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SPECIAL: कोरोना ने दिव्यांगों की बदली जिंदगी, जीवन जीना हुआ मुश्किल

कोरोना की वजह से वैसे तो हर वर्ग के लोग के परेशान हैं. लेकिन दिव्यांगों को इस वक्त काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. दिव्यांगों के लिए सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करना सबसे बड़ी चुनौती है. खासकर के दृष्टिहीन और मानसिक रूप से बीमार दिव्यांग. ऐसे में जिले की एक संस्था ने दिव्यांगों के लिए खास तरह का गैजेट बनाया है. जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर.

अलवर के दिव्यांग, handicap of alwar
दिव्यांगों को करना पड़ रहा मुश्किलों का सामना
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Published : Jun 29, 2020, 10:28 PM IST

अलवर. यह जिला राजस्थान के बड़े जिलों में शामिल है. अलवर में करीब 98 हजार दिव्यांग है. प्रदेश में सबसे ज्यादा दिव्यांग जयपुर में हैं. वहीं दूसरे स्थान पर जोधपुर और तीसरे स्थान पर अलवर है. इसमें सभी तरह के दिव्यांग शामिल हैं. दिव्यांगों की मदद के लिए कई संस्थाएं चलती हैं. कुछ संस्थाओं की तरफ से दिव्यांगों के लिए स्कूल का संचालन भी होता है. जिनमें दिव्यांग बच्चों को पढ़ाया जाता है. साथ ही उनको जीवन जीने के तरीकों के बारे में भी जानकारी दी जाती है.

दिव्यांगों की ढाल बनेगा ये दिव्य अस्त्र

अलवर में एक नवदिशा नाम की संस्था चलती है. जिसमें बड़ी संख्या में दिव्यांग बच्चे रहते हैं और पढ़ाई करते हैं. हालांकि लॉकडाउन के चलते इन दिनों सभी बच्चों को उनके घर भेज दिया गया है. लेकिन कुछ ऐसे हैं जो लावारिस हैं. इन हालातों में दिव्यांग के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा और अब कोरोना संक्रमण के बाद एक दिव्यांग अपना जीवन कैसे जी रहा है.

अलवर के दिव्यांग, handicap of alwar
संस्था ने दिव्यांगों के लिए गैजेट बनाया

इस बारे में ईटीवी भारत से नवदिशा संस्थान के संचालक अवनीश मलिक से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में कोरोना ने दिव्यांगों का जीवन पूरी तरह से बदल दिया है. पहले बिना सहारे और बिना किसी मदद के दिव्यांग एक जगह से दूसरी जगह पर चले जाते थे. लेकिन अब उनको आने-जाने में खासी दिक्कत हो रही है. साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पाता है और संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है.

अलवर के दिव्यांग, handicap of alwar
दिव्यांगों को है सरकार से मदद की दरकार

पढ़ेंः अलवर: कोरोना संक्रमितों की संख्या 500 पार, 8 लोगों की मौत

उन्होंने कहा कि वैसे तो सभी दिव्यांगों को खासी परेशानी हो रही है. लेकिन नेत्रहीन और मानसिक रूप से विकलांग दिव्यांगों को ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. नेत्रहीन लोगों के लिए सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करना थोड़ा मुश्किल है. इसी तरह से मानसिक रूप से दिव्यांगों को किसी भी चीज की जानकारी नहीं होती. उनको नहीं पता होता है कि किस व्यक्ति से कितना दूर रहना है. कौन सी चीज को छूना है या नहीं. हालांकि दिव्यांगों की कई संस्थाएं लगातार इन समस्याओं पर पर काम करते हुए कई गैजेट तैयार कर रही हैं.

अवनीश ने सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करने वाले एक गैजेट को दिखाते हुए बताया कि इसको पहनने से नेत्रहीन लोगों को चारों तरफ से आने जाने वाले लोगों की जानकारी एक बीप के माध्यम से मिलती है. जिससे वे समझ जाएंगे कि उन्हें सोशल डिस्टेंस मेंटेन करना है. वहीं अब इस गैजेट में कैमरें भी लगाए जा रहें हैं जिससे दीवार, जानवर, गाड़ी सहित अन्य चीजों के आने की जानकारी भी दिव्यांग को मिल सकेगी.

पढ़ेंः अलवरः तेज रफ्तार कार ने मारी बाइक सवार को टक्कर, इलाज के दौरान मौत

इसके अलावा मानसिक विकलांग लोगों के लिए भी एक गैजेट तैयार किया जा रहा है, जिसमें करंट सिस्टम रहेगा. किसी दूसरे व्यक्ति के पास आने पर दिव्यांग के सामने वाले व्यक्ति को करंट लगेगा. यह करंट का झटका बहुत धीरे होगा. जिससे दोनों लोगों को किसी भी तरह की कोई समस्या तो नहीं होगी, लेकिन वह सोशल डिस्टेंस मेंटेन कर लेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार को दिव्यांगों की मदद करनी चाहिए. क्योंकि कोरोना के चलते दिव्यांग का जीवन मुश्किल में आ गया है. ऐसे में सरकार को सरकारी योजनाओं की मदद से जरूरतमंद दिव्यांगों की हर संभव मदद करनी चाहिए.

अलवर. यह जिला राजस्थान के बड़े जिलों में शामिल है. अलवर में करीब 98 हजार दिव्यांग है. प्रदेश में सबसे ज्यादा दिव्यांग जयपुर में हैं. वहीं दूसरे स्थान पर जोधपुर और तीसरे स्थान पर अलवर है. इसमें सभी तरह के दिव्यांग शामिल हैं. दिव्यांगों की मदद के लिए कई संस्थाएं चलती हैं. कुछ संस्थाओं की तरफ से दिव्यांगों के लिए स्कूल का संचालन भी होता है. जिनमें दिव्यांग बच्चों को पढ़ाया जाता है. साथ ही उनको जीवन जीने के तरीकों के बारे में भी जानकारी दी जाती है.

दिव्यांगों की ढाल बनेगा ये दिव्य अस्त्र

अलवर में एक नवदिशा नाम की संस्था चलती है. जिसमें बड़ी संख्या में दिव्यांग बच्चे रहते हैं और पढ़ाई करते हैं. हालांकि लॉकडाउन के चलते इन दिनों सभी बच्चों को उनके घर भेज दिया गया है. लेकिन कुछ ऐसे हैं जो लावारिस हैं. इन हालातों में दिव्यांग के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा और अब कोरोना संक्रमण के बाद एक दिव्यांग अपना जीवन कैसे जी रहा है.

अलवर के दिव्यांग, handicap of alwar
संस्था ने दिव्यांगों के लिए गैजेट बनाया

इस बारे में ईटीवी भारत से नवदिशा संस्थान के संचालक अवनीश मलिक से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में कोरोना ने दिव्यांगों का जीवन पूरी तरह से बदल दिया है. पहले बिना सहारे और बिना किसी मदद के दिव्यांग एक जगह से दूसरी जगह पर चले जाते थे. लेकिन अब उनको आने-जाने में खासी दिक्कत हो रही है. साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पाता है और संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है.

अलवर के दिव्यांग, handicap of alwar
दिव्यांगों को है सरकार से मदद की दरकार

पढ़ेंः अलवर: कोरोना संक्रमितों की संख्या 500 पार, 8 लोगों की मौत

उन्होंने कहा कि वैसे तो सभी दिव्यांगों को खासी परेशानी हो रही है. लेकिन नेत्रहीन और मानसिक रूप से विकलांग दिव्यांगों को ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. नेत्रहीन लोगों के लिए सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करना थोड़ा मुश्किल है. इसी तरह से मानसिक रूप से दिव्यांगों को किसी भी चीज की जानकारी नहीं होती. उनको नहीं पता होता है कि किस व्यक्ति से कितना दूर रहना है. कौन सी चीज को छूना है या नहीं. हालांकि दिव्यांगों की कई संस्थाएं लगातार इन समस्याओं पर पर काम करते हुए कई गैजेट तैयार कर रही हैं.

अवनीश ने सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करने वाले एक गैजेट को दिखाते हुए बताया कि इसको पहनने से नेत्रहीन लोगों को चारों तरफ से आने जाने वाले लोगों की जानकारी एक बीप के माध्यम से मिलती है. जिससे वे समझ जाएंगे कि उन्हें सोशल डिस्टेंस मेंटेन करना है. वहीं अब इस गैजेट में कैमरें भी लगाए जा रहें हैं जिससे दीवार, जानवर, गाड़ी सहित अन्य चीजों के आने की जानकारी भी दिव्यांग को मिल सकेगी.

पढ़ेंः अलवरः तेज रफ्तार कार ने मारी बाइक सवार को टक्कर, इलाज के दौरान मौत

इसके अलावा मानसिक विकलांग लोगों के लिए भी एक गैजेट तैयार किया जा रहा है, जिसमें करंट सिस्टम रहेगा. किसी दूसरे व्यक्ति के पास आने पर दिव्यांग के सामने वाले व्यक्ति को करंट लगेगा. यह करंट का झटका बहुत धीरे होगा. जिससे दोनों लोगों को किसी भी तरह की कोई समस्या तो नहीं होगी, लेकिन वह सोशल डिस्टेंस मेंटेन कर लेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार को दिव्यांगों की मदद करनी चाहिए. क्योंकि कोरोना के चलते दिव्यांग का जीवन मुश्किल में आ गया है. ऐसे में सरकार को सरकारी योजनाओं की मदद से जरूरतमंद दिव्यांगों की हर संभव मदद करनी चाहिए.

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