अजमेर (किशनगढ़). भंवर सिनोदिया हत्याकांड का मुख्य आरोपी बलराम जाट धौलपुर जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है. इस पूरी साजिश का मुख्य सूत्रधार उसे माना जा रहा है. बलवाराम के इशारे पर ही हरमाड़ा सरपंच पुत्र भागचंद चोटिया को सरेआम बाजार में गोली मारकर हत्या की गई थी.
हत्याकांड की मुख्य वजह भागचंद चोटिया का बढ़ता राजनीतिक और आर्थिक रुतबा व प्रसिद्धि बताया जा रहा है. वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी भाग गए थे. पुलिस ने तीन आरोपियों को पकड़ा है. जबकि दो आरोपी अभी भी फरार हैं. मामले में धौलपुर जेल से बंद बलवाराम जाट को जिला पुलिस पूछताछ के लिए जल्द अजमेर लेकर आएगी. पकड़े गए आरोपी हीरालाल, रामदयाल और देवाराम से पुलिस पूछताछ कर वारदात में प्रयुक्त हथियार और फरार आरोपियों के बारे में पूछताछ कर रही है. बताया जा रहा है कि धौलपुर जेल में बंद बलवाराम जाट मोबाइल फोन के जरिए इन आरोपों से लगातार संपर्क में था.
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क्या है मामला?
हरमाड़ा निवासी भागचंद चोटिया पुत्र स्वर्गीय भंवरलाल चोटिया प्रोपर्टी सहित अन्य काम करता था. उसकी प्रतिदिन बालाजी के मंदिर के पास बैठक थी. रोजाना की तरह शाम 4 बजे वह परिचितों से बैठक कर अपने घर जाने के लिए शंकर चाय की दुकान के बाहर खड़ी कार की तरफ बढ़ा ही था कि घात लगाए हमलावरों ने चोटिया पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी. हमलावरों ने चोटिया पर बिल्कुल नजदीक से जाकर फायर किया, जिससे उसे संभलने का मौका नहीं मिला और गोलियां लगने से मौके पर ही उसकी मौत हो गई. चोटिया के शरीर के हिस्सों में तीन गोलियां लगीं. हमले के बाद तीनों हमलावर बाइक पर सवार होकर मौके से फरार हो गए.
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भंवर सिनोदिया हत्याकांड का चश्मदीद गवाह था भागचंद चोटिया
कांग्रेस के पूर्व विधायक नाथूराम सिनोदिया के पुत्र भंवर सिनोदिया की 9 मार्च 2011 को जमीनी विवाद को लेकर बलभा जाट, सिकंदर और शहजाद सहित अन्य आरोपियों ने अपहरण कर साली के जंगलात में हत्या कर दी थी. भागचंद चोटिया और भंवर सिनोदिया के अपहरण का एकमात्र मुख्य चश्मदीद गवाह था. उसके बाद से पूर्व विधायक नाथूराम सिनोदिया और भागचंद चोटिया को सरकार की ओर से सुरक्षा गार्ड उपलब्ध कराए गए थे. लेकिन कुछ समय से चोटिया का गार्ड हटा दिया गया था.
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इसको लेकर चोटिया ने सितंबर 2019 में हाइकोर्ट में याचिका दायर कर पुलिस सुरक्षा मांगी थी. एक साल तक याचिका लंबित रही और सुरक्षा मिले बिना ही बीते रविवार को गोलीमार चोटिया की हत्या हो गई. यह भी बताया जा रहा है कि भागचंद चोटिया और बलवाराम के बीच पुरानी रंजिश थी. पैरोल या पेशी पर किशनगढ़ आने पर बलवाराम और भागचंद चोटिया के बीच पहले कई बार तनातनी हो चुकी है.