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अलवर में 12 अगस्त तक लगा लॉकडाउन, लोग नहीं मना पाएंगे रक्षाबंधन और ईद

अलवर में इस बार लाखों लोग रक्षाबंधन और ईद का पर्व नहीं मना सकेंगे, क्योंकि कोरोना संक्रमण के चलते जिला कलेक्टर ने अलवर के शहरी कोतवाली क्षेत्र में लॉकडाउन लगा दिया है. ऐसे में सभी बाजार पूरी तरह से बंद कर दिए गए हैं. इसके अलावा लोगों को आने-जाने की अनुमति भी नहीं है.

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12 अगस्त तक लॉकडाउ
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Published : Jul 30, 2020, 6:24 PM IST

अलवर. शहर के कोतवाली क्षेत्र में दो लाख से अधिक आबादी रहती है, शहर के सभी पुराने मोहल्ले और पुराने बाजार कोतवाली क्षेत्र में आते हैं. ऐसे में पहली बार यह लोग रक्षाबंधन का पर्व नहीं मना सकेंगे, क्योंकि जिला कलेक्टर के आदेश पर क्षेत्र में लॉकडाउन लगाया गया है. यह लॉकडाउन 12 अगस्त तक चलेगा.

लॉकडाउन के दौरान लोग अपने घरों में बंद रहे इसके लिए इस पूरे क्षेत्र को सील कर दिया गया है. पुरानी शहर बाजारों में आने-जाने के करीब 70 रास्तों पर बैरिकेडिंग की गई है. इसके अलावा भारी पुलिस बल तैनात है. इस क्षेत्र में सुबह 7 बजे से 11 बजे तक राशन दूध हलवाई और पतंग की दुकानें खुली रहेंगी. लेकिन शहर के अन्य क्षेत्र के लोग यहां खरीदारी करने नहीं आ सकते है. इसके अलावा इस क्षेत्र में रहने वाले लोग ही खरीदारी भी कर सकते हैं.

नहीं मना पाएंगे रक्षाबंधन और ईद

पढ़ेंः अलवर शहर के कोतवाली क्षेत्र में लगा लॉकडाउन, 14 दिनों तक लोग घर में रहेंगे कैद

रक्षाबंधन का पर्व बहन-भाई के रिश्ते का पर्व है. इस दिन भाई बहनों के घर जाते हैं, तो वहीं बहन भाइयों के घर जाती हैं. बहनें भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं, तो वहीं भाई उसकी रक्षा का वादा करते हैं. इस पर पर लोग मिठाइयां खरीदते हैं और नए कपड़े पहनते हैं. साथ ही एक दूसरे के घर जाकर खुशी का इजहार करते हैं. वहीं अलवर में इस मौके पर पतंगबाजी होती है और दूर-दूर से लोग पतंग उड़ाने के लिए अलवर आते हैं.

लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते इस बार रक्षाबंधन की चमक कम नजर आ रही है. साथ ही शहरी क्षेत्र में लगे लॉकडाउन के चलते लाखों लोगों के सामने परेशानी खड़ी हो गई है. इस संबंध में जिला कलेक्टर ने कहा कि कोरोना काल में बहुत से काम पहली बार नहीं हुए हैं. अलवर में पहली बार भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा नहीं निकली है, पहली बार तीज माता की सवारी नहीं निकली है. तो वहीं सावन के महीने में लोगों ने मंदिरों में पूजा नहीं की. इसी तरह से पहली बार लोग रक्षाबंधन पर्व भी नहीं मना सकेंगे. इससे आमजन के साथ ही व्यापारी को भी खासा नुकसान उठाना पड़ सकता है.

पढ़ेंः अलवर दो सप्ताह के लिए 'लॉक'...चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात

अन्य लोग भी होंगे प्रभावित

शहर और जिले के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले लोग त्योहार के सीजन में खरीदारी करने के लिए अलवर में आते हैं. अलवर का बाजार जयपुर से बेहतर माना जाता है. ऐसे में रक्षाबंधन के मौके पर इस बार लोग खरीददारी नहीं कर सकेंगे, इसलिए खास काम प्रभावित हो सकते हैं.

अलवर. शहर के कोतवाली क्षेत्र में दो लाख से अधिक आबादी रहती है, शहर के सभी पुराने मोहल्ले और पुराने बाजार कोतवाली क्षेत्र में आते हैं. ऐसे में पहली बार यह लोग रक्षाबंधन का पर्व नहीं मना सकेंगे, क्योंकि जिला कलेक्टर के आदेश पर क्षेत्र में लॉकडाउन लगाया गया है. यह लॉकडाउन 12 अगस्त तक चलेगा.

लॉकडाउन के दौरान लोग अपने घरों में बंद रहे इसके लिए इस पूरे क्षेत्र को सील कर दिया गया है. पुरानी शहर बाजारों में आने-जाने के करीब 70 रास्तों पर बैरिकेडिंग की गई है. इसके अलावा भारी पुलिस बल तैनात है. इस क्षेत्र में सुबह 7 बजे से 11 बजे तक राशन दूध हलवाई और पतंग की दुकानें खुली रहेंगी. लेकिन शहर के अन्य क्षेत्र के लोग यहां खरीदारी करने नहीं आ सकते है. इसके अलावा इस क्षेत्र में रहने वाले लोग ही खरीदारी भी कर सकते हैं.

नहीं मना पाएंगे रक्षाबंधन और ईद

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रक्षाबंधन का पर्व बहन-भाई के रिश्ते का पर्व है. इस दिन भाई बहनों के घर जाते हैं, तो वहीं बहन भाइयों के घर जाती हैं. बहनें भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं, तो वहीं भाई उसकी रक्षा का वादा करते हैं. इस पर पर लोग मिठाइयां खरीदते हैं और नए कपड़े पहनते हैं. साथ ही एक दूसरे के घर जाकर खुशी का इजहार करते हैं. वहीं अलवर में इस मौके पर पतंगबाजी होती है और दूर-दूर से लोग पतंग उड़ाने के लिए अलवर आते हैं.

लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते इस बार रक्षाबंधन की चमक कम नजर आ रही है. साथ ही शहरी क्षेत्र में लगे लॉकडाउन के चलते लाखों लोगों के सामने परेशानी खड़ी हो गई है. इस संबंध में जिला कलेक्टर ने कहा कि कोरोना काल में बहुत से काम पहली बार नहीं हुए हैं. अलवर में पहली बार भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा नहीं निकली है, पहली बार तीज माता की सवारी नहीं निकली है. तो वहीं सावन के महीने में लोगों ने मंदिरों में पूजा नहीं की. इसी तरह से पहली बार लोग रक्षाबंधन पर्व भी नहीं मना सकेंगे. इससे आमजन के साथ ही व्यापारी को भी खासा नुकसान उठाना पड़ सकता है.

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अन्य लोग भी होंगे प्रभावित

शहर और जिले के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले लोग त्योहार के सीजन में खरीदारी करने के लिए अलवर में आते हैं. अलवर का बाजार जयपुर से बेहतर माना जाता है. ऐसे में रक्षाबंधन के मौके पर इस बार लोग खरीददारी नहीं कर सकेंगे, इसलिए खास काम प्रभावित हो सकते हैं.

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