अजमेर. ख्वाजा शरीफ की दरगाह राजस्थान के अजमेर शहर में स्थित है. इस दरगाह को भारत का प्रसिद्ध धार्मिक स्थान माना जाता है. इसके अंदर ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्ला अलैह की कब्र बनी हुई है. ये गरीब नवाज के नाम से भी प्रसिद्ध है. ख्वाजा शरीफ आने वाले लोगों का मानना है कि यह एक ऐसा पाक-शफ्फाक नाम है, जिसको सुनने से भी सकून की प्राप्ति होती है.
भारत के हर हिस्सों से यहां लोग आकर अपनी ख्वाइशों की पूर्ति के लिए सिर नवाते हैं. लेकिन कोरोना माहमारी के चलते लगे लॉकडाउन की वजह से पिछले 3 महीने पहले मंदिरों, मस्जिदों, गिरजाघरों और दरगाहों को बंद कर दिया गया था. अनलॉक 1 के तहत केंद्र सरकार ने सभी देवस्थानों को खोलने की अनुमति दे दी है. वहीं राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत ने धार्मिक स्थलों को बंद रखने का ही फैसला लिया है.
अजमेर स्थित पाक ख्वाजा गरीब नवाज का दर भी पिछले 90 दिनों से बंद है. ऐसे में यहां आने वाले जायरीन ख्वाजा के दरबार के खुलने की राह निहार रहे हैं. राजस्थान सरकार ने अभी तक धार्मिक स्थानों को खोलने को लेकर किसी भी तरह की गाइडलाइन जारी नहीं की है. ऐसे में अजमेर ख्वाजा गरीब नवाज के दरबार के बाहर बैठी महिला जायरीन दरबार खुलने का इंतजार कर रही है.
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दरगाह के खादिम नफीस मियां चिश्ती बताते हैं कि काफी संख्या में महिला सुबह से ही गेट नंबर 10 के बाहर बैठ जाती हैं. वहीं कई महिलाएं तो ख्वाजा गरीब नवाज की चौखट पर बैठते ही हाजिरी देने लगती हैं. आखिर धार्मिक स्थलों को कब खोला जाएगा, इसका सभी महिला जायरीन बेसब्री से इंतजार कर रही हैं.
यह है मान्यता
इस दरगाह में एक चमत्कारी पेड़ स्थित है. जिसके बारे में कहा जाता है कि जो महिला इस पेड़ के फल का सेवन करती है वो कभी बेऔलाद नहीं रहती. मान्यता है कि एक बार एक किन्नर ने इस पेड़ के फल का सेवन किया था और चमत्कार हो गया, हुआ ऐसा कि वह किन्नर गर्भवती हो गई उसने एक पुत्र को जन्म दिया था. जो व्यक्ति ख्वाजा मोइनुद्दीन चिस्ती की दरगाह आकर सिर झुकाते हैं उनकी सभी मुरादें पूरी होती हैं. इसलिए साल भर यहां माथा टेकने वालों की लाइनें लगी रहती हैं.
लोगों की मान्यता है कि ख्वाजा शरीफ की दरगाह जाकर लोगों को सुकून की प्राप्ति होती है. उनकी मुरादें पूरी होती हैं और उनको सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं. लेकिन लॉकडाउन की वजह से दरगाह को बंद कर दिया गया था. जो लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी नहीं खोला गया है. ऐसे में सभी जायरीन अरदास लगा रहे हैं कि ख्वाजा का दर उनके लिए खुल जाए.
पिछले तीन महीनों से बंद है दरगाह
दरगाह क्षेत्र में कोरोना संक्रमण के बहुत अधिक मामले सामने आए थे. जिसके बाद ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह को भी आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया. जो अब तक बंद ही है. ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह के खादिमों और दरगाह कमेटी के सदर ने मुख्यमंत्री से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात कर दरगाह को खोलने की बात कही थी. लेकिन राजस्थान सरकार ने अभी तक इसके लिए कोई गाइडलाइन जारी नहीं की है.
सोलखंबा गेट पर बैठी महिलाएं मन्नत का धागा और मन्नत की चिट्टी बांधकर अरदास लगा रही है कि ख्वाजा गरीब नवाज उनकी मनोकामना को पूरी करें और जल्द ही उनका दरबार जायरीनों के लिए खुल जाए.
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महिलाएं बताती हैं कि हर दिन सुबह 5 बजे फजल की नमाज के बाद इस गेट पर बैठ जाती हैं और हाजिरी देती हैं. हालांकि कई महिलाएं देर शाम मगरिब की नमाज तक इस दरबार के बाहर ही बैठी रहती हैं. उनकी आंखों से आंसू निकलते हैं और बस मन में एक ही इच्छा होती है कि आखिर ख्वाजा का दरबार आखिर कब खुलेगा?
800 साल में पहली बार दरगाह हुई बंद
800 सालों में यह दरगाह कभी भी बंद नहीं हुआ था. इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि ख्वाजा का दरबार आम लोगों के लिए बंद किया गया है. लेकिन दरगाह शरीफ में होने वाली रसुमातों को खादिमों पूरी निष्ठा से निभा रहे हैं. वहीं आम लोगों के दरगाह शरीफ में प्रवेश पर पाबंदी लगाई गई है.
3 महीनों तक दरबार नहीं खोले जाने से दरगाह बाजार में स्थित व्यापारियों की भी आर्थिक स्थिति अब धीरे-धीरे खराब हो चुकी है. क्योंकि देश और विदेश से आने वाले जायरीनों पर पूरी तरह रोक होने के चलते उनका भी व्यापार नहीं हो पा रहा है.