अलवर. गरीब व्यक्ति भूखे न रहे इसके लिए सरकार की तरफ से दो रुपए किलो गेहूं परिवार के सदस्य के हिसाब से दिया जाता है. लेकिन अलवर में सरकारी अधिकारी और कर्मचारी कई साल से गरीबों के हक का गेहूं डकार रहे हैं. देखिये ये खास रिपोर्ट...
जिले की 2 रुपए किलाे राशन की सूची में एमबीबीएस डॉक्टर, रिटायर्ड एडिशनल आरटीओ, महिला बाल विकास विभाग की महिला सुपरवाइजर, सरकारी लेक्चरर, शिक्षकाें के नाम सामने आए हैं. बालाजी खाद्य विभाग के अधिकारियों का कहना है शुरुआती जांच पड़ताल के दौरान 3104 लोग गलत तरह से राशन लेते पाए गए हैं.
इन लोगों से अब तक करीब 90 लाख रुपए की वसूली की जा चुकी है. आगे की प्रक्रिया जारी है. लेकिन अलवर में हुए इस खुलासे ने सरकार के सभी दावों की पोल खोल कर रख दी है. अलवर जिले में करीब छह लाख बीपीएल, अंत्योदय राशन कार्ड धारक हैं. इनमें 25 लाख लोगों को हर माह एक लाख 12 हजार क्विंटल से ज्यादा गेहूं दिया जाता है.
पढ़ें- भरतपुर के एक होटल के कमरे में मिला प्रेमी युगल का शव, प्रेम प्रसंग में आत्महत्या की आशंका
बीपीएल अंत्योदय और अन्य श्रेणी में आने वाले लोगों की सूची में सरकारी विभाग के कर्मचारी और अधिकारियों के नाम का बड़ा खुलासा हुआ है. बड़े पदाें पर काम कर रहे या सेवानिवृत हाे चुके इन अधिकारियाें और कर्मचारियाें के नाम सामने आने के बाद जिला कलेक्टर ने पूरे मामले की जांच पड़ताल कराने के निर्देश दिए. इस दौरान 3104 लोग शुरुआती जांच में ऐसे पाए गए जो गलत तरह से सरकारी राशन लेते रहे हैं और राशन की सूची में उनका नाम दर्ज है.
इनमें से कुछ लोगों रिकवरी की उस सूची में ताे हैं जाे सरकार ने कलेक्टर और डीएसओ काे थमाई है. लेकिन साथ ही चाैंकाने वाली बात यह भी सामने आई है कि इनमें से अधिकांश का कहना है कि उन्हाेंने या उनके परिवार ने कभी राशन उठाया ही नहीं है. ऐसे में वसूली कैसे होगी. साथ ही यदि सूची में शामिल ये लाेग यदि कह रहे हैं कि इन्हाेंने कभी राशन नहीं उठाया ताे आखिर राशन किसने उठाया और इतनी बड़ी मात्रा में राशन आखिर कहां गया.
जिले में 3104 सरकारी अधिकारी और कर्मचारियाें के नाम सामने आए हैं. जिन्हाेंने सरकारी पद पर रहते हुए राशन उठाया है. हालांकि सरकार ने इनमें से 1359 से अब तक करीब 91 लाख की वसूली कर भी ली है. सूची में शामिल इन लाेगाें से अब 27 रुपए प्रति किलो के हिसाब से वसूली की जा रही है. इस कदम के बाद सरकारी कर्मचारी अब खुद ही नाम कटवाने के लिए डीएसओ ऑफिस आ रहे हैं और चालान से राशि जमा करवा रहे हैं.
आपकाे बता दें कि इन अधिकारियाें और कर्मचारियाें काे प्रदेश स्तर पर आधार कार्ड और जन आधार नंबर से चिह्नित किया है. जिनमें अलवर शहर के 373 कर्मचारी शामिल हैं. जिला कलेक्टर की ओर से सभी विभागों को भेजा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा सूची में शामिल 3104 अधिकारी और कर्मचारियों से करीब 1.5 करोड़ रुपए वसूले जाने हैं. अभी 1651 कर्मचारियों से 59.19 लाख रुपए की वसूली बकाया हैं.
सरकारी राशन में लूट का खेल लंबे समय से जारी है. हालांकि प्रशासन की तरफ से अब इस पर वसूली का डंडा चलाया जा रहा है. लेकिन देख रहा होगा कि आने वाले समय में और कितने लोग फर्जी तरह से राशन लेते हुए मिलते हैं.
पढ़ें- 12वीं के छात्र ने पिता की डांट से नाराज होकर की आत्महत्या, जांच में जुटी पुलिस
सभी सरकारी विभागों के अधिकारी हैं शामिल
आधार कार्ड और जन आधार कार्ड से चिह्नित किए अधिकारी-कर्मचारियों से डेढ़ साल पहले सरकार ने सख्ती दिखाते हुए वसूली के निर्देश दिए थे. कलेक्टरों के माध्यम से वसूली की शुरूआत की गई. अलवर में जिला कलेक्टर ने सभी 3104 अधिकारी-कर्मचारियों की सूची एसडीएम को भेजकर वसूली के निर्देश दिए. कलेक्टर ने फिर डीओ लेटर लिखकर सभी विभागों को सूची भेजकर वसूली के निर्देश दिए.
चारों तरफ से घिरे कर्मचारी पैसे जमा करा रहे हैं. इस खेल में सांख्यिकी अधिकारी, जिला परिषद में परियोजना अधिकारी, सचिवालय के पीए, लेक्चरर, शिक्षक, डाॅक्टर और पूर्व एआरटीओ सहित बड़ी संख्या में कर्मचारी और अधिकारी शामिल हैं. जिनकी लगातार जांच पड़ताल की जा रही है.
कराई जा रही है जांच पड़ताल
खाद्य विभाग की तरफ से लगातार राशन कार्डों की जांच पड़ताल की जा रही है. एसडीएम के स्तर पर ब्लॉक लेवल पर यह प्रक्रिया चल रही है. विभाग के अधिकारियों का दावा है कि लगातार नाम काटने का सिलसिला जारी है. अब तक बड़ी संख्या में लोगों के नाम भी काटे जा चुके हैं. इसके अलावा नए नाम जोड़ने की प्रक्रिया भी पूरी तरीके से रुकी हुई है.
पॉश मशीन से दिया जाता है राशन
अलवर सहित पूरे प्रदेश में गरीबों को पॉश मशीन से राशन दिया जाता है. इसके लिए आधार कार्ड से प्रत्येक राशन कार्ड धारक को जोड़ा गया है. पॉश मशीन में अंगूठा लगाने के बाद परिवार के सदस्यों की संख्या के हिसाब से राशन जारी किया जाता है. हालांकि बीच-बीच में ऑफलाइन भी राशन दिया जाता है.
कोरोना काल के दौरान भी जरूरत के हिसाब से सरकार और अधिकारियों के आदेश के बाद ऑफलाइन राशन उपलब्ध कराया गया. इसके अलावा कई राशन दुकान संचालक नेटवर्क नहीं आने का बहाना लगाकर भी ऑफलाइन राशन का वितरण करते हैं.