अजमेर. रिटायर्ड आईएएस अशफाक हुसैन ने गुरुवार को सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह की प्रबंध कमेटी के नाज़िम का पद संभाल लिया है. अशफाक हुसैन तीसरी बार दरगाह कमेटी के नाजिम बने हैं. उन्होंने इससे पहले प्रशासनिक सेवा में रहते हुए उन्होंने नाजिम का पद संभाला था. लेकिन, इस बार प्रशासनिक सेवा से रिटायर होने के बाद नाजिम के पद पर नियुक्ति मिली है.
पद संभालने के बाद हुसैन ने कहा कि मेरा मकसद दरगाह में आने वाले जायरीन को अधिक से अधिक सहूलियतें उपलब्ध करवाना है. उन्होंने कहा कि वो अजमेर में कई साल तक प्रशासनिक पदों पर रहे. साथ ही नाज़िम के पद पर भी दो बार काम किया, इसलिए उन्हें जायरीन की तकलीफों के बारे में पता है. उन्होंने कहा कि ख्वाजा साहब की दरगाह होने की वजह से ही अजमेर में देश-विदेश से पर्यटक-जायरीन आते हैं. धार्मिक स्थल होने के कारण ही अजमेर का अंतर्राष्ट्रीय महत्व भी है. उन्होंने माना कि दरगाह क्षेत्र के विकास में स्थानीय लोगों का सहयोग भी जरूरी है.
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अशफाक हुसैन ने कहा कि उनका प्रयास होगा कि दरगाह कमेटी और खादिम समुदाय के बीच भी बेहतर तालमेल हो. दरगाह की धार्मिक परंपराओं और रस्मों को निभाने में खादिम समुदाय की ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है. दरगाह कमेटी खादिमों का सहयोग लेकर ही विकास के काम करवाएगी.
गौरतलब है कि दरगाह कमेटी केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधीन काम करती है, इसलिए उनका प्रयास होगा कि केंद्र सरकार द्वारा अजमेर के बनाई गई स्मार्ट सिटी योजना का लाभ भी दरगाह क्षेत्र को मिले. वहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर ही अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने का काम जारी है.
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साथ ही बता दें कि अशफाक हुसैन का पूरा परिवार प्रशासनिक सेवाओं में रहा है. कई रिश्तेदार आईएएस और आईपीएस रहे हैं. मौजूदा समय में भी हुसैन की पुत्री आईआरएस सेवा में हैं. हुसैन के भतीजे शाहीन अली राजस्थान आरएएस एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं. हुसैन के परिवार का राजनीति में भी दखल है.