पद के चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए ये सीट अब प्रतिष्ठा की सीट बन चुकी है. दोनों ही पार्टियों ने इस चुनाव में अपनी-अपनी पूरी ताकत झोंक रही है, तो वहीं नेताओं को अब क्रॉस वोटिंग का डर भी सताने लगा है, जिससे क्रॉस वोटिंग से बचाने की कवायद दोनों ही पार्टियों की तरफ से की जा रही है.

चुनाव के लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही बैठाईं अपनी-अपनी गणित
इस दौरान भाजपा और कांग्रेस दोनों की तरफ से नगर परिषद में बोर्ड बनाने का दावा किया जा रहा है. दोनों ही पार्टी 40- 40 पार्षदों का समर्थन होने का दावा कर रही है, तो वहीं कांग्रेस की ओर से भाजपा के बाड़ाबंदी में सेंध लगाकर पार्षदों को छुड़ाने की घटना के बाद लगातार अलवर की राजनीति गरमाई हुई है. जितने पार्षद दोनों पार्टियों के खेमे में है, उस आधार पर वो हार जीत का गणित लगा रहे हैं. लेकिन असल में सभी निर्दलीय शहर में है, उनसे भी दोनों पार्टियों के नेता संपर्क साधे हुए हैं. ऐसे में जिसका राजनीतिक गणित सटीक होगा, उसी का अलवर में बोर्ड बनेगा.
पढ़ें- अलवरः बाड़ेबंदी से पार्षदों को छुड़वाने का मामला, भाजपा शहर विधायक ने कांग्रेस पर लगाए कई गंभीर आरोप

बता दें कि स्थानीय नेताओं के अलावा प्रदेश स्तर के नेता भी अलवर की राजनीति में जोड़-तोड़ करने में जुटे हुए हैं. फिलहाल निर्दलीय पार्षदों के परिजनों और अन्य सदस्यों से भी मिलने-जुलने का काम चल रहा है. दोनों ही पार्टियां एक-एक पार्षद को अपने पक्ष में करने का हर संभव प्रयास कर रही है. इसीलिए लगातार दोनों को गणित बनता और बिगड़ता हुआ नजर आ रहा है. ऐसे में जिसका गुणा-भाग कमजोर होगा, उसकी नैया डूब सकती है. जहां एक ओर नेताओं की नींद उड़ी हुई है, वहीं दूसरी ओर पार्षद नजरबंद जैसी स्थितियों में है. होटलों में ही पार्षदों को घूमने और खाना खाने की अनुमति है तो वहीं उनके फोन की भी रखवाली की जा रही हैं.

अलवर. नगर परिषद के सभापति पद के चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए ये सीट अब प्रतिष्ठा की सीट बन चुकी है. दोनों ही पार्टियों ने इस चुनाव में अपनी-अपनी पूरी ताकत झोंक रही है, तो वहीं नेताओं को अब क्रॉस वोटिंग का डर भी सताने लगा है, जिससे क्रॉस वोटिंग से बचाने की कवायद दोनों ही पार्टियों की तरफ से की जा रही है.

चुनाव के लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही बैठाईं अपनी-अपनी गणित
इस दौरान भाजपा और कांग्रेस दोनों की तरफ से नगर परिषद में बोर्ड बनाने का दावा किया जा रहा है. दोनों ही पार्टी 40- 40 पार्षदों का समर्थन होने का दावा कर रही है, तो वहीं कांग्रेस की ओर से भाजपा के बाड़ाबंदी में सेंध लगाकर पार्षदों को छुड़ाने की घटना के बाद लगातार अलवर की राजनीति गरमाई हुई है. जितने पार्षद दोनों पार्टियों के खेमे में है, उस आधार पर वो हार जीत का गणित लगा रहे हैं. लेकिन असल में सभी निर्दलीय शहर में है, उनसे भी दोनों पार्टियों के नेता संपर्क साधे हुए हैं. ऐसे में जिसका राजनीतिक गणित सटीक होगा, उसी का अलवर में बोर्ड बनेगा.
पढ़ें- अलवरः बाड़ेबंदी से पार्षदों को छुड़वाने का मामला, भाजपा शहर विधायक ने कांग्रेस पर लगाए कई गंभीर आरोप

बता दें कि स्थानीय नेताओं के अलावा प्रदेश स्तर के नेता भी अलवर की राजनीति में जोड़-तोड़ करने में जुटे हुए हैं. फिलहाल निर्दलीय पार्षदों के परिजनों और अन्य सदस्यों से भी मिलने-जुलने का काम चल रहा है. दोनों ही पार्टियां एक-एक पार्षद को अपने पक्ष में करने का हर संभव प्रयास कर रही है. इसीलिए लगातार दोनों को गणित बनता और बिगड़ता हुआ नजर आ रहा है. ऐसे में जिसका गुणा-भाग कमजोर होगा, उसकी नैया डूब सकती है. जहां एक ओर नेताओं की नींद उड़ी हुई है, वहीं दूसरी ओर पार्षद नजरबंद जैसी स्थितियों में है. होटलों में ही पार्षदों को घूमने और खाना खाने की अनुमति है तो वहीं उनके फोन की भी रखवाली की जा रही हैं.

Intro:अलवर
अलवर नगर परिषद भाजपा व कांग्रेस की प्रतिष्ठा की सीट बन चुकी है। दोनों ही पार्टियों ने अलवर में पूरी ताकत झोंक दी है। तो वहीं नेताओं को अब क्रॉस वोटिंग का डर भी सताने लगा है। क्रॉस वोटिंग से बचाने की कवायद दोनों ही पार्टियों की तरफ से की जा रही है।


Body:भाजपा में कांग्रेस की तरफ से लगातार अलवर में बोर्ड बनाने का दावा किया जा रहा है। दोनों ही पार्टी 40- 40 पार्षदों का समर्थन होने का दावा कर रही है। तो वहीं कांग्रेस द्वारा भाजपा के बड़े बंदी पर हमला कर पार्षदों को छुड़ाने की घटना के बाद लगातार अलवर की राजनीति गरमाई चुकी है। अब दोनों ही पार्टियों के नेताओं को क्रॉस वोटिंग का डर सताने लगा है। ऐसे में क्रॉस वोटिंग से बचाने के लिए दोनों ही पार्टियों ने पूरी ताकत झोंक दी है। जितने पार्षद दोनों पार्टियों के खेमे में है। उस आधार पर वो हार जीत का गणित लगा रहे हैं। लेकिन असल में सभी निर्दलीय शहर में है उनसे भी दोनों पार्टियों के नेता संपर्क साधे हुए हैं। ऐसे में जिसका राजनीतिक गणित सटीक होगा। उसी का अलवर में बोर्ड बनेगा। नेता लगातार अपने बयानों में पूर्ण बहुमत हासिल करने का दावा कर रहे हैं।


Conclusion:स्थानीय नेताओं के अलावा प्रदेश स्तर के नेता भी अलवर की राजनीति में जोड़-तोड़ करने में जुटे हुए हैं। निर्दलीय पार्षदों के परिजनों अन्य सदस्यों से भी मिले जुले का काम चल रहा है। दोनों ही पार्टियां एक एक पार्षद को अपने पक्ष में कर हर संभव प्रयास कर रही है। इसीलिए लगातार दोनों को गणित बनता हुआ व बिगड़ता हुआ नजर आ रहा है। ऐसे में जिसका गुणा भाग कमजोर होगा। उसकी नैया डूब सकती है। नेताओं की नींद उड़ी हुई है। तो वहीं पार्षद नज़रबंद जैसी स्थितियों में है। होटलों में ही पार्षदों को घूमने में खाना खाने की अनुमति है। तो वहीं उनके फोन भी रखवाली गए हैं।

बाइट-संजय शर्मा, भाजपा शहर विधायक
बाइट- टीकाराम जूली, प्रदेश श्रम मंत्री
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