अजमेर. ख्वाजा गरीब नवाज के शहर अजमेर में पहला रोजा इफ्तारी के मौके पर लॉकडाउन के बीच घर से बाहर नहीं आ कर घरों में ही रह कर मुस्लिम समुदाय के लोग इबादत करते हुए और पहला रोजा खोलते हुए नजर आए. उन्होंने कहा कि जिस तरह से देश भर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर लॉकडाउन किया गया है, उसकी पालना करते हुए सभी मुस्लिम समुदाय के लोगों ने रोजा इफ्तारी के मौके पर घरों में ही रहकर पहला रोजा खोला है.
रहमतों का महीना कहा जाने वाला रमजान शुरू हो चुका हैं, जहां लोग अल्लाह से इबादत करते हैं, वहीं दुआओं में बैठकर दिन भर भूखे प्यासे रहकर शाम को रोजा इफ्तारी करते हैं, लेकिन देश में जिस तरह के हालात इस समय चल रहे हैं उसको देखते हुए मुस्लिम समुदाय के धर्म गुरुओं द्वारा लोगों से लगातार अपील की जा रही थी कि घरों में ही रह कर तरावीह की नमाज अदा करें और किसी तरह का समूह आयोजन में भाग ना लेकर घरों में ही इबादत करते हुए रोजा खोला.
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कर्फ्यू से आई काफी दिक्कत-
दरगाह शरीफ क्षेत्र में कर्फ्यू होने के कारण कई रोजेदारों को परेशानी का सामना भी करना पड़ा. प्रशासन की तरफ से कर्फ्यू ग्रस्त इलाकों में राशन, फल, फ्रूट आदि की व्यवस्था की गई थी लेकिन जैसे ही टेंपो क्षेत्र में पहुंचा तो लंबी कतारें लग गई. अब ऐसे में कई लोगों का कहना है की उन्हें फल-फ्रूट नहीं मिल पाए. सामग्री को मनचाहा दामों में बेचा जा रहा था. जहां आम 150 रुपए किलो, टमाटर 100 रुपए किलो, खजूर 160 रुपए किलो, केले 50 रुपए किलो दिए गए थे.
रमजान के पाक महीने में लोगों ने नमाज के बाद दुआएं भी मांगी जिस तरह से कोरोना वैश्विक महामारी के बीच लोगों को जूझना पड़ रहा है तो उन्होंने इस मौके पर अल्लाह से इबादत करते हुए इस भयंकर महामारी से लोगों को बचाने की दुआ मांगी. जिस तरह से लगातार अजमेर में कोरोना संक्रमण का खतरा बना हुआ है, तो वहीं लोगों को इससे निजात मिले और देशभर में कोरोना वैश्विक महामारी खत्म हो जाए.