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अलवर मेडिकल कॉलेज के अवरोध होंगे दूर, जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में बनी समिति

अलवर के सालों से लटका अलवर का मेडिकल कॉलेज अब जल्द शुरू हो सकता है. मेडिकल कॉलेज के निर्माण में आने वाली समस्याओं के निराकरण के लिए राज्य सरकार ने जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है. इसमें सभी सरकारी विभागों के अधिकारियों को शामिल किया गया है.

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अलवर मेडिकल कॉलेज के लिए कलेक्टर की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई
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Published : Sep 28, 2020, 4:59 AM IST

अलवर. सालों से लटका अलवर का मेडिकल कॉलेज अब जल्द शुरू हो सकता है. मेडिकल कॉलेज के निर्माण में आने वाली समस्याओं के निराकरण के लिए राज्य सरकार ने जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है. इसमें सभी सरकारी विभागों के अधिकारियों को शामिल किया गया है. अलवर में केंद्रीय कारागार की जमीन पर प्रदेश सरकार का मेडिकल कॉलेज भवन बनना है. अलवर के एमआईए में 900 करोड़ रुपए की लागत से ईएसआईसी की तरफ से मेडिकल कॉलेज भवन का निर्माण कराया गया है. यह भवन उत्तर भारत का सबसे बड़ा मेडिकल कॉलेज का भवन है. इसमें इनडोर स्टेडियम, स्टाफ के रहने के लिए फ्लाइट, 500 बेड अस्पताल, मोर्चरी, ऑडिटोरियम सहित सभी आधुनिक सुविधाएं हैं. 4 साल से यह भवन बनकर तैयार है, लेकिन एसआईसी दौरा इसको शुरू नहीं किया गया है.

अलवर मेडिकल कॉलेज के लिए कलेक्टर की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई

वसुंधरा सरकार के कार्यकाल के दौरान मेडिकल कॉलेज भवन को प्रदेश सरकार को देने की बात हुई थी, लेकिन न्यायालय ने ईएसआईसी को कॉलेज चलाने के निर्देश दिए हैं, जबकि ईएसआईसी के अधिकारी कॉलेज शुरू नहीं करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि अलवर में कॉलेज बनाने का फैसला गलत था. इस कॉलेज संबंध में एक जांच भी चल रही है. दूसरी तरफ गहलोत सरकार ने अलवर में मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की थी. वसुंधरा सरकार द्वारा भी घोषणा की गई, लेकिन वो केवल घोषणा बनी रही. गहलोत सरकार ने केंद्रीय कारागार के पास पड़ी जमीन पर कॉलेज बनाने का फैसला लिया. इसके तहत जमीन कॉलेज के हिसाब से उपयुक्त पाई गई. कई अटकलों के बाद कॉलेज शुरू करने को लेकर पूरे प्रयास किए जा रहे हैं.

हाल ही में नोएडा से एक टीम अलवर पहुंची थी. इंजीनियर की टीम ने जगह का निरीक्षण करते हुए कॉलेज का डिजाइन तैयार किया है. कॉलेज का डिजाइन स्वास्थ्य विभाग खुद भेजा जाएगा. उसके बाद भवन निर्माण कार्य शुरू होगा. इस बीच काम में तेजी लाने के लिए राजस्थान सरकार के प्रशासनिक सुधार विभाग के शासन उप सचिव की ओर से जारी आदेश में बताया गया कि अलवर सहित प्रदेश के विभिन्न जिला मुख्यालय पर केंद्रीय प्रवर्तनीय योजना सीएसएस के अंतर्गत स्थापित किए जाने वाले नवीन चिकित्सा महाविद्यालय में जिला स्तर पर आने वाली विभिन्न समस्याओं के निराकरण के लिए जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय मॉनिटरिंग कमेटी का गठन किया गया है. जिला स्तरीय समिति में जिला कलेक्टर होंगे. साथ ही मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी प्रमुख चिकित्सा अधिकारी अधीक्षण अभियंता विद्युत विभाग अधीक्षण अभियंता जलदाय विभाग परियोजना निदेशक निर्माण करता कार्यकारी एजेंसी सदस्य इसके अलावा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य समिति के सदस्य सचिव होंगे.

यह भी पढ़ें- SPECIAL : जयपुर में कोरोना की रफ्तार तेज, संक्रमण रोकने के लिए लॉकडाउन जरूरी

नव स्थापित होने वाली मेडिकल में प्रधानाचार्य का पद नियुक्त होकर कार्य ग्रहण करने तक संबंधित जिला चिकित्सालय में नियुक्त सदस्य सचिव के रूप में कार्य करेंगे. समिति 31 दिसंबर 2026 तक अस्तित्व में रहेगी. चिकित्सा शिक्षा विभाग इस समिति का प्रशासनिक विभाग होगा. जिला स्तरीय कमेटी की बैठक प्रत्येक 2 माह में एक बार आयोजित की जाएगी. राज्य सरकार ने प्रदेश में केंद्रीय परिवर्तित योजना के अंतर्गत स्थापित किए जाने वाले नवीन चिकित्सा महाविद्यालय के संबंध में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में अंतर विभागीय एंपावर्ड कमेटी का गठन किया है. ऐसे में साफ है कि आने वाले समय में अलवर के मेडिकल कॉलेज को लेकर तेजी से काम होगा. तो वहीं अलवर के लोगों का सालों का सपना पूरा हो सकता है.

अलवर. सालों से लटका अलवर का मेडिकल कॉलेज अब जल्द शुरू हो सकता है. मेडिकल कॉलेज के निर्माण में आने वाली समस्याओं के निराकरण के लिए राज्य सरकार ने जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है. इसमें सभी सरकारी विभागों के अधिकारियों को शामिल किया गया है. अलवर में केंद्रीय कारागार की जमीन पर प्रदेश सरकार का मेडिकल कॉलेज भवन बनना है. अलवर के एमआईए में 900 करोड़ रुपए की लागत से ईएसआईसी की तरफ से मेडिकल कॉलेज भवन का निर्माण कराया गया है. यह भवन उत्तर भारत का सबसे बड़ा मेडिकल कॉलेज का भवन है. इसमें इनडोर स्टेडियम, स्टाफ के रहने के लिए फ्लाइट, 500 बेड अस्पताल, मोर्चरी, ऑडिटोरियम सहित सभी आधुनिक सुविधाएं हैं. 4 साल से यह भवन बनकर तैयार है, लेकिन एसआईसी दौरा इसको शुरू नहीं किया गया है.

अलवर मेडिकल कॉलेज के लिए कलेक्टर की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई

वसुंधरा सरकार के कार्यकाल के दौरान मेडिकल कॉलेज भवन को प्रदेश सरकार को देने की बात हुई थी, लेकिन न्यायालय ने ईएसआईसी को कॉलेज चलाने के निर्देश दिए हैं, जबकि ईएसआईसी के अधिकारी कॉलेज शुरू नहीं करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि अलवर में कॉलेज बनाने का फैसला गलत था. इस कॉलेज संबंध में एक जांच भी चल रही है. दूसरी तरफ गहलोत सरकार ने अलवर में मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की थी. वसुंधरा सरकार द्वारा भी घोषणा की गई, लेकिन वो केवल घोषणा बनी रही. गहलोत सरकार ने केंद्रीय कारागार के पास पड़ी जमीन पर कॉलेज बनाने का फैसला लिया. इसके तहत जमीन कॉलेज के हिसाब से उपयुक्त पाई गई. कई अटकलों के बाद कॉलेज शुरू करने को लेकर पूरे प्रयास किए जा रहे हैं.

हाल ही में नोएडा से एक टीम अलवर पहुंची थी. इंजीनियर की टीम ने जगह का निरीक्षण करते हुए कॉलेज का डिजाइन तैयार किया है. कॉलेज का डिजाइन स्वास्थ्य विभाग खुद भेजा जाएगा. उसके बाद भवन निर्माण कार्य शुरू होगा. इस बीच काम में तेजी लाने के लिए राजस्थान सरकार के प्रशासनिक सुधार विभाग के शासन उप सचिव की ओर से जारी आदेश में बताया गया कि अलवर सहित प्रदेश के विभिन्न जिला मुख्यालय पर केंद्रीय प्रवर्तनीय योजना सीएसएस के अंतर्गत स्थापित किए जाने वाले नवीन चिकित्सा महाविद्यालय में जिला स्तर पर आने वाली विभिन्न समस्याओं के निराकरण के लिए जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय मॉनिटरिंग कमेटी का गठन किया गया है. जिला स्तरीय समिति में जिला कलेक्टर होंगे. साथ ही मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी प्रमुख चिकित्सा अधिकारी अधीक्षण अभियंता विद्युत विभाग अधीक्षण अभियंता जलदाय विभाग परियोजना निदेशक निर्माण करता कार्यकारी एजेंसी सदस्य इसके अलावा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य समिति के सदस्य सचिव होंगे.

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नव स्थापित होने वाली मेडिकल में प्रधानाचार्य का पद नियुक्त होकर कार्य ग्रहण करने तक संबंधित जिला चिकित्सालय में नियुक्त सदस्य सचिव के रूप में कार्य करेंगे. समिति 31 दिसंबर 2026 तक अस्तित्व में रहेगी. चिकित्सा शिक्षा विभाग इस समिति का प्रशासनिक विभाग होगा. जिला स्तरीय कमेटी की बैठक प्रत्येक 2 माह में एक बार आयोजित की जाएगी. राज्य सरकार ने प्रदेश में केंद्रीय परिवर्तित योजना के अंतर्गत स्थापित किए जाने वाले नवीन चिकित्सा महाविद्यालय के संबंध में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में अंतर विभागीय एंपावर्ड कमेटी का गठन किया है. ऐसे में साफ है कि आने वाले समय में अलवर के मेडिकल कॉलेज को लेकर तेजी से काम होगा. तो वहीं अलवर के लोगों का सालों का सपना पूरा हो सकता है.

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