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शाहजहांपुर-खेड़ा बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन, केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी - किसानों का विरोध प्रदर्शन

जिले के शाहजहांपुर में राजस्थान-हरियाणा सीमा पर किसानों का आंदोलन बढ़ रहा है. साथ ही, किसानों की संख्या भी दिनोंदिन बढ़ रही हैं. युवा किसानों ने शाहजहांपुर खेडा बोर्डर जयपुर-दिल्ली हाईवे पर जमकर विरोध प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

शाहजहांपुर-खेड़ा बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन...
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Published : Feb 22, 2021, 6:11 AM IST

अलवर. जिले के शाहजहांपुर में राजस्थान-हरियाणा सीमा पर किसानों का आंदोलन बढ़ रहा है. साथ ही, किसानों की संख्या भी दिनोंदिन बढ़ रही हैं. युवा किसानों ने शाहजहांपुर खेडा बोर्डर जयपुर-दिल्ली हाईवे पर जमकर विरोध प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

इस दौरान आमसभा का आयोजन हुआ, जिसमें किसान वक्ताओं ने संबोधित करते हुए बताया कि इतिहास खुद को दोहरा रहा है. सन 1906-07 में किशन सिंह और अजीत सिंह ने अंग्रेजों के तीन काले कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन खड़ा किया था, जिन्हें बाद में अंग्रेजों को वापस लेना पड़ा. अगर अंग्रेज उन कानूनों को वापस नहीं लेते, तो जमींदार अपनी ही ज़मीन पर मजदूर बनकर रह जाता. 'पगड़ी संभाल जट्टा' इस आंदोलन का नारा बना. आज भी कमोबेश हालात वही हैं, वहीं तीन काले कानून आज हैं, बस अंग्रेज़ों की जगह उनके नौकर आ गये हैं.

पढ़ें: सीकर में 23 फरवरी को राकेश टिकैत की किसान महापंचायत, जोरों पर तैयारियां

23 फरवरी को पगड़ी संभाल दिवस मनाया जाएगा. यह दिन चाचा अजीत सिंह एवं स्वामी सहजानंद सरस्वती की याद में मनाया जाएगा. इस दिन किसान अपने आत्मसम्मान का इजहार करते हुए अपनी क्षेत्रीय पगड़ी पहनेंगे. उसके बाद 24 फरवरी को 'दमन विरोधी दिवस' की घोषणा की गई, जिसमें किसान आंदोलन पर हो रहे चौतरफा दमन का विरोध किया जाएगा. इस दिन सभी तहसील व जिला मुख्यालयों पर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिए जाएंगे.

26 फरवरी को दिल्ली मोर्चे के तीन महीने पूरे होने पर युवाओ के योगदान को सम्मानपूर्वक 'युवा किसान दिवस' मनाया जाएगा. इस दिन मोर्चे के सभी मंच युवाओ की ओर से संचालित किए जाएंगे. अलग—अलग राज्यों के युवाओं से दिल्ली बोर्डर्स पहुंचने की अपील की जाती है. गुरु रविदास जयंती और शहीद चंद्रशेखर आज़ाद के शहादत दिवस पर 27 जनवरी को "मजदूर किसान एकता दिवस" मनाया जाएगा. सभी देशवासियों से अपील की जाती है कि वें दिल्ली धरनों पर आकर मोर्चो को मजबूत करें.

अलवर. जिले के शाहजहांपुर में राजस्थान-हरियाणा सीमा पर किसानों का आंदोलन बढ़ रहा है. साथ ही, किसानों की संख्या भी दिनोंदिन बढ़ रही हैं. युवा किसानों ने शाहजहांपुर खेडा बोर्डर जयपुर-दिल्ली हाईवे पर जमकर विरोध प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

इस दौरान आमसभा का आयोजन हुआ, जिसमें किसान वक्ताओं ने संबोधित करते हुए बताया कि इतिहास खुद को दोहरा रहा है. सन 1906-07 में किशन सिंह और अजीत सिंह ने अंग्रेजों के तीन काले कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन खड़ा किया था, जिन्हें बाद में अंग्रेजों को वापस लेना पड़ा. अगर अंग्रेज उन कानूनों को वापस नहीं लेते, तो जमींदार अपनी ही ज़मीन पर मजदूर बनकर रह जाता. 'पगड़ी संभाल जट्टा' इस आंदोलन का नारा बना. आज भी कमोबेश हालात वही हैं, वहीं तीन काले कानून आज हैं, बस अंग्रेज़ों की जगह उनके नौकर आ गये हैं.

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23 फरवरी को पगड़ी संभाल दिवस मनाया जाएगा. यह दिन चाचा अजीत सिंह एवं स्वामी सहजानंद सरस्वती की याद में मनाया जाएगा. इस दिन किसान अपने आत्मसम्मान का इजहार करते हुए अपनी क्षेत्रीय पगड़ी पहनेंगे. उसके बाद 24 फरवरी को 'दमन विरोधी दिवस' की घोषणा की गई, जिसमें किसान आंदोलन पर हो रहे चौतरफा दमन का विरोध किया जाएगा. इस दिन सभी तहसील व जिला मुख्यालयों पर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिए जाएंगे.

26 फरवरी को दिल्ली मोर्चे के तीन महीने पूरे होने पर युवाओ के योगदान को सम्मानपूर्वक 'युवा किसान दिवस' मनाया जाएगा. इस दिन मोर्चे के सभी मंच युवाओ की ओर से संचालित किए जाएंगे. अलग—अलग राज्यों के युवाओं से दिल्ली बोर्डर्स पहुंचने की अपील की जाती है. गुरु रविदास जयंती और शहीद चंद्रशेखर आज़ाद के शहादत दिवस पर 27 जनवरी को "मजदूर किसान एकता दिवस" मनाया जाएगा. सभी देशवासियों से अपील की जाती है कि वें दिल्ली धरनों पर आकर मोर्चो को मजबूत करें.

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