अलवर. ड्रग कंट्रोलर टीम को मंगलवार शाम को सूचना मिली कि मरीज को लॉर्ड्स हॉस्पिटल से अलवर शहर के स्कीम-2 लाने के लिए एंबुलेंस चालक ने 5 हजार रुपए मांगे हैं. जबकि यहां तक का किराया केवल 600 रुपए ही बनता है. इसके बाद टीम हरकत में आई. ड्रग विभाग की तरफ से एक स्टिंग ऑपरेशन किया गया. इसमें विभागीय कर्मचारी कोरोना संक्रमित मरीज के परिजन बनकर पहुंचे और उन्होंने गाड़ी बुक की.
एंबुलेंस चालक से लॉर्ड्स से मरीज को अलवर शहर में लाने की बात की. इस दौरान एंबुलेंस चालक ने उनसे भी इतने ही रुपए मांगे. इस दौरान टीम ने पैसे कम करने को कहा, लेकिन एंबुलेंस चालक ने एक नहीं सुनी और 5 हजार रुपए पर ही अड़ा रहा. इस पर मामले की जानकारी पुलिस को दी गई. जिसके बाद पुलिस ने एंबुलेंस चालक को गिरफ्तार कर लिया.
वहीं, एंबुलेंस को जब्त कर लिया गया. सहायक औषधि नियंत्रक जितेन्द्र मीणा ने बताया कि महामारी में दवाओं की कालाबाजारी हो या एंबुलेंस का किराया. इन सबको लेकर मॉनिटरिंग की जा रही है. कोई भी दवाओं का स्टॉक नहीं कर सकता है. एंबुलेंस में ऑक्सीजन सिलेंडर भी मिले हैं. जांच पड़ताल में सामने आया कि कोई एंबुलेंस चालक तीन हजार मांगता है तो कोई चार हजार रुपए वसूल रहा है.
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सहायक औषधि नियंत्रक ने बताया कि प्रशासन की पूरी सख्ती है. औषधि विभाग ने पूरा इंटेलीजेंस सिस्टम बना रखा है. मुखबिर के जरिए सूचना मिलने के बाद कार्रवाई करते हैं. इस महामारी में कुछ लोग मरीज के परिजनों को डर व भय दिखाकर दवा व एंबुलेंस के कई गुना दाम वसूलते हैं, तो उनके खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाती है. कालाबाजारी को लेकर कलेक्टर नन्नूमल पहाड़िया ने कहा कि किसी भी सूरत में दवाओं की कालाबाजारी नहीं होने दी जाएगी.
इसके अलावा शुल्क से ज्यादा पैसे लेने पर किसी को नहीं बख्शा जाएगा. इस महामारी में 600 रुपए की जगह 5 हजार रुपए मांगने पर एंबुलेंस को जब्त करने की यह राजस्थान की पहली कार्रवाई है. आगे भी इस तरह की कार्रवाई स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जारी रहेगी. दूसरी तरफ इस कार्रवाई से एंबुलेंस चालकों में भगदड़ मच गई व सभी लोग फरार हो गए.