अलवर. नगर परिषद के सभापति पद के चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए ये सीट अब प्रतिष्ठा की सीट बन चुकी है. दोनों ही पार्टियों ने इस चुनाव में अपनी-अपनी पूरी ताकत झोंक रही है, तो वहीं नेताओं को अब क्रॉस वोटिंग का डर भी सताने लगा है, जिससे क्रॉस वोटिंग से बचाने की कवायद दोनों ही पार्टियों की तरफ से की जा रही है.
बता दें कि स्थानीय नेताओं के अलावा प्रदेश स्तर के नेता भी अलवर की राजनीति में जोड़-तोड़ करने में जुटे हुए हैं. फिलहाल निर्दलीय पार्षदों के परिजनों और अन्य सदस्यों से भी मिलने-जुलने का काम चल रहा है. दोनों ही पार्टियां एक-एक पार्षद को अपने पक्ष में करने का हर संभव प्रयास कर रही है. इसीलिए लगातार दोनों को गणित बनता और बिगड़ता हुआ नजर आ रहा है. ऐसे में जिसका गुणा-भाग कमजोर होगा, उसकी नैया डूब सकती है. जहां एक ओर नेताओं की नींद उड़ी हुई है, वहीं दूसरी ओर पार्षद नजरबंद जैसी स्थितियों में है. होटलों में ही पार्षदों को घूमने और खाना खाने की अनुमति है तो वहीं उनके फोन की भी रखवाली की जा रही हैं.