अलवर. आबकारी विभाग ने इस बार अपनी नीतियों में बदलाव करते हुए शराब की दुकानों के लिए ऑनलाइन नीलामी प्रक्रिया शुरू की है. विभाग ने इस बार कई तरह के टैक्स में बढ़ोतरी भी की है. विभाग की ओर से बनाई गई यह नीति अब अधिकारियों के ही गले का फांस बन गई है. पूरे प्रदेश में अब तक शराब की दुकानों के लिए तीन नीलामी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, जबकि चौथी प्रक्रिया जारी है. लेकिन इसके बाद भी प्रदेश में शराब की दुकानें खाली पड़ी हैं. ठेकेदार दुकानों में रुचि नहीं दिखा रहे हैं, हालांकि प्रदेश में अलवर बेहतर स्थान पर है.
अभी तक लॉटरी के माध्यम से शराब की दुकानों की नीलामी होती थी. लोग आवेदन करते थे और प्रशासन व विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में उन आवेदनों में से लॉटरी निकाली जाती थी. इसमें बड़ी संख्या में लोग आवेदन करते थे, लेकिन इस बार आबकारी विभाग की तरफ से नीतियों में बदलाव किया गया है. इस साल दुकानों की नीलामी ऑनलाइन की जा रही है. विभाग की तरफ से नीलामी प्रक्रिया में शामिल होने की राशि 20 हजार रुपए से बढ़ाकर 60 हजार रुपए कर दी गई है. इसके अलावा आवेदनकर्ता को दुकान के हिसाब से पहले कुछ प्रतिशत राशि एडवांस जमा करनी पड़ती है.
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कई अन्य बदलाव भी किए गए हैं जैसे अगर कोई स्टॉक नहीं उठाता है तो पर पेटी ठेकेदार पर तीन से चार हजार रुपए तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है, सभी दुकानों की निर्धारित सरकारी बोली की राशि में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है. इसके अलावा नई नीति को लॉन्च करते हुए विभाग के उच्च अधिकारियों का दावा था कि इससे सरकार को ज्यादा राजस्व मिलेगा, तो वहीं दुकानदार को भी खासा फायदा होगा. विभाग को राजस्व तो जरूर मिल रहा है, लेकिन दुकानदार व ठेकेदारों को मुनाफा नहीं मिल रहा है.
इसका असर यह है कि पहली बार प्रदेश में ऐसा देखने को मिल रहा है, जब शराब की दुकानें कोई लेने के लिए तैयार नहीं है. पूरे प्रदेश में सैकड़ों दुकानें अभी नीलामी प्रक्रिया में शामिल नहीं हैं. आबकारी विभाग की तरफ से पूरे प्रदेश में अब तक तीन नीलामी प्रक्रिया कराई जा चुकी हैं. चौथी नीलामी प्रक्रिया भी चल रही है. एक और दो तारीख को ऑनलाइन नीलामी होनी है. प्रदेश के सभी जिलों में शराब की दुकानें फिलहाल खाली हैं.
हालांकि अलवर की स्थिति अन्य जिलों की तुलना में बेहतर है. जिले में 293 शराब की दुकानें हैं जिसमें से केवल 48 दुकानें ही नीलामी के लिए बची हैं जबकि अन्य सभी दुकानें नीलाम हो चुकी हैं. विभाग को भी अब तक करोड़ों का राजस्व इन दुकानों से मिल चुका है. दूसरी तरफ श्री गंगानगर, हनुमानगढ़, भीलवाड़ा व उदयपुर जैसे जिलों में 100 से अधिक दुकानें नीलामी प्रक्रिया में शामिल हैं, लेकिन उनके खरीदार नहीं मिल रहे हैं.
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विभिन्न जिलों के हालात पर एक नजर
श्री गंगानगर में 183 दुकान अभी खाली हैं. इसी तरह हनुमानगढ़ में 138, अजमेर में 137, भीलवाड़ा में 114, उदयपुर में 108, सीकर में 86, नागौर में 73, जोधपुर में 55, पाली में 53, चित्तौड़गढ़ में 51, अलवर में 48, राजसमंद में 48, टोंक में 38, झुंझुनू में 37, बीकानेर में 35, डूंगरपुर में 34, जयपुर ग्रामीण में 33, सिरोही में 32, कोटा में 31, बूंदी में 28, बांसवाड़ा में 27, सवाई माधोपुर में 22, झालावाड़ में 17, जालौर में 16, प्रतापगढ़ में 14, जयपुर शहर में 13, बाड़मेर में 12, जैसलमेर में 12, दौसा में 9, बारां में 6, करौली में छह, भरतपुर में तीन, चूरू में तीन और धौलपुर में एक दुकान अभी खाली है.
दुकानदार और ठेकेदार परेशान
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान दुकानदार और ठेकेदारों का कहना है कि नई नीति दुकानदार व ठेकेदारों के पक्ष में नहीं है. विभाग की तरफ से साल 2020-21 की आय के हिसाब से रेट बढ़ना चाहिए, जबकि विभाग ने 2019-20 की आय के हिसाब से 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है. इसके अलावा नीलामी में शामिल होने की शर्तों में भी कई तरह के बदलाव किए गए हैं. इससे लाखों का नुकसान झेलना पड़ रहा है. जुर्माने की राशि में भी बढ़ोतरी की गई है.
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कोरोना से डरे हुए हैं लोग
दुकानदारों ने कहा कि लोगों में कोरोना का डर बैठा हुआ है. क्योंकि कोरोना के चलते बीते साल दुकानों को बंद करा दिया गया था. जबकि विभाग ने उनसे पैसे व जुर्माने की राशि वसूली है. ऐसे में सभी दुकानदारों को लाखों रुपए का नुकसान हुआ है. कोरोना के चलते शराब की डिमांड भी कम हो गई है. लगातार कोरोना का प्रभाव एक बार फिर से बढ़ने लगा है. ऐसे में दुकानदार भी डरे हुए हैं कि कभी भी सरकार दुकानें खुलने पर रोक लगा सकती है. यही कारण है कि लोग आवेदन नहीं कर रहे हैं.
बेहतर हालात में अलवर
राजस्थान में अलवर जिला अन्य जिलों की तुलना में बेहतर स्थिति में है. जिले में 293 शराब की दुकानें हैं. इनमें से ज्यादातर दुकानें नीलाम हो चुकी हैं. केवल 48 दुकानें बची हुई हैं. विभाग के अधिकारियों की मानें तो यह दुकानें भी चौथी नीलामी प्रक्रिया में नीलाम हो जाएंगी. विभाग को इससे करोड़ों रुपए का राजस्व मिला है.