अजमेर. 11 करोड़ की नशीली दवाओं की खेप पकड़े जाने के मामले में प्राइम सस्पेक्ट श्याम सुंदर मूंदड़ा और उसका साथी कलाम पुलिस की पकड़ से दूर हैं. मामले में विनायक मेडिकल फॉर्म के संचालक श्याम सुंदर मूंदड़ा के कहने पर दवाओं के बॉक्स को गोदाम से ट्रांसपोर्ट कार्यालय ले जाने वाले टेंपो चालक शेख साजिद ने एसपी कार्यालय पहुंचकर खुद को सरेंडर किया है. शेख साजिद का आरोप है, उसे गिरफ्तार करने के पुलिस ने तीन दिन से उसके पिता को हिरासत में रखा है.
एसपी कार्यालय सरेंडर होने पहुंचे शेख साजिद ने बताया, वह टेंपो चालक है. वह श्याम सुंदर के कहने पर गोदाम से दवाओं के बॉक्स ट्रांसपोर्ट लगाने के लिए उनके कार्यालय जाता रहता था. बॉक्स में इस तरह की दवाइयां थीं, यह उसे नहीं पता था. श्याम सुंदर की नशीली दवा बेचने के मामले में उसे कोई जानकारी नहीं है, वह सिर्फ दवा के बॉक्स गोदाम से उठाकर ट्रांसपोर्ट कार्यालय ले जाता था. लेकिन पुलिस ने उसे भी आरोपी बना दिया है.
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उसने बताया, वह किराए के मकान में रहता है. मामला उजागर होने के बाद वह काफी डर गया था, पीछे से उसके पिता को पुलिस ने हिरासत में ले लिया. जबकि उसके पिता का कोई भी कसूर नहीं है. परिवार वालों पर उसे गिरफ्तार करने का दबाव बनाया जा रहा था. उसने बताया, इतने बड़े मामले में न तो उसके पास अपने को सही साबित करने के लिए वकील करने की भी हैसियत नहीं है. पुलिस मामले में उसे जबरन आरोपी बनाना चाहती है, जबकि मामले से उसका कोई लेना-देना नहीं है. शेख साजिद ने कहा, पुलिस उसे गिरफ्तार कर ले. लेकिन जो गुनाह उसने नहीं किया, वह उसे कभी कबूल नहीं करेगा. उसने पुलिस के आला अधिकारियों से उसके पिता शेख संजीद को मुक्त करने की मांग की है.
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बता दें, जयपुर और अजमेर में 11 करोड़ रुपए की नशीली दवाइयों के मामले में मुख्य आरोपी श्याम सुंदर मूंदड़ा और उसके साथ ही कलाम की पुलिस सरगर्मी से तलाश कर रही है. लेकिन पुलिस के हाथ अभी तक खाली हैं. मुख्य आरोपी के पकड़े जाने के बाद ही मामले की जांच की दिशा तय हो पाएगी. अब तक की जांच में सामने आया है, जयपुर की फर्म औरैया से मूंदड़ा ने ही दवाइयों की खेप मंगवाई थी. जबकि जयपुर की फर्म के संचालक पुलिस जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं. जांच में यह भी सामने आया है, मुख्य आरोपी का साथी कलाम डेढ़ महीने पहले तक विनायक मेडिकल पर कार्यरत था.
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गौरतलब है, जयपुर में 23 मई को 5 करोड़ 21 लाख की दवाइयां पकड़े जाने की भनक लगते ही मूंदड़ा ने दवाओं के 114 कार्टन को अपने विमला मार्केट गोदाम से निकालकर ट्रांसपोर्ट कंपनी के प्रतिनिधि राहुल चौहान के हवाले कर दिया था. राहुल ने यह माल लतीफ के खाली गोदाम में रखवा दिया था, पुलिस इस दिशा में जांच कर रही है कि प्रतिबंधित दवाई देश के अन्य शहरों में कहां-कहां सप्लाई होनी थी. मामले में मुख्य आरोपी श्यामसुंदर मूंदड़ा के साथ उसके भाई लक्ष्मी कांत मूंदड़ा और कमल कांत मूंदड़ा की पुलिस सरगर्मी से तलाश कर रही है और उनके संबंधित ठिकानों पर दबिश भी दी जा रही है.
साजिद पुलिस से भागते-भागते हो गया था परेशान
रामगंज थाना पुलिस ने करोड़ों रुपए की नशीली दवाओं के गोदाम पर छापा मारकर बड़ी कामयाबी हासिल की थी. हालांकि, पुलिस को इस मामले के मास्टरमाइंड का अभी तक पता नहीं चला है. लेकिन इन नशीली दवाओं को एक जगह से दूसरी निर्धारित स्थान तक पहुंचाने वाले आरोपी ने शुक्रवार को एसपी कार्यलय में सरेंडर कर दिया था.
आरोपी ने कहा, वह भागते-भागते काफी परेशान हो गया था. इसीलिए वह खुद को पुलिस के हवाले कर रहा है. क्लॉक टावर थाना पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है. इस पूरे घटनाक्रम के बारे में जानकारी देते हुए क्लॉक टावर थाना अधिकारी दिनेश कुमावत ने बताया, नशीली दवाओं के मामले में दवा को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने वाला साजिद शेख भी इस पूरे मामले में नामजद है. आरोपी ई-रिक्शा चालक है और वह अपने ई-रिक्शा के जरिए ही दवाओं के कार्टून को एक जगह से दूसरी जगह लाता ले जाता था.
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मामले का मास्टरमाइंड अब भी है फरार
आरोपी ने इस संबंध में अपना जुर्म भी कबूल कर लिया है. कई बार माल बेचने पर व्यवसाय अपने घर भी ले जाया करता था. इस मामले में पुलिस ने उसकी तलाश करते हुए उसके पिता से भी पूछताछ की थी. लेकिन उनका इस मामले में हाथ नहीं होने के कारण उन्हें छोड़ दिया गया. वहीं मुख्य आरोपी श्याम सुंदर मूंदड़ा की तलाश में पुलिस संभावित जगहों पर दबिश दे रही है.