अलवर. सालों से अलवर में बच्चों की मौत का सिलसिला चल रहा है. सरकार इसको लेकर कितनी गंभीर है. इसकी तस्दीक गीतानंद शिशु अस्पताल के आंकड़े कर रहे है. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2017 में 376 बच्चों की मौत हुई थी, तो साल 2018 में ये आंकड़ा थोड़ा कम होते हुए 313 हो गई.
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वहीं बीते साल 2019 की बात करें तो 277 बच्चों ने अस्पताल में दम तोड़ा है. वहीं बात बीते साल 2019 पर गौर करें तो 3446 बच्चे अस्पताल में भर्ती हुए. जिनमें से 277 की मौत हो गई. वहीं दिसंबर महीने में 179 बच्चे भर्ती हुए. जिनमें से 10 बच्चों की मौत हो गई. तो 39 बच्चों को अस्पताल से रेफर किया गया.
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सरकारी आंकड़ों के हिसाब से अलवर में प्रतिदिन एक बच्चे की मौत होती है यह हालात अकेले शिशु अस्पताल के हैं. अलवर जिला जयपुर के बाद राजस्थान में दूसरा सबसे बड़ा जिला है. अलवर में 36 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 122 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, एक सेटेलाइट अस्पताल, 6 डिस्पेंसरी है.
ग्रामीण क्षेत्र में हालात और ज्यादा खराब है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग व प्रदेश सरकार का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है. इसलिए लगातार अलवर में बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है. प्रदेश के श्रम मंत्री टीकाराम जूली हालात सुधारने व जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं.