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कोरोना के बढ़ते मामले जिला प्रशासन के लिए चुनौती, ऑक्सीजन सिलेंडर की मारामारी - अलवर कोरोना न्यूज

अलवर जिले में कोरोना के बढ़ते मामलों ने जिला प्रशासन के समक्ष चुनौती पेश की है. हर रोज कोरोना के बढ़ रहे मामले स्वास्थ्य सेवाओं को चुनौती दे रहे हैं. इस कोरोना काल में जहां ऑक्सीजन सिलेंडर की मारामारी है. वहां पर कुछ शिकायतें ऐसी भी सामने आई हैं. जहां लोग ऑक्सीजन सिलेंडर को अपने घरों में रख रहे हैं.

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कोरोना के बढ़ते मामले जिला प्रशासन के लिए चुनौती
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Published : Apr 21, 2021, 12:18 AM IST

अलवर. जिले में कोरोना के बढ़ते मामलों ने जिला प्रशासन के समक्ष चुनौती पेश की है. हर रोज कोरोना के बढ़ रहे मामले स्वास्थ्य सेवाओं को चुनौती दे रहे हैं. इस कोरोना काल में जहां ऑक्सीजन सिलेंडर की मारामारी है. वहां पर कुछ शिकायतें ऐसी भी सामने आई हैं. जहां लोग ऑक्सीजन सिलेंडर को अपने घरों में रख रहे हैं.

कोरोना के बढ़ते मामले जिला प्रशासन के लिए चुनौती

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ओपी मीणा ने बताया कि अलवर जिले में 3600 एक्टिव केस हैं. इनमें से 350 मरीज डॉक्टरों की विशेष सलाह पर चल रहे हैं. साथ ही 150 मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट बेड पर हैं. इसके अलावा 70 मरीज आईसीयू में भर्ती हैं. उन्होंने बताया कि 16 मरीज वेंटिलेटर पर है. इसके अलावा 3300 मरीज होम आइसोलेशन में हैं. जो भी चिकित्सा विभाग की पूरी निगरानी है.

उन्होंने बताया कि जिले में कोरोना के बढ़ रहे संक्रमण को देखते हुए सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के आईसीयू भरे हुए हैं. जिन्हें टर्न बाई टर्न काम लिया जा रहा है. वैक्सीनेशन की उपलब्धता के सवाल पर उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा पर्याप्त संख्या में वैक्सीन मिल रही है और प्रॉपर वैक्सीनेशन कार्यक्रम चल रहा है. अब तक लक्ष्य का 50 फ़ीसदी लक्ष्य हासिल कर लिया है. इसके अलावा जो भी प्लान बनेगा उसमे सभी ग्राम पंचायतों में वैक्सीनेशन का कार्य शुरू होगा. जैसे-जैसे वैक्सीनेशन की उपलब्धता होगी इस कार्यक्रम का विस्तार किया जाएगा.

उन्होंने बताया कि 3300 मरीजों को जहां होम आइसोलेशन में रखा गया है. इससे कम्युनिटी स्प्रेड कम होगा, क्योंकि घरों में रहने से उन्हें ऐसा माहौल मिल जाता है, जिससे वह बहुत आसानी से रह सकते हैं और उनमें कोरोना के बहुत कम लक्षण दिखाई दे रहे हैं. जिनमें ज्यादा लक्षण हैं, जिन्हें विशेष सलाह की जरूरत रहती है. उन मरीजों को अस्पताल में रखा जा रहा है.

पढ़ें- कोटा : 1382 नए कोरोना संक्रमित आए सामने, 10 की मौत...चिकित्सा व्यवस्थाएं बदहाल, शहर का हर कोना प्रभावित

उन्होंने ऑक्सीजन सिलेंडर के सवाल पर बताया कि अलवर में कुछ लोग आक्सीजन सिलेंडरों को घर में रख रहे हैं. उन्हें यह मालूम नहीं कि ऑक्सीजन सिलेंडर लगाने से पहले डॉक्टर की जरूरत पड़ती है और यह कार्य अस्पताल में ही किया जा सकता है. प्राइवेट तरीके से सिलेंडर रख लेने से कोई फायदा नहीं है. उन्होंने बताया कि ऐसी शिकायतों की प्रमाणिकता की जांच नहीं की गई है, लेकिन शिकायतें जरूर आई है. उन्होंने बताया कि एक सिलेंडर या दो सिलेंडर रखने से कोई फायदा नहीं है और यह भी एक तरह अपराध है, जो ऑक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई आपूर्ति को बाधित करने का काम हो रहा है.

उन्होंने कहा कि जिस तरीके से ऑक्सीजन मरीज को लगाई जाती है, वह प्रॉपर तरीके से अस्पताल में ही लगाई जा सकती है. अलवर में प्रतिदिन 400 सिलेंडर काम आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि अभी ऑक्सीजन सिलेंडरों की ज्यादा शॉर्टेज नहीं है. जितनी आवश्यकता है, उतनी उपलब्ध हो रही है. रेमडेसीवर इंजेक्शन को लेकर उन्होंने कहा कि इसको लगाने का भी एक प्रोटोकोल है और शॉर्टेज का कोई मामला नहीं है. जरूरत के हिसाब से इसको लगाया जाता है. डॉक्टरों की सलाह पर ही इसे लगाया जाता है. डॉक्टरों को ही यह तय करना होता है कि किस गंभीर बीमारी के मरीज को यह लगाया जाना है. यह कोई टॉफी या कोई अन्य ऐसी दवा तो है नहीं, जिसका स्टॉक किया जा सकता है.

उन्होंने प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टरों से भी आग्रह किया है कि इंजेक्शन को लेकर पूरी तरह प्रोटोकॉल की पालना करें. उन्होंने बताया कि अगर लोगों ने मास्क नहीं लगाया, सोशल डिस्टेंसिंग की पालना नहीं की तो निश्चित रूप से इसके गंभीर परिणाम सामने आएंगे. सरकार पूरी तरह प्रयासरत है. संसाधन जुटाने में और बढ़ाए जा रहे हैं. उसके बावजूद भी आम पब्लिक इस बात को नहीं समझ पा रही है.

उन्होंने आमजन से अपील की है कि वे स्वयं कोरोना संक्रमण से ग्रसित हैं तो आइसोलेटेड अपने आप को कर लें और इस कोरोना की चैन को तोड़ें. तभी वैश्विक महामारी से लड़ा जा सकता है. वहीं लॉर्ड्स हॉस्पिटल में सामान्य चिकित्सालय से जरूरी उपकरण को भिजवा दिए गए हैं. जिसकी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं और शीघ्र ही लॉर्ड्स हॉस्पिटल में कोरोना मरीजों को भर्ती किया जाएगा.

अलवर. जिले में कोरोना के बढ़ते मामलों ने जिला प्रशासन के समक्ष चुनौती पेश की है. हर रोज कोरोना के बढ़ रहे मामले स्वास्थ्य सेवाओं को चुनौती दे रहे हैं. इस कोरोना काल में जहां ऑक्सीजन सिलेंडर की मारामारी है. वहां पर कुछ शिकायतें ऐसी भी सामने आई हैं. जहां लोग ऑक्सीजन सिलेंडर को अपने घरों में रख रहे हैं.

कोरोना के बढ़ते मामले जिला प्रशासन के लिए चुनौती

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ओपी मीणा ने बताया कि अलवर जिले में 3600 एक्टिव केस हैं. इनमें से 350 मरीज डॉक्टरों की विशेष सलाह पर चल रहे हैं. साथ ही 150 मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट बेड पर हैं. इसके अलावा 70 मरीज आईसीयू में भर्ती हैं. उन्होंने बताया कि 16 मरीज वेंटिलेटर पर है. इसके अलावा 3300 मरीज होम आइसोलेशन में हैं. जो भी चिकित्सा विभाग की पूरी निगरानी है.

उन्होंने बताया कि जिले में कोरोना के बढ़ रहे संक्रमण को देखते हुए सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के आईसीयू भरे हुए हैं. जिन्हें टर्न बाई टर्न काम लिया जा रहा है. वैक्सीनेशन की उपलब्धता के सवाल पर उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा पर्याप्त संख्या में वैक्सीन मिल रही है और प्रॉपर वैक्सीनेशन कार्यक्रम चल रहा है. अब तक लक्ष्य का 50 फ़ीसदी लक्ष्य हासिल कर लिया है. इसके अलावा जो भी प्लान बनेगा उसमे सभी ग्राम पंचायतों में वैक्सीनेशन का कार्य शुरू होगा. जैसे-जैसे वैक्सीनेशन की उपलब्धता होगी इस कार्यक्रम का विस्तार किया जाएगा.

उन्होंने बताया कि 3300 मरीजों को जहां होम आइसोलेशन में रखा गया है. इससे कम्युनिटी स्प्रेड कम होगा, क्योंकि घरों में रहने से उन्हें ऐसा माहौल मिल जाता है, जिससे वह बहुत आसानी से रह सकते हैं और उनमें कोरोना के बहुत कम लक्षण दिखाई दे रहे हैं. जिनमें ज्यादा लक्षण हैं, जिन्हें विशेष सलाह की जरूरत रहती है. उन मरीजों को अस्पताल में रखा जा रहा है.

पढ़ें- कोटा : 1382 नए कोरोना संक्रमित आए सामने, 10 की मौत...चिकित्सा व्यवस्थाएं बदहाल, शहर का हर कोना प्रभावित

उन्होंने ऑक्सीजन सिलेंडर के सवाल पर बताया कि अलवर में कुछ लोग आक्सीजन सिलेंडरों को घर में रख रहे हैं. उन्हें यह मालूम नहीं कि ऑक्सीजन सिलेंडर लगाने से पहले डॉक्टर की जरूरत पड़ती है और यह कार्य अस्पताल में ही किया जा सकता है. प्राइवेट तरीके से सिलेंडर रख लेने से कोई फायदा नहीं है. उन्होंने बताया कि ऐसी शिकायतों की प्रमाणिकता की जांच नहीं की गई है, लेकिन शिकायतें जरूर आई है. उन्होंने बताया कि एक सिलेंडर या दो सिलेंडर रखने से कोई फायदा नहीं है और यह भी एक तरह अपराध है, जो ऑक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई आपूर्ति को बाधित करने का काम हो रहा है.

उन्होंने कहा कि जिस तरीके से ऑक्सीजन मरीज को लगाई जाती है, वह प्रॉपर तरीके से अस्पताल में ही लगाई जा सकती है. अलवर में प्रतिदिन 400 सिलेंडर काम आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि अभी ऑक्सीजन सिलेंडरों की ज्यादा शॉर्टेज नहीं है. जितनी आवश्यकता है, उतनी उपलब्ध हो रही है. रेमडेसीवर इंजेक्शन को लेकर उन्होंने कहा कि इसको लगाने का भी एक प्रोटोकोल है और शॉर्टेज का कोई मामला नहीं है. जरूरत के हिसाब से इसको लगाया जाता है. डॉक्टरों की सलाह पर ही इसे लगाया जाता है. डॉक्टरों को ही यह तय करना होता है कि किस गंभीर बीमारी के मरीज को यह लगाया जाना है. यह कोई टॉफी या कोई अन्य ऐसी दवा तो है नहीं, जिसका स्टॉक किया जा सकता है.

उन्होंने प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टरों से भी आग्रह किया है कि इंजेक्शन को लेकर पूरी तरह प्रोटोकॉल की पालना करें. उन्होंने बताया कि अगर लोगों ने मास्क नहीं लगाया, सोशल डिस्टेंसिंग की पालना नहीं की तो निश्चित रूप से इसके गंभीर परिणाम सामने आएंगे. सरकार पूरी तरह प्रयासरत है. संसाधन जुटाने में और बढ़ाए जा रहे हैं. उसके बावजूद भी आम पब्लिक इस बात को नहीं समझ पा रही है.

उन्होंने आमजन से अपील की है कि वे स्वयं कोरोना संक्रमण से ग्रसित हैं तो आइसोलेटेड अपने आप को कर लें और इस कोरोना की चैन को तोड़ें. तभी वैश्विक महामारी से लड़ा जा सकता है. वहीं लॉर्ड्स हॉस्पिटल में सामान्य चिकित्सालय से जरूरी उपकरण को भिजवा दिए गए हैं. जिसकी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं और शीघ्र ही लॉर्ड्स हॉस्पिटल में कोरोना मरीजों को भर्ती किया जाएगा.

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