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Gangaur Puja 2022: शाही लवाजमे से निकली गणगौर की सवारी, झांकियों ने मोहा मन

गणगौर पर्व धूमधाम से मनाया गया. अजमेर और अलवर में शाही ठाठ-बाट से गणगौर की सवारी निकाली (Grand procession of Gangaur) गई. सवारी के साथ निकली झांकियों ने लोगों का मन मोह लिया. दो साल बाद मनाए इस पर्व में लोगों ने उत्साह से भाग लिया. सवारी के साथ हाथी, घोड़ा, ऊंट, बग्गी एवं शाही हथियारधारी सैनिकों ने गणगौर की सवारी में चार चांद लगा दिए.

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Published : Apr 4, 2022, 7:07 PM IST

Updated : Apr 4, 2022, 11:07 PM IST

Gangaur Puja 2022
अलवर में नजर आई गणगौर की धूम

अलवर/अजमेर. दो साल बाद गणगौर की सवारी अलवर और अजमेर में निकाली गई. जहां अलवर में गणगौर की सवारी को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया, वहीं अजमेर में श्री नागरीदास सांस्कृतिक संस्था की ओर से ईसर-गणगौर की भव्य सवारी निकाली गई.

अलवर के सिटी पैलेस से शुरू हुई यह सवारी सागर जलाशय के पास से होकर गुजरी. इस दौरान पुलिस ने गार्ड ऑफ ऑनर (Gangaur procession in Alwar) दिया. अलवर का सिटी पैलेस देश-विदेश में अपनी खास पहचान रखता है. 200 साल पहले सन 1800 में महाराजा बख्तावर सिंह सिटी पैलेस में परिवार के साथ शिफ्ट हुए थे. उससे पहले बख्तावर सिंह बाला किले में रहते थे. उनके समय से सिटी पैलेस में गणगौर माता की सवारी निकाली जा रही है. इतिहासकार नरेंद्र सिंह ने बताया कि राजशाही समय में राजा इस गणगौर की सवारी में शामिल होते थे. लेकिन आज अलवर के सभी जाति-धर्म के लोग इसमें शामिल होते हैं.

अजमेर के किशनगढ़ में इस बार गणगौर की सवारी का श्री नागरीदास सांस्कृतिक संस्था की ओर से भव्य आयोजन किया गया. बता दें कि किशनगढ़ में गणगौर की शाही सवारी निकलने की परंपरा किशनगढ़ रियासतकाल से है. ईसर-गणगौर की सवारी को पुष्पों से सजी सुंदर बग्गी में विराजमान किया गया.सवारी के शाही लवाजमें में हाथी, घोड़ा, ऊंट, बग्गी एवं शाही हथियारधारी सैनिकों के साथ-साथ मनमोहक झांकियां शामिल रहीं, जिसमें श्रीराधाकृष्ण रास, शिव बारात एवं केरल की परंपरागत झांकिया प्रमुख रहीं. साथ बीरबल नृत्य भी सवारी में अलग ही आकर्षण का केन्द्र बना हुआ था. सवारी का मुख्य आकर्षण प्रसिद्ध राधा कृष्ण बैण्ड और पंजाब से आया भटिण्डा बैण्ड रहा.

पढ़ें: Gangaur Puja 2022: जयपुर में निकलेगी शाही सवारी, लोक नृत्य का होगा आयोजन

मीडिया प्रभारी अनुपम रतावा ने बताया कि बैंड की मधुर धुनों के बीच काचरिया पीठ के पीठाधीश्वर जय कृष्ण देवाचार्य के सानिध्य में सवारी किले चौक से आरंभ होकर तांगा स्टेण्ड, सदर बाजार, पिनारी चौक, सरवाड़ी गेट कल्याण राय कटला पहुंची, जहां ईसर-गणगौर को विराजमान किया गया. सवारी फिर से रवाना होकर गोविन्द देव जी मंदिर, कचहरी चौक होते हुए किले में विराजित हुई. देवाचार्य ने बताया कि आदि गुरू भगवान शिव जी की अर्द्धांगिनी माता पार्वती की गणना संसार की सर्वश्रेश्ठ सती नारियों में की जाती है. दाम्पत्य प्रेम के उच्च आदर्श की शिक्षा देने के लिए राजस्थान में ईसर-गणगौर का पर्व (गणगौर महोत्सव) राजसी वैभव के अनुसार मनाया जाता है. इस दौरान विधायक सुरेश टाक का क्षेत्रवासियों ने स्वागत किया. विधायक ने देर रात खड़े रहकर सदर बाजार की सड़क निर्माण कार्य करावाया था.

पढ़ें: झालावाड़: हर्षोल्लास के साथ मनाया गया राजस्थान का पारंपरिक त्योहार गणगौर, महिलाओं ने की ईसर-पार्वती की पूजा-अर्चना

कॉपर में निकाली ईसर-गणगौर की सवारी: झुंझुनूं में कॉपर के आवासीय क्वार्टरों में गणगौर के त्योहार पर राजपूत समाज द्वारा ईसर-गणगौर की शाही सवारी निकाली गई. राजपूत धर्मशाला में समाज के तत्वाधान में सोमवार शाम को गणगौर समारोह धूमधाम से मनाया गया. राजपूत धर्मशाला से ईसर-गणगौर की शाही सवारी कस्बे के मुख्य मार्गों से होते हुए निकाली गई. राजपूत धर्मशाला से प्रारंभ हुई ईसर-गणगौर की सवारी जगदंबा मार्केट, सेंट्रल मार्केट, सब्जी मंडी न्यू मार्केट, प्रथम सेक्टर, राजस्थान स्कूल सुभाष मार्केट, एनटीए होते हुए राजपूत धर्मशाला में जाकर संपन्न हुई. नवविवाहिताओं ने ईसर-गणगौर की पूजा अर्चना कर सुहाग की मंगल कामना की. गणगौर का पूजन कर बावड़ी में गणगौर का विसर्जन किया गया.

अलवर/अजमेर. दो साल बाद गणगौर की सवारी अलवर और अजमेर में निकाली गई. जहां अलवर में गणगौर की सवारी को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया, वहीं अजमेर में श्री नागरीदास सांस्कृतिक संस्था की ओर से ईसर-गणगौर की भव्य सवारी निकाली गई.

अलवर के सिटी पैलेस से शुरू हुई यह सवारी सागर जलाशय के पास से होकर गुजरी. इस दौरान पुलिस ने गार्ड ऑफ ऑनर (Gangaur procession in Alwar) दिया. अलवर का सिटी पैलेस देश-विदेश में अपनी खास पहचान रखता है. 200 साल पहले सन 1800 में महाराजा बख्तावर सिंह सिटी पैलेस में परिवार के साथ शिफ्ट हुए थे. उससे पहले बख्तावर सिंह बाला किले में रहते थे. उनके समय से सिटी पैलेस में गणगौर माता की सवारी निकाली जा रही है. इतिहासकार नरेंद्र सिंह ने बताया कि राजशाही समय में राजा इस गणगौर की सवारी में शामिल होते थे. लेकिन आज अलवर के सभी जाति-धर्म के लोग इसमें शामिल होते हैं.

अजमेर के किशनगढ़ में इस बार गणगौर की सवारी का श्री नागरीदास सांस्कृतिक संस्था की ओर से भव्य आयोजन किया गया. बता दें कि किशनगढ़ में गणगौर की शाही सवारी निकलने की परंपरा किशनगढ़ रियासतकाल से है. ईसर-गणगौर की सवारी को पुष्पों से सजी सुंदर बग्गी में विराजमान किया गया.सवारी के शाही लवाजमें में हाथी, घोड़ा, ऊंट, बग्गी एवं शाही हथियारधारी सैनिकों के साथ-साथ मनमोहक झांकियां शामिल रहीं, जिसमें श्रीराधाकृष्ण रास, शिव बारात एवं केरल की परंपरागत झांकिया प्रमुख रहीं. साथ बीरबल नृत्य भी सवारी में अलग ही आकर्षण का केन्द्र बना हुआ था. सवारी का मुख्य आकर्षण प्रसिद्ध राधा कृष्ण बैण्ड और पंजाब से आया भटिण्डा बैण्ड रहा.

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मीडिया प्रभारी अनुपम रतावा ने बताया कि बैंड की मधुर धुनों के बीच काचरिया पीठ के पीठाधीश्वर जय कृष्ण देवाचार्य के सानिध्य में सवारी किले चौक से आरंभ होकर तांगा स्टेण्ड, सदर बाजार, पिनारी चौक, सरवाड़ी गेट कल्याण राय कटला पहुंची, जहां ईसर-गणगौर को विराजमान किया गया. सवारी फिर से रवाना होकर गोविन्द देव जी मंदिर, कचहरी चौक होते हुए किले में विराजित हुई. देवाचार्य ने बताया कि आदि गुरू भगवान शिव जी की अर्द्धांगिनी माता पार्वती की गणना संसार की सर्वश्रेश्ठ सती नारियों में की जाती है. दाम्पत्य प्रेम के उच्च आदर्श की शिक्षा देने के लिए राजस्थान में ईसर-गणगौर का पर्व (गणगौर महोत्सव) राजसी वैभव के अनुसार मनाया जाता है. इस दौरान विधायक सुरेश टाक का क्षेत्रवासियों ने स्वागत किया. विधायक ने देर रात खड़े रहकर सदर बाजार की सड़क निर्माण कार्य करावाया था.

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कॉपर में निकाली ईसर-गणगौर की सवारी: झुंझुनूं में कॉपर के आवासीय क्वार्टरों में गणगौर के त्योहार पर राजपूत समाज द्वारा ईसर-गणगौर की शाही सवारी निकाली गई. राजपूत धर्मशाला में समाज के तत्वाधान में सोमवार शाम को गणगौर समारोह धूमधाम से मनाया गया. राजपूत धर्मशाला से ईसर-गणगौर की शाही सवारी कस्बे के मुख्य मार्गों से होते हुए निकाली गई. राजपूत धर्मशाला से प्रारंभ हुई ईसर-गणगौर की सवारी जगदंबा मार्केट, सेंट्रल मार्केट, सब्जी मंडी न्यू मार्केट, प्रथम सेक्टर, राजस्थान स्कूल सुभाष मार्केट, एनटीए होते हुए राजपूत धर्मशाला में जाकर संपन्न हुई. नवविवाहिताओं ने ईसर-गणगौर की पूजा अर्चना कर सुहाग की मंगल कामना की. गणगौर का पूजन कर बावड़ी में गणगौर का विसर्जन किया गया.

Last Updated : Apr 4, 2022, 11:07 PM IST
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