अजमेर. देश में आर्थिक मंदी से अजमेर भी अछूता नहीं रहा है. हालात यह है कि बिक्री नहीं होने से उत्पादन में कमी आ गई है. बाजार में समान तो है लेकिन ग्राहकी नहीं है. हालात यह है कि बाजार में ग्राहकी के लिए दुकानदार तरस जाते हैं. सर्राफा, इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़ा, ऑटोमोबाइल, बर्तन, होटल, रेस्टोरेंट सहित थोक और रिटेल व्यवसाय का भी यही हाल है.
इलेक्ट्रॉनिक सामान के कारोबारी भानु प्रताप सिंह सिसोदिया ने बताया कि बाजार की स्थिति काफी गंभीर है. मोदी सरकार ने पिछले कार्यकाल में जीएसटी लागू कर टैक्स बढ़ाने के अलावा कुछ नहीं किया. इस बार उम्मीद की जा रही थी कि आर्थिक सुधार करके व्यापारियों के हित में सरकार कोई ठोस कदम उठाएगी. बाजार में व्यापारियों की हालत विकट है ऐसा ही चलता रहा तो व्यापारी कर्जदार होकर आत्महत्या जैसे कदम भी उठा सकते हैं.
सर्राफा बाजार का हाल बेहाल
अजमेर सर्राफा बाजार एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक बिंदल ने कहा कि मोदी सरकार 100 दिन के कार्यकाल पूरा कर रही है अच्छी बात है लेकिन उन्हें देश की आर्थिक सुधार की भी चिंता करनी चाहिए. हर व्यापारिक सेक्टर में आर्थिक मंदी है. सरकार को सोने-चांदी पर लगाए 3 फीसदी जीएसटी और ढाई फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी टैक्स पर पुनर्विचार करना चाहिए. बिंदल ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत आसमान छू रही है. सोना आम आदमी की पहुंच से दूर होता जा रहा है. 15 दिन तक दुकानदार ग्राहक को तरस जाते हैं.
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ऑटोमोबाइल क्षेत्र में भी देखी जा रही भारी मंदी
ऑटोमोबाइल क्षेत्र में भी भारी मंदी देखी जा रही है. मंदी की वजह से वाहनों की सेल्स आधी से भी कम हो गई है. ऑटोमोबाइल व्यवसाय से जुड़े अंकुर ने बताया कि आरटीओ टैक्स 2 फीसदी बढ़ाया गया है. वहीं इंश्योरेंस अमाउंट भी काफी महंगा हो गया है. जिससे वाहन 22 फीसदी महंगे हो गए हैं. आर्थिक मंदी का ही असर है कि आज कोई भी बैंक खाते से पैसा निकालने को तैयार नहीं है.
ऑटोमोबाइल व्यवसाई से ही जुड़े दिलीप सारण ने बताया कि मंदी का असर पूरे देश में है. मोदी सरकार ने जो आर्थिक सुधार किए हैं उसके नतीजे आने में वक्त लगेगा जैसे घर की मरम्मत में वक्त लगता है. उन्होंने बताया कि पिछली दिवाली से लगातार वाहनों की बिक्री कम होती जा रही है. उन्हें उम्मीद है कि दिवाली का फेस्टिवल सीजन व्यापारियों के लिए अच्छा होगा.
कपड़ा बाजार भी अछूता नहीं
मंदी से कपड़ा बाजार भी अछूता नहीं रहा है. हालात यह है कि कपड़ा व्यापारी अन्य व्यवसाई की सोचने लगे हैं. कपड़े के बड़े व्यापारी और अजमेर कपड़ा व्यापार एसोसिएशन के अध्यक्ष किशन गुप्ता ने बताया कि कपड़े पर पहले कोई टैक्स नहीं था अब जीएसटी लगने से कपड़ा व्यवसाई पर मंदी का दौर गुजर रहा है. कपड़ा उत्पादन में 50 फीसदी की कमी आई है. वहीं 50 फीसदी रोजगार पर भी असर पड़ रहा है.
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एक अन्य कपड़ा व्यवसाई विमल गोयल ने बताया कि इस तरह की मंदी उन्होंने अपने व्यवसाई जीवन में पहले कभी नहीं देखी. इससे अच्छी ग्राहकी तो पहले श्राद्ध के दिनों में भी हो जाया करती थी. मंदी से कपड़ा व्यवसाय को भरने के लिए जीएसटी से कपड़े को मुक्त करना चाहिए.
गौरतलब है कि मंदी की वजह से अजमेर के बाजारों में सन्नाटा पसरा हुआ है. व्यापारी ग्राहकों को तरस रहे हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि मोदी सरकार-2 व्यापारी और आमजन के हित में कोई फैसला लेकर आर्थिक सुधार करेगी.