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केंद्र सरकार के नए बिल का विरोध...21 सितंबर को अलवर सहित पूरे प्रदेश की 247 मंडियां रहेंगी बंद

केंद्र सरकार ने हाल ही में संसद में किसान नीतियों के तहत एक बिल पास करवाया था, जिसे लेकर किसानों की ओर से विरोध किया जा रहा है. सरकार की सहयोगी पार्टियां भी इस बिल का विरोध कर रही हैं. किसानों का कहना है कि सरकार को इस बिल को वापस लेना होगा. इस बिल के कारण हजारों लोग बेरोजगार हो जाएंगे. इसके साथ ही बिल के विरोध में 21 सितंबर को पूरे प्रदेश की मंडियां बंद रहेंगी.

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बिल के विरोध में 21 सितंबर को बंद रहेंगी प्रदेश की सभी मंड़ियां
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Published : Sep 18, 2020, 7:31 PM IST

अलवर. केंद्र सरकार ने देश में किसान की नीतियों को लेकर एक बिल संसद में पास कराया है, लेकिन पूरे देश में इसका विरोध हो रहा है. केंद्र सरकार की सहयोगी पार्टियां भी इस बिल का विरोध कर रही है. इसके साथ ही बिल के विरोध में कुछ सांसद अपना इस्तीफा भी दे चुके हैं. अलवर सहित पूरे प्रदेश की 247 मंडियां 21 सितंबर को बंद रहेंगी. इसके अलावा बिल के विरोध में किसान व्यापारी आगे भी अपना विरोध दर्ज कराएंगे.

बिल के विरोध में 21 सितंबर को बंद रहेंगी प्रदेश की सभी मंड़ियां

बता दें कि सरकार की सहयोगी पार्टियों के अलावा कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी सहित सभी इसका विरोध कर रहे हैं. कई किसान नेता और सांसद की ओर से इस बिल के विरोध में इस्तीफा दिया गया है. वहीं, बिल के विरोध में किसान संगठनों की तरफ से 21 सितंबर को पूरे प्रदेश में सभी मंडियों को बंद रखने का फैसला लिया गया है. अलवर सहित पूरे प्रदेश में करीब 247 मंडी है. किसान नेताओं ने कहा कि सरकार का ये बिल किसान विरोधी है. इस बिल के बाद मंडिया भी बंद हो जाएंगी. ऐसे में हजारों लोग बेरोजगार होंगे.

किसान मंडी व्यापारियों ने कहा कि सरकार के फैसले जनविरोधी हैं. किसान जो साल भर परेशान रहता है इस बिल से फायदे की जगह किसान को नुकसान होगा. कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकार ने ये फैसला लिया है. इस बिल के बाद देश की मंडियों में फसल बिकने के लिए नहीं पहुंचेगी. किसान को अपनी फसल का बेहतर दाम नहीं मिलेगा, क्योंकि फसल के दाम के बारे में किसान को जानकारी ही नहीं होगी.

व्यापारियों ने कहा कि मंडी में किसान व्यापारियों से मिलकर अपनी फसल आसानी से बेच सकता है. उसके साथ किसी भी तरह की धोखाधड़ी होने की भी संभावना नहीं रहती है. ऐसे में मंडिया बंद हो जाएंगी. मंडियों में काम करने वाले हजारों लाखों श्रमिक, व्यापारी, कर्मचारी सभी बेरोजगार हो जाएंगे. मंडी व्यापारियों ने कहा कि सरकार को ये फैसला वापस लेना होगा.

पढ़ें : अलवर: खेत पर पानी की मोटर चलाने गए किसान की करंट लगने से मौत

किसानों ने साफ किया कि सरकार जब तक अपना ये फैसला वापस नहीं लेगी तब तक पूरे देश में विरोध प्रदर्शन होगा. देश का किसान चुप नहीं बैठेगा. किसानों ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था किसानों पर निर्भर रहती है. अगर देश का किसान परेशान होगा तो देश की अर्थव्यवस्था भी खराब होगी. ऐसे में सरकार को अपना ये फैसला वापस लेना चाहिए. अलवर में अलवर मंडी, खैरथल मंडी, खेड़ली मंडी सहित कई बड़ी मंडिया है, जहां से पूरे देश में सरसों, गेहूं, चना, बाजरा, कपास सहित अन्य फसल सप्लाई होती है.

अलवर. केंद्र सरकार ने देश में किसान की नीतियों को लेकर एक बिल संसद में पास कराया है, लेकिन पूरे देश में इसका विरोध हो रहा है. केंद्र सरकार की सहयोगी पार्टियां भी इस बिल का विरोध कर रही है. इसके साथ ही बिल के विरोध में कुछ सांसद अपना इस्तीफा भी दे चुके हैं. अलवर सहित पूरे प्रदेश की 247 मंडियां 21 सितंबर को बंद रहेंगी. इसके अलावा बिल के विरोध में किसान व्यापारी आगे भी अपना विरोध दर्ज कराएंगे.

बिल के विरोध में 21 सितंबर को बंद रहेंगी प्रदेश की सभी मंड़ियां

बता दें कि सरकार की सहयोगी पार्टियों के अलावा कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी सहित सभी इसका विरोध कर रहे हैं. कई किसान नेता और सांसद की ओर से इस बिल के विरोध में इस्तीफा दिया गया है. वहीं, बिल के विरोध में किसान संगठनों की तरफ से 21 सितंबर को पूरे प्रदेश में सभी मंडियों को बंद रखने का फैसला लिया गया है. अलवर सहित पूरे प्रदेश में करीब 247 मंडी है. किसान नेताओं ने कहा कि सरकार का ये बिल किसान विरोधी है. इस बिल के बाद मंडिया भी बंद हो जाएंगी. ऐसे में हजारों लोग बेरोजगार होंगे.

किसान मंडी व्यापारियों ने कहा कि सरकार के फैसले जनविरोधी हैं. किसान जो साल भर परेशान रहता है इस बिल से फायदे की जगह किसान को नुकसान होगा. कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकार ने ये फैसला लिया है. इस बिल के बाद देश की मंडियों में फसल बिकने के लिए नहीं पहुंचेगी. किसान को अपनी फसल का बेहतर दाम नहीं मिलेगा, क्योंकि फसल के दाम के बारे में किसान को जानकारी ही नहीं होगी.

व्यापारियों ने कहा कि मंडी में किसान व्यापारियों से मिलकर अपनी फसल आसानी से बेच सकता है. उसके साथ किसी भी तरह की धोखाधड़ी होने की भी संभावना नहीं रहती है. ऐसे में मंडिया बंद हो जाएंगी. मंडियों में काम करने वाले हजारों लाखों श्रमिक, व्यापारी, कर्मचारी सभी बेरोजगार हो जाएंगे. मंडी व्यापारियों ने कहा कि सरकार को ये फैसला वापस लेना होगा.

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किसानों ने साफ किया कि सरकार जब तक अपना ये फैसला वापस नहीं लेगी तब तक पूरे देश में विरोध प्रदर्शन होगा. देश का किसान चुप नहीं बैठेगा. किसानों ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था किसानों पर निर्भर रहती है. अगर देश का किसान परेशान होगा तो देश की अर्थव्यवस्था भी खराब होगी. ऐसे में सरकार को अपना ये फैसला वापस लेना चाहिए. अलवर में अलवर मंडी, खैरथल मंडी, खेड़ली मंडी सहित कई बड़ी मंडिया है, जहां से पूरे देश में सरसों, गेहूं, चना, बाजरा, कपास सहित अन्य फसल सप्लाई होती है.

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