अलवर. श्रद्धा और आस्था का त्योहार छठ पूरी पावनता के साथ देश के शहरों और राज्यों में मनाया जा रहा है. इस त्योहार के बीच दिल्ली की यमुना नदी में प्रदूषण की भयानक तस्वीरें सामने आई. यमुना में प्रदूषण के कारण जहरीला झाग जमा हो गया है. छठ का व्रत करने वाली महिलाएं इसी प्रदूषित जल के बीच पूजा-अर्चना करती नजर आई थी.
नदियां और तालाब आस्था के प्रतीक हैं. इनकी शुद्धता और प्रदूषण को कम करने के लिए अलवर में प्रदूषण नियंत्रक विभाग एक ट्रायल कर रहा है. इसके तहत जिले के अग्यारा बांध में प्रदूषण कम के लिए विशेष पौधे लगाए जाएंगे. ये पौधे प्रदूषण सोखने की क्षमता रखते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं. केन इंडिका नाम के इस पौधे के खेप बांध के पास लगाई जाएंगे, अगर परिणाम आशा के अनुरूप रहे तो इसे देशभर में इस्तेमाल किया जा सकता है.
अग्यारा बांध में किया जा रहा प्रयोग
देश में नदी बांध झील प्रदूषित हो रहे हैं. छठ पूजा से पहले दिल्ली की यमुना नदी में प्रदूषण का भयंकर मंजर सामने आया. इन सबके बीच अलवर में नदी व तालाब में होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए अभिनव प्रयोग किया जाएगा. अलवर के एमआईए उद्योगी क्षेत्र के पास अग्यारा बांध में औद्योगिक क्षेत्र का दूषित पानी जाता है. ऐसे में बांध के दूषित पानी में मछलियों की मौत हो जाती है. बिगड़ते हुए हालात को देखते हुए अलवर प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने अग्यारा बांध का प्रदूषण कम करने के लिए एक नवाचार किया है.
केना इंडिका पौधा क्या सोख लेगा प्रदूषण ?
नवाचार के तहत बांध के आसपास क्षेत्र पर विशेष तरह के पौधे केना इंडिका लगाए जा रहे हैं. इसकी शुरुआत मंगलवार से हो गई है. बांध के पास 3 फुट लंबा व 3 फुट चौड़ा एक प्लेटफार्म बनाया गया है. इस प्लेटफार्म पर केना इंडिका के पौधे लगाए गए हैं. प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों की मानें तो यह पौधा दक्षिण भारत और अन्य कई राज्यों में लगा हुआ है. इस पौधे की जड़ों में पानी का प्रदूषण रोकने की क्षमता होती है. इससे बांध का प्रदूषण दूर होगा. साथ ही यह पौधा ऑक्सीजन छोड़ता है. प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अधिकारियों की मानें तो इस प्रयोग से बांध में फैलने वाले प्रदूषण में कमी आएगी.
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आज से पौधे लगाने का काम शुरू
मंगलवार को प्रदूषण विभाग के अधिकारियों ने बांध में पौधे लगाने का काम शुरू किया. इसके लिए पानी में तैरते हुए एक मचान बनाई गई है. इस पर मिट्टी डाली जाएगी. मिट्टी की मोटी परत पानी के संपर्क में रहेगी. नमी युक्त मिट्टी में केना इंडिका पौधे लगाए जाएंगे. इन पौधों की जड़ें लगातार पानी के प्रदूषण को सोख कर पौधों का पोषण करती हैं. इस तरह पौधों को पानी के साथ पोषण मिलेगा व बांध के प्रदूषण में कमी आएगी.
प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अधिकारियों ने कहा कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो इसके बाद जिले के अन्य बांधों में भी इसी तरह के प्रयोग किए जाएंगे और बांध की क्षमता के अनुसार क्षेत्र में पौधे लगाए जाएंगे. अभी बांध का पानी पीने योग्य नहीं है. लेकिन बांध के पानी में प्रदूषण का स्तर कम होने के बाद इस पानी को जानवरों के पीने और साफ सफाई व अन्य काम में लिया जा सकेगा.
अलवर में हैं 129 बांध
अलवर जिले में 129 बांध हैं. इसमें 22 बांध 300 हैक्टेयर एरिया से बड़े हैं और सिंचाई विभाग के पास है. जबकि अन्य पंचायत समिति के हैंड ओवर हैं. सभी बांधों के पानी में प्रदूषण का लेवल अधिक है. प्रदूषण कम करने के तमाम दावे किए जाते हैं, लेकिन हालातों में कोई सुधार नहीं है. ऐसे में अलवर में प्रदूषण विभाग की तरफ से एक नया प्रयास किया जा रहा है.
अग्यारा बांध में रहता है प्रदूषण
अलवर के औद्योगिक क्षेत्र एमआईए के पास अग्यारा बांध है. इस बांध में औद्योगिक क्षेत्र की औद्योगिक इकाइयों का दूषित पानी जाता है. जिसके चलते बांध का पानी दूषित होता है. कई बार औद्योगिक इकाइयों को दूषित पानी नहीं छोड़ने के निर्देश दिए गए, लेकिन उसके बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ. अब देखना होगा कि केना इंडिका का यह पौधा क्या कमाल दिखाता है.