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नवजातों पर कहर कब तक: अलवर में प्रतिदिन एक बच्चे की मौत, ये है आंकड़े

कोटा, बूंदी, जोधपुर में लगातार हो रही बच्चों की मौत की घटना ने प्रदेश सरकार को हिला कर रख दिया है. जबकि अलवर जिले में सालों से यह सिलसिला चल रहा है. सरकारी आंकड़ों के हिसाब से अलवर में प्रतिदिन एक बच्चे की मौत होती है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग और प्रदेश सरकार का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है. इसलिए यह सिलसिला लगातार जारी है.

Geetanand Hospital Alwar, 10 children died in Alwar
अलवर में प्रतिदिन एक बच्चे की मौत
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Published : Jan 6, 2020, 9:30 PM IST

Updated : Jan 8, 2020, 2:47 PM IST

अलवर. सालों से अलवर में बच्चों की मौत का सिलसिला चल रहा है. सरकार इसको लेकर कितनी गंभीर है. इसकी तस्दीक गीतानंद शिशु अस्पताल के आंकड़े कर रहे है. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2017 में 376 बच्चों की मौत हुई थी, तो साल 2018 में ये आंकड़ा थोड़ा कम होते हुए 313 हो गई.

अलवर में प्रतिदिन एक बच्चे की मौत

पढ़ें- राजस्थान : नहीं थम रहा नवजात शिशुओं की मौत का सिलसिला, 112 हुई मृतकों की संख्या

वहीं बीते साल 2019 की बात करें तो 277 बच्चों ने अस्पताल में दम तोड़ा है. वहीं बात बीते साल 2019 पर गौर करें तो 3446 बच्चे अस्पताल में भर्ती हुए. जिनमें से 277 की मौत हो गई. वहीं दिसंबर महीने में 179 बच्चे भर्ती हुए. जिनमें से 10 बच्चों की मौत हो गई. तो 39 बच्चों को अस्पताल से रेफर किया गया.

पढ़ें- नवजातों पर कहर कब तक: मैप के जरिए जाने राजस्थान में कहां कितनी हुई मौतें

सरकारी आंकड़ों के हिसाब से अलवर में प्रतिदिन एक बच्चे की मौत होती है यह हालात अकेले शिशु अस्पताल के हैं. अलवर जिला जयपुर के बाद राजस्थान में दूसरा सबसे बड़ा जिला है. अलवर में 36 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 122 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, एक सेटेलाइट अस्पताल, 6 डिस्पेंसरी है.

पढ़ें- कोटा: मृत बच्चों के परिजन से मिला अस्पताल प्रबंधन, लिखित आश्वासन दिया, "लापरवाही से नहीं मरेगा बच्चा"

ग्रामीण क्षेत्र में हालात और ज्यादा खराब है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग व प्रदेश सरकार का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है. इसलिए लगातार अलवर में बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है. प्रदेश के श्रम मंत्री टीकाराम जूली हालात सुधारने व जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं.

अलवर. सालों से अलवर में बच्चों की मौत का सिलसिला चल रहा है. सरकार इसको लेकर कितनी गंभीर है. इसकी तस्दीक गीतानंद शिशु अस्पताल के आंकड़े कर रहे है. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2017 में 376 बच्चों की मौत हुई थी, तो साल 2018 में ये आंकड़ा थोड़ा कम होते हुए 313 हो गई.

अलवर में प्रतिदिन एक बच्चे की मौत

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वहीं बीते साल 2019 की बात करें तो 277 बच्चों ने अस्पताल में दम तोड़ा है. वहीं बात बीते साल 2019 पर गौर करें तो 3446 बच्चे अस्पताल में भर्ती हुए. जिनमें से 277 की मौत हो गई. वहीं दिसंबर महीने में 179 बच्चे भर्ती हुए. जिनमें से 10 बच्चों की मौत हो गई. तो 39 बच्चों को अस्पताल से रेफर किया गया.

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सरकारी आंकड़ों के हिसाब से अलवर में प्रतिदिन एक बच्चे की मौत होती है यह हालात अकेले शिशु अस्पताल के हैं. अलवर जिला जयपुर के बाद राजस्थान में दूसरा सबसे बड़ा जिला है. अलवर में 36 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 122 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, एक सेटेलाइट अस्पताल, 6 डिस्पेंसरी है.

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ग्रामीण क्षेत्र में हालात और ज्यादा खराब है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग व प्रदेश सरकार का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है. इसलिए लगातार अलवर में बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है. प्रदेश के श्रम मंत्री टीकाराम जूली हालात सुधारने व जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं.

Intro:अलवर
कोटा व बूंदी जिले में लगातार हो रही बच्चों की मौत की घटना ने प्रदेश सरकार को हिला कर रख दिया है। जबकि अलवर जिले में सालों से यह सिलसिला चल रहा है। सरकारी आंकड़ों के हिसाब से अलवर में प्रतिदिन एक बच्चे की मौत होती है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग और प्रदेश सरकार का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है। इसलिए यह सिलसिला लगातार जारी है।


Body:कोटा जिले में बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है। कोटा के बाद बूंदी प्रदेश के अन्य जिलों में भी बच्चों की मौत के मामले सामने आए हैं। जबकि अलवर में सालों से बच्चों की मौत का सिलसिला चल रहा है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग व प्रदेश सरकार का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है। इसलिए यह घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2019 में गीतानंद शिशु अस्पताल के एफबीएनसी वार्ड में 3446 बच्चे भर्ती हुए। इसमें से 277 बच्चों की मौत हुई। साल 2018 में 3641 बच्चे एफबीएनसी में भर्ती हुए। इनमें से 313 की मौत हुई। वहीं साल 2017 में 376 बच्चों की मौत का मामला सामने आया।


Conclusion:सरकारी आंकड़ों के हिसाब से अलवर में प्रतिदिन एक बच्चे की मौत होती है यह हालात अकेले शिशु अस्पताल के हैं। अलवर जिला जयपुर के बाद राजस्थान में दूसरा सबसे बड़ा जिला है। अलवर में 36 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 122 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, एक सेटेलाइट अस्पताल, 6 डिस्पेंसरी है। ग्रामीण क्षेत्र में हालात और ज्यादा खराब है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग व प्रदेश सरकार का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है। इसलिए लगातार अलवर में बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है। प्रदेश के श्रम मंत्री टीकाराम जूली हालात सुधारने व जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं।

बाइट- टीकाराम जूली, श्रम मंत्री
Last Updated : Jan 8, 2020, 2:47 PM IST
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