अजमेर. ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह के समीप ही बना ऐतिहासिक अढ़ाई दिन का झोपड़ा जिसे 1153 में सम्राट बीसलदेव द्वारा बनवाया गया था. जिसके बाद मोहम्मद गोरी ने इसे मस्जिद का रूप दे दिया. इस इमारत को बनाने में लगभग ढाई दिन का समय लगा. जिसके बाद इसे 'अढ़ाई दिन का झोपड़ा' कहा जाता है .
ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह पर पहुंचने वाले जायरीन अढ़ाई दिन के झोपड़े को देखने जरूर पहुंचते हैं, लेकिन इन दिनों चल रहे खौफ के दूसरे नाम कोरोना वायरस के चलते अढ़ाई दिन के झोपड़े को अगले आदेशों तक के लिए बंद कर दिया गया है. ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह दिखा दो नफीस ब्राइटनेस का विरोध दर्ज कराया. उन्होंने कहा कि नमाज के लिए अढ़ाई दिन के झोपड़े को खोल देना चाहिए.
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केंद्र सरकार के आदेशों के बाद पहले ही जिस तरह से सभी कोचिंग सेंटर, सिनेमाघरों, स्कूल और कॉलेजो का अवकाश 30 मार्च तक कर दिया गया. किसी भी सामूहिक आयोजन को लेकर प्रशासन कोई भी मंजूरी नहीं दे रहा है. अब ऐसे में कोरोना का खौफ हर क्षेत्र में देखने को मिल रहा है. वहीं महाराष्ट्र से पहुंचे जायरीनों ने बताया कि कोरोना वायरस का इतना कोई असर नहीं है. उसके बावजूद भी देश में कोरोना डर चल जा रहा है.
जायरीनों ने बताया कि ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह पर घूमने आए थे. इस ऐतिहासिक इमारत को देखने की काफी इच्छा थी, लेकिन उन्हें जानकारी दी गई की कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण के चलते इस इमारत को आगामी आदेशों के तक बंद कर दिया गया.