अजमेर. छात्रसंघ चुनाव को लेकर महर्षि दयानंद सरस्वती यूनिवर्सिटी और कॉलेज कैम्पसों में चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई है. छात्र संघ चुनाव में मूल सुविधाओं को शैक्षणिक और खेल कूद से जुड़े मुद्दों के अलावा हाल ही में अनुच्छेद 370 और 35 ए को हटाए जाने का मुद्दा भी शामिल हो गया है. ईटीवी भारत ने एमडीएस यूनिवर्सिटी में छात्र नेताओं और विद्यार्थियों से छात्र संघ चुनाव को लेकर बातचीत की.
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ईटीवी भारत से बातचीत में प्रमुख छात्र संगठन एनएसयूआई से पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष भगवान सिंह और एबीवीपी से पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष मोहित जैन ने हमारे साथ रहे. वहीं यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी और दावेदार भी शामिल रहे. विद्यार्थियों ने बताया कि डेढ़ वर्ष यूनिवर्सिटी में कुलपति का पद रिक्त है. इसके अलावा विभिन्न विभागों में भी शिक्षकों के कई पद रिक्त हैं. इसकी वजह से यूनिवर्सिटी के कामकाज और शैक्षणिक गतिविधियां प्रभावित हो रही है.
एनएसयूआई के पदाधिकारी भगवान सिंह ने बताया कि सरकार को कई बार लिखित में दिया जा चुका है. लेकिन, राज्यपाल की ओर से अभी तक यूनिवर्सिटी में कुलपति की नियुक्ति नहीं की गई है. एबीवीपी के पदाधिकारी मोहित जैन ने बताया कि कुलपति की नियुक्ति नहीं होने से यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं. उन्होंने बताया कि यूनिवर्सिटी में समय पर परीक्षाएं नहीं होने से परिणाम भी देरी से घोषित किए गए हैं. जिसकी वजह से विद्यार्थियों को परेशान होना पड़ रहा है.
एक छात्र ने बताया कि यूनिवर्सिटी में खेल का मैदान सचिन तेंदुलकर के नाम से बनाए जाने की घोषणा की गई थी. लेकिन अभी तक एक ईंट भी नहीं लगाई गई है. वहीं यूनिवर्सिटी खेल बोर्ड भी सक्रिय नहीं है. खिलाड़ियों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही है. जैन ने बताया कि सरकार ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 और 35ए हटाई है. यह मुद्दा भी एबीवीपी चुनाव में लेकर आएगी. वहीं एनएचआई पदाधिकारी भगवान सिंह ने कहा कि धारा 370 और 35 ए के हटाए जाने से कांग्रेस ने भी इसका स्वागत किया है. यह राष्ट्रीय मुद्दा है. जो लोग अपने आप को राष्ट्रवादी कह रहे हैं तो क्या हम राष्ट्रवादी नहीं है. उन्होंने कहा कि छात्र संघ चुनाव में इस तरह के मुद्दे नहीं बल्कि छात्र हितों और यूनिवर्सिटी एवं कॉलेज केंपस से जुड़े मुद्दे ही हावी रहते हैं.
छात्र संघ चुनाव को लेकर छात्र संगठन की अपनी रणनीति और मुद्दे हैं जिन को लेकर विद्यार्थियों को प्रभावित करने में छात्र नेता जुटे हुए हैं. एक छात्र का कहना है कि चुनाव जीतने के बाद छात्र नेता विद्यार्थियों के बीच में नहीं रहते हैं. उन्हें विद्यार्थियों के बीच में रहना चाहिए और उनकी समस्याओं को हल कराने के लिए अपने को सक्रिय रखना चाहिए. छात्र संघ चुनाव के मद्देनजर एबीवीपी और एनएसयूआई के पदाधिकारियों ने जीतने के बाद छात्र हितों और कैंपस के विकास के अपने-अपने दावे किए हैं. अब देखने वाली बात यह होगी कि इन मुद्दों के जरिए नफा और नुकसान किसे होता है.