अजमेर. कोरोना वायरस से बचाव के लिए शासन और प्रशासन की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार की मदद उतनी नहीं पहुंच पा रही है. लेकिन, इस विकट परिस्थिति में कुछ लोग है, जो योद्धा के रूप में आगे आए हैं. ऐसे ही हैं गांव दोराई के सरपंच पति, जिन्होंने गांव की महिलाओं के साथ मिलकर एक बड़ी परेशानी का हल खोजा है.
वायरस ना फैले इसलिए मास्क है जरूरी
कोरोना से बचाव के लिए सबसे मुख्य हथियार है, मास्क. गांव में मास्क मेडिकल शॉप पर मिलते हैं, लेकिन वो भी डिस्पोजल, जिसका एक बार ही उपयोग किया सकता है. ग्रामीण बार-बार मास्क नहीं खरीद सकते.
इसलिए गांव के ही पढ़े लिखे सरपंच पति चंद्रभान ने अपने प्रयासों से सूती कपड़ा जुटाया और गांव की महिलाओं को मास्क बनाने के लिए प्रोत्साहित किया. जनहित में गांव की एक दर्जन महिलाएं कपड़े का मास्क बनाने में जुट गई है.
हर महिला बनी योद्धा
मास्क बनाने के लिए महिलाओं को कोई पारिश्रमिक नहीं मिलेगा, लेकिन उन्हें संतोष है कि कोरोना से बचाव की जंग में उन्हें अपनी भागीदारी निभाने का मौका मिल रहा है. गांव की एक दर्जन महिलाएं 5 हजार कपड़े का मास्क बनाने में जुटी हुई है.
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ग्रामीण कोरोना योद्धा उषा बताती है कि ग्रामीणों के लिए वे मास्क बना रही हैं, ताकि मास्क लगाकर रहने से ग्रामीण कोरोना वायरस से बच सके. बता दें कि दोराई गांव के दोनों ओर हाइवे निकलता है. गांव में श्रमिकों की संख्या भी अधिक है. गांव में 30 से भी ज्यादा लोग क्वॉरेंटाइन में है.
5 हजार मास्क का लक्ष्य, आगे भी बनाएंगे
सरपंच पति चंद्रभान गुर्जर बताते हैं कि गांव की आबादी 10 हजार है. कोरोना वायरस से बचाव के लिए मास्क अहम हथियार है. गुर्जर ने बताया कि एक दर्जन महिलाएं शुरुआत में 5000 कपड़े का मास्क बनाएंगी. इन मास्क को ग्रामीणों में वितरित किया जाएगा साथ ही उन्हें यह भी बताया जाएगा कि कपड़े के मास्क का उपयोग वे कैसे करें.
कपड़े का मास्क चलेगा लंबा
कपड़े का मास्क लंबे समय तक उपयोग में लिया जा सकता है. बशर्त इसके उपयोग के बाद उसे गर्म पानी से धोकर धूप में सुखा लिया जाए. उन्होंने बताया कि 5 हजार मास्क बनने के बाद लॉकडाउन की स्थिति को देखते हुए 5 हजार मास्क और बनाए जाएंगे.
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सच ही है जहां चाह वहां राह है. दोराई में सरपंच पति चंद्रभान गुर्जर ने अपनी सोच के साथ ग्रामीण महिलाओं को अन्य लोगों की सुरक्षा के लिए तैयार किया और आज दोराई की यह ग्रामीण महिलाएं कोरोना से ग्रामीणों को बचाने के लिए मास्क रूपी हथियार बनाने में जुटी हुई है.