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ऑपरेशन मदद: राजस्थान में मरीज बेहाल... राजधानी जयपुर समेत 5 बड़े शहरों में भी नहीं मिला बेड

ऑपरेशन मदद के जरिए हमने एक कोरोना मरीज को ICU बेड दिलाने के लिए अलवर, भरतपुर, जयपुर, दौसा, धौलपुर, सीकर सहित सभी जगहों के कंट्रोल रूम में फोन किया. लेकिन मदद करने की बजाए अधिकारियों ने हमें नंबर गेम में उलझाया.

ईटीवी भारत के ऑपरेशन मदद से जाना अस्पतालों का हाल
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Published : May 13, 2021, 10:58 PM IST

अलवर. राजस्थान में कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर सरकार और स्वास्थ्य विभाग बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं. जिलों में कोरोना के हालात पर काबू पाने के लिए नोडल अधिकारी भी तैनात हैं. यह नोडल अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों को लेकर कितने जिम्मेदार हैं. यह जानने के लिए ईटीवी भारत ने 'ऑपरेशन मदद' शुरू किया. हमने शशांक नाम के एक शख्स के लिए बेड की व्यवस्था करने की कोशिश की लेकिन कई जगह फोन करने के बाद भी कोई मदद नहीं मिली. राजधानी जयपुर के सबसे बड़े अस्पताल के प्रभारी ने तो यहां तक कहा कि अगर ऑक्सीजन होगी तो मिलेगी अस्पताल, स्टाफ पर दबाव नहीं डालोगे.

पढ़ें: SPECIAL : भगवान भरोसे गांव : ग्रामीण अंचलों तक पसर रहा CORONA...मौत के डर से अस्पताल नहीं जा रहे ग्रामीण, झोलाछापों की पौ-बारह

सबसे पहले अलवर कंट्रोल रूम में किया फोन

हमने सबसे पहले अलवर के CMHO कंट्रोल रूम के नंबर 0144-2340145 पर फोन किया. नंबर व्यस्त था. फिर जिला अस्पताल के कंट्रोल रूम नंबर 0144-2345087 पर डॉयल किया लेकिन फोन नहीं लगा. कई बार कोशिश की गई लेकिन बात नहीं हो सकी. CMHO कंट्रोल रूम पर कई बार बात करने के बाद उन्होंने जिला अस्पताल कंट्रोल रूम का नंबर दिया लेकिन अलवर में कोई बेड नहीं मिला.

दौसा में भी नहीं मिली मदद

अलवर के बाद हमने दौसा कंट्रोल रूम 01427224903 पर फोन किया. यहां बेड उपलब्ध नहीं होने की जानकारी दी गई. जिला कंट्रोल रूम का नंबर भी दिया गया. कंट्रोल रूम को फोन करने पर प्रभारी ने बेड की कोई व्यवस्था नहीं होने की बात कही. हमने दौसा के नोडल प्रभारी जगदीश को भी फोन किया लेकिन कई प्रयास के बाद भी उनका फोन नहीं उठा.

ईटीवी भारत के ऑपरेशन मदद से जाना अस्पतालों का हाल

पढ़ें: SPECIAL : मासूमों पर CORONA की दूसरी लहर भारी...कोटा में 50 से ज्यादा बच्चे गंभीर, ब्लड क्लॉटिंग भी हो रही

भरतपुर में बेड फुल होने की दलील

भरतपुर के कंट्रोल रूम नंबर 05644-222624 पर संपर्क किया गया. उन्होंने भी बेड नहीं होने की बात कही. भरतपुर के हेल्प डेस्क 742 786 2648 पर संपर्क किया. हेल्प डेस्क ने कहा कि आप यहां मरीज लेकर आओ, उसके बाद कुछ पता चल सकेगा, क्योंकि लगातार मरीज आ रहे हैं. ऐसे में बेड फुल हो रहे हैं.

राजधानी जयपुर में भी नहीं मिला बेड

राजधानी जयपुर के आरयूएचएस प्रभारी को मोबाइल नंबर 9829135692 पर फोन किया. पहले तो फोन नहीं उठा. फिर कई बार प्रयास करने के बाद उनके सहायक कर्मचारी ने फोन उठाया. सहायक कर्मचारी ने बताया, 'डॉक्टर व्यस्त हैं'. बेड के बारे में पूछा गया तो उन्होंने साफ तौर पर मना किया कि बेड उपलब्ध नहीं है. इसके बाद जयपुरिया और ईएसआई के प्रभारी डॉक्टर के पास मोबाइल नंबर 9828158061 पर फोन किया गया. उन्होंने कहा कि बेड उपलब्ध होगा तो मिलेगा. ऑक्सीजन होगी तो मिलेगी. मरीज के परिजन अस्पताल पर ऑक्सीजन देने के लिए दबाव नहीं बनाएं.

प्रदेश की राजधानी के इस तरह के हालात देखकर हम भी दंग रह गए कि जहां मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री सहित सभी आला अधिकारी बैठते हैं, वहां मरीजों को बेड नहीं मिल रहा. जिन्हें प्रभारी बनाया गया है वो भी गैरजिम्मेदाराना जवाब दे रहे हैं.

धौलपुर, सीकर में भी निराशा हाथ लगी

आखिर में हमने धौलपुर सीएमएचओ से मोबाइल नंबर 9414583707 पर संपर्क किया. उसके बाद सीकर कंट्रोल रूम पर संपर्क किया गया. उन लोगों ने भी बेड उपलब्ध नहीं होने की बात कही.

पढ़ें: SPECIAL : खराब RT-PCR टेस्ट किट बन सकती है संक्रमण फैलने की वजह...राजस्थान में अभी तक खराब टेस्ट किट का कोई मामला नहीं

नंबरों का 'खेल', सरकारी दावे 'फेल'

अलवर सहित आसपास के 5 से 6 जिलों के हालात इस कदर खराब हैं कि समय पर लोगों को इलाज के लिए बेड भी नहीं मिल रहा है. ऐसे में आम आदमी ऑक्सीजन, वेंटिलेटर या अन्य जरूरी चीज की कल्पना कैसे कर सकता है? ईटीवी भारत की तरफ से शुरू किए गए इस अभियान में मरीज को बेड नहीं मिला. ऐसे में सरकार के तमाम दावे झूठे साबित हुए. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि प्रदेश के हालात किस कदर खराब हैं.

चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था से मरीज बेहाल

ऑपरेशन' मदद के आखिर में हमने उस शशांक को फोन मिलाया. जिसके लिए ये सारी जद्दोजहद की जा रही थी. उन्होंने कहा कि अब भी रिश्तेदारों की मदद से बेड तलाश किया जा रहा है लेकिन अबतक कोई व्यवस्था नहीं हुई है. अभी वो लोग घर पर ही इलाज कर रहे हैं. अकेले शशांक नहीं अलवर समेत पूरे प्रदेश में हजारों ऐसे लोग हैं, जो अपने परिजनों का घर पर ही इलाज कर रहे हैं. खुद ही इंजेक्शन लगा रहे हैं यानी नर्सिंग कर्मियों के काम भी खुद करने के लिए मजबूर हैं.

कैसे जीत पाएंगे कोरोना से जंग?

मुख्यमंत्री हो या स्वास्थ सचिव सभी अपने बयानों में बार-बार प्रदेश में पर्याप्त स्वास्थ्य व्यवस्था होने की बातें कहते नजर आते हैं. लेकिन ईटीवी भारत के 'ऑपरेशन मदद' में सरकार और शासन के ये दावे हवा-हवाई निकले. ऑपरेशन मदद में हमने पाया कि अधिकारी, जरूरतमंदों के साथ नंबर गेम खेल रहे हैं.

अलवर. राजस्थान में कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर सरकार और स्वास्थ्य विभाग बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं. जिलों में कोरोना के हालात पर काबू पाने के लिए नोडल अधिकारी भी तैनात हैं. यह नोडल अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों को लेकर कितने जिम्मेदार हैं. यह जानने के लिए ईटीवी भारत ने 'ऑपरेशन मदद' शुरू किया. हमने शशांक नाम के एक शख्स के लिए बेड की व्यवस्था करने की कोशिश की लेकिन कई जगह फोन करने के बाद भी कोई मदद नहीं मिली. राजधानी जयपुर के सबसे बड़े अस्पताल के प्रभारी ने तो यहां तक कहा कि अगर ऑक्सीजन होगी तो मिलेगी अस्पताल, स्टाफ पर दबाव नहीं डालोगे.

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सबसे पहले अलवर कंट्रोल रूम में किया फोन

हमने सबसे पहले अलवर के CMHO कंट्रोल रूम के नंबर 0144-2340145 पर फोन किया. नंबर व्यस्त था. फिर जिला अस्पताल के कंट्रोल रूम नंबर 0144-2345087 पर डॉयल किया लेकिन फोन नहीं लगा. कई बार कोशिश की गई लेकिन बात नहीं हो सकी. CMHO कंट्रोल रूम पर कई बार बात करने के बाद उन्होंने जिला अस्पताल कंट्रोल रूम का नंबर दिया लेकिन अलवर में कोई बेड नहीं मिला.

दौसा में भी नहीं मिली मदद

अलवर के बाद हमने दौसा कंट्रोल रूम 01427224903 पर फोन किया. यहां बेड उपलब्ध नहीं होने की जानकारी दी गई. जिला कंट्रोल रूम का नंबर भी दिया गया. कंट्रोल रूम को फोन करने पर प्रभारी ने बेड की कोई व्यवस्था नहीं होने की बात कही. हमने दौसा के नोडल प्रभारी जगदीश को भी फोन किया लेकिन कई प्रयास के बाद भी उनका फोन नहीं उठा.

ईटीवी भारत के ऑपरेशन मदद से जाना अस्पतालों का हाल

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भरतपुर में बेड फुल होने की दलील

भरतपुर के कंट्रोल रूम नंबर 05644-222624 पर संपर्क किया गया. उन्होंने भी बेड नहीं होने की बात कही. भरतपुर के हेल्प डेस्क 742 786 2648 पर संपर्क किया. हेल्प डेस्क ने कहा कि आप यहां मरीज लेकर आओ, उसके बाद कुछ पता चल सकेगा, क्योंकि लगातार मरीज आ रहे हैं. ऐसे में बेड फुल हो रहे हैं.

राजधानी जयपुर में भी नहीं मिला बेड

राजधानी जयपुर के आरयूएचएस प्रभारी को मोबाइल नंबर 9829135692 पर फोन किया. पहले तो फोन नहीं उठा. फिर कई बार प्रयास करने के बाद उनके सहायक कर्मचारी ने फोन उठाया. सहायक कर्मचारी ने बताया, 'डॉक्टर व्यस्त हैं'. बेड के बारे में पूछा गया तो उन्होंने साफ तौर पर मना किया कि बेड उपलब्ध नहीं है. इसके बाद जयपुरिया और ईएसआई के प्रभारी डॉक्टर के पास मोबाइल नंबर 9828158061 पर फोन किया गया. उन्होंने कहा कि बेड उपलब्ध होगा तो मिलेगा. ऑक्सीजन होगी तो मिलेगी. मरीज के परिजन अस्पताल पर ऑक्सीजन देने के लिए दबाव नहीं बनाएं.

प्रदेश की राजधानी के इस तरह के हालात देखकर हम भी दंग रह गए कि जहां मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री सहित सभी आला अधिकारी बैठते हैं, वहां मरीजों को बेड नहीं मिल रहा. जिन्हें प्रभारी बनाया गया है वो भी गैरजिम्मेदाराना जवाब दे रहे हैं.

धौलपुर, सीकर में भी निराशा हाथ लगी

आखिर में हमने धौलपुर सीएमएचओ से मोबाइल नंबर 9414583707 पर संपर्क किया. उसके बाद सीकर कंट्रोल रूम पर संपर्क किया गया. उन लोगों ने भी बेड उपलब्ध नहीं होने की बात कही.

पढ़ें: SPECIAL : खराब RT-PCR टेस्ट किट बन सकती है संक्रमण फैलने की वजह...राजस्थान में अभी तक खराब टेस्ट किट का कोई मामला नहीं

नंबरों का 'खेल', सरकारी दावे 'फेल'

अलवर सहित आसपास के 5 से 6 जिलों के हालात इस कदर खराब हैं कि समय पर लोगों को इलाज के लिए बेड भी नहीं मिल रहा है. ऐसे में आम आदमी ऑक्सीजन, वेंटिलेटर या अन्य जरूरी चीज की कल्पना कैसे कर सकता है? ईटीवी भारत की तरफ से शुरू किए गए इस अभियान में मरीज को बेड नहीं मिला. ऐसे में सरकार के तमाम दावे झूठे साबित हुए. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि प्रदेश के हालात किस कदर खराब हैं.

चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था से मरीज बेहाल

ऑपरेशन' मदद के आखिर में हमने उस शशांक को फोन मिलाया. जिसके लिए ये सारी जद्दोजहद की जा रही थी. उन्होंने कहा कि अब भी रिश्तेदारों की मदद से बेड तलाश किया जा रहा है लेकिन अबतक कोई व्यवस्था नहीं हुई है. अभी वो लोग घर पर ही इलाज कर रहे हैं. अकेले शशांक नहीं अलवर समेत पूरे प्रदेश में हजारों ऐसे लोग हैं, जो अपने परिजनों का घर पर ही इलाज कर रहे हैं. खुद ही इंजेक्शन लगा रहे हैं यानी नर्सिंग कर्मियों के काम भी खुद करने के लिए मजबूर हैं.

कैसे जीत पाएंगे कोरोना से जंग?

मुख्यमंत्री हो या स्वास्थ सचिव सभी अपने बयानों में बार-बार प्रदेश में पर्याप्त स्वास्थ्य व्यवस्था होने की बातें कहते नजर आते हैं. लेकिन ईटीवी भारत के 'ऑपरेशन मदद' में सरकार और शासन के ये दावे हवा-हवाई निकले. ऑपरेशन मदद में हमने पाया कि अधिकारी, जरूरतमंदों के साथ नंबर गेम खेल रहे हैं.

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