अलवर. राजस्थान सरकार के आने वाले बजट में अलवर को शिशु अस्पताल की सौगात मिल सकती है. दरसअल, अलवर का गीतानंद शिशु अस्पताल में आज भी एक ही वार्ड है. इसलिए यहां पर ना तो डॉक्टरों की सुविधा है ना ही इलाज के संसाधन है. ऐसे में यहां आने वाले लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है. इसलिए अलवर को शिशु अस्पताल सरकार दे सकती है.
वहीं, अलवर के राजीव गांधी सामान्य अस्पताल में प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों में सबसे ज्यादा मरीजों की ओपीडी रहती है. हॉस्पिटल में प्रतिदिन करीब 4000 मरीज इलाज के लिए ओपीडी में आते है. इसी तरह के हालात वार्ड में भी देखने को मिलते हैं. तो वहीं गीतानंद शिशु वार्ड में प्रतिदिन 500 के आसपास बच्चों की ओपीडी रहती है. जबकि अस्पताल के ओपीडी में दो से तीन डॉक्टर रहते हैं. इसके अलावा वार्ड में मरीजों के इलाज की कोई सुविधा नहीं है.
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बता दें, कि अभी कुछ समय पहले वार्ड में इमरजेंसी सेवाएं शुरू की गई थी, लेकिन वो भी संचालन करने में खासी दिक्कत आ रही है. बीते दिनों एफबीएनसी रेडिएंट बार-बार में आग लगने और एक बच्चे की मौत के बाद प्रदेश सरकार का ध्यान अलवर पर गया. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की नींद खुली और मरीजों की संख्या के हिसाब से अस्पताल प्रशासन से प्रस्ताव मांगा गया.
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राजीव गांधी सामान्य अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुनील चौहान ने बताया कि 240 बेड का अस्पताल शुरू करने का प्रस्ताव बनाकर प्रदेश के श्रम मंत्री टीकाराम जूली को दिया था. उनके माध्यम से यह प्रस्ताव प्रदेश के मुख्यमंत्री के पास पहुंचाया गया. मुख्यमंत्री ने तुरंत मामले की गंभीरता को समझते हुए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी को पत्र लिखा. इसकी जानकारी सामान्य अस्पताल प्रशासन को भी दी गई. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि राजस्थान सरकार का आने वाले बजट में अलवर को अस्पताल की घोषणा हो सकती है.