अजमेर. शहर के बीचों बीच स्थित मानव निर्मित आनासागर झील पर जल कुंभी का खतरा मंडराने लगा है. झील में वर्षा का जल के आवक का मुख्य स्रोत बांडी नदी है. हालात ये है कि बांडी नदी जल कुंभी से अटी पड़ी है और आनासागर झील की ओर बढ़ रही है. प्रशासन ने नदी से जलकुंभी निकलने की कवायद शुरू की है, लेकिन वो ऊंट के मुंह मे जीरे के समान है.
अजमेर में आनासागर झील पर जल कुम्भी का खतरा मंडरा रहा है. बांडी नदी से जल कुम्भी धीरे धीरे बढ़ते हुए आनासागर झील के मुहाने तक पहुंच गई है. झील में जल कुम्भी आने के बाद इस पर काबू पाना बहुत ही मुश्किल होगा. ऐसे में झील के सौंदर्य पर जलकुंभी का दाग लग जाएगा. साथ ही स्मार्ट सिटी योजना के अंतर्गत पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से झील के चारों ओर हो रहे सौंदर्य करण के कार्य फीके पड़ जाएंगे.
क्षेत्र के पूर्व पार्षद ज्ञान सारस्वत का कहना है कि 4 साल पहले तक अजमेर में जलकुंभी नहीं थी. सारस्वत ने बताया कि जलकुंभी वनस्पति एक प्रकार का पानी का दानव है जो बहुत ही जल्दी फैलाव लेकर पूरे पानी को ढक देता है. जलकुंभी विकसित होने के बाद जल में रहने वाले जीव सुरक्षित नहीं रहते.
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वहीं, अन्य वनस्पतियों को भी यह पनपने नहीं देती. पूर्व पार्षद ने जलकुंभी हटाए जाने के प्रशासन के प्रयासों का स्वागत किया है, लेकिन साथ ही सुझाव दिया है कि यदि बड़ी नदी में पानी कम है. नदी में सीवेज का वाल्व है जिसे खोलकर पानी को सिविल लाइन में डाला जा सकता है जिस कारण नदी में पानी नहीं रहेगा और जलकुंभी समूल रूप से नष्ट हो जाएगी.