अजमेर. पूर्व शिक्षा राज्यमंत्री एवं अजमेर उत्तर से विधायक वासुदेव देवनानी ने प्रेस वार्ता में गहलोत सरकार पर जमकर निशाना साधा. देवनानी ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार वीक इसलिए पेपर लीक हुआ है. सरकार रीट परीक्षा 2021 के आयोजन में विफल साबित हुई है.
देवनानी ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार के शासन में इतनी भी परीक्षा हुई है, उनमें पेपर लीक की घटनाएं बढ़ी है. रीट परीक्षा से पहले ही पांच गिरोह के 30 लोगों ने 25 सितंबर को ही यह दावा किया था कि परीक्षा से 1 घंटा पूर्व पेपर लीक कर देंगे. बावजूद इसके सरकार नहीं संभली. सरकार ने उन गिरोह के खिलाफ कोई नियंत्रण नहीं किया. अगले दिन पेपर प्रारंभ होने से 3 घंटे पूर्व पेपर लीक हो गया.
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डेढ़ घंटे पूर्व कॉन्स्टेबल को सवाई माधोपुर के गंगापुर सिटी से पकड़ा उसके पास आंसर की और पेपर दोनों ही था. खास बात यह है कि कांस्टेबल को सवाई माधोपुर से गंगापुर सिटी बुलाया गया था. जबकि सवाई माधोपुर से गंगापुर सिटी आने में एक से डेढ़ घंटा लगता है. इसका मतलब साफ है कि पेपर और आंसर की परीक्षा से 3 घंटे पहले बाहर आई. उन्होंने बताया कि गिरोह के तार कोचिंग इंस्टिट्यूट के साथ जुड़े हुए हैं.
नेता के रिश्तेदारों की कोचिंग..
देवनानी ने सभी नेताओं और उनके रिश्तेदारों की संचालित कोचिंगों की जांच की मांग की. उन्होंने कहा कि गंगापुर सिटी में ज्ञानदीप स्कूल के मान्यता संबंधी सभी दस्तावेज से नाम परिवर्तन करवा कर डीएस साइंस एकेडमी स्कूल प्रारंभ हो रहा है. कांग्रेस शासन में उसकी शिकायत हुई और जांच में दोषी पाया गया. मौके पर ज्ञानदीप स्कूल चलता हुआ पाया गया और डीएस साइंस एकेडमी स्कूल भी चल रही है. स्कूल शिक्षा सचिव ने मान्यता रद्द करने के आदेश जारी किया थे. राजनीति रसूखातों की वजह से स्कूल की मान्यता 2 वर्ष के लिए स्थगित की गई.
जो कंटेनर पलटा, उसके ड्राइवर की हत्या..
इससे साफ है कि इनके हाथ बड़े राजनेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों से मिले हुए हैं. देवनानी ने सवाल उठाते हुए कहा कि दूसरा मुद्दा उस कंटेनर का पलटना जिसने प्रश्नपत्र और ओमारशीट जा रही थी. इस हादसे में ड्राइवर की मौत भी हो गई. चर्चा यह भी है कि ड्राइवर की हत्या की गई है. उन्होंने कहा कि पेपर कंटेनर में जा रहे थे तो उसके साथ पुलिस का एस्कॉर्ट होना चाहिए था. हादसे के बाद पुलिस की कार से पेपर रवाना किए जाते हैं. यह कहीं न कहीं शक गहराता है कि पेपर लीक होने के तार लंबे जुड़े हुए हैं.
बत्तीलाल ही सरगना भी, कांग्रेस कार्यकर्ता भी..
देवनानी ने कहा कि 'कांग्रेस वीक पेपर लीक' वाली बात साबित हो गई है. पेपर लीक मामले में बत्ती राम मीणा को सरगना माना गया है. एसओजी उसको अभी तक गिरफ्तार नहीं कर पाई है. यह भी संदेह होता है कि कहीं एसओजी पर राजनीतिक दबाव तो नहीं है. आरोपी बत्ती लाल मीणा अक्सर कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय में मिलता रहा है. बत्ती लाल मीणा को सवाई माधोपुर के ही एक विधायक अशोक बैरवा ने अपने क्षेत्र के एक स्कूल में अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया था. इससे साफ जाहिर होता है कि बत्ती लाल मीणा कांग्रेस का सक्रिय कार्यकर्ता है.
बत्तीलाल के जारोली से जुड़े हैं तार..
देवनानी ने कहा कि बोर्ड अध्यक्ष डॉ डीपी जारोली ने प्रेस वार्ता में पेपर लीक का उत्तर नहीं दिया. केवल राजनीतिक भाषण करते रहे. डॉ जारोली ने तथ्यों को छोड़कर अनर्गल बातें की. एसओजी मान रही है कि पेपर लीक हुआ है तो ऐसे समय में आरोपी बत्ती लाल मीणा के तार कहां-कहां जुड़े हुए हैं इसकी जांच राज्य की पुलिस नहीं कर सकती. मामले की जांच सीबीआई से करवानी चाहिए. रीट परीक्षा के साढ़े 16 लाख परीक्षार्थी अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं. पेपर लीक के तार निश्चित रूप से सत्ता से जुड़े हुए हैं. डॉ जारोली ने अपने आप को एक कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में प्रदर्शित किया है. इसे साफ लगता है कि सरगना बत्ती लाल मीणा के तार डॉ जारोली से जुड़े हो सकते हैं.
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जारोली का डेढ़ साल में काम जीरो..
देवनानी ने कहा कि डॉ. जारोली का इन डेढ़ वर्षों में कार्य जीरो रहा है. फरवरी 2020 में डॉ जारोली ने पदभार संभाला और मार्च 2020 में कोरोना आ गया. 2 वर्ष परीक्षाएं नहीं हुई. किसी भी बोर्ड अध्यक्ष का मूल्यांकन उसके कार्यकाल में हुए कामों से होता है. परीक्षाओं के लिए विद्यार्थियों ने फीस भरी थी, जिनकी फीस बोर्ड वापस नहीं कर पाया. परीक्षाएं रद्द करने के सवाल पर भी जारोली सरकार का मुंह ताकते रहे. डॉ. जारोली का कार्यकाल शून्य बटा शून्य है. यदि इनको मार्किंग मिले तो शून्य मिलेगा. देवनानी ने कहा कि बोर्ड का यह मुखिया बोर्ड की विश्वसनीयता को पलीता लगाने का कार्य कर रहा है. राज्य सरकार, बोर्ड एवं शिक्षा विभाग रीट परीक्षा 2021 का आयोजन करवाने में विफल हुए हैं.
राजस्थान के किसानों को किसान नहीं मानती प्रियंका
देवनानी ने लखीमपुर में प्रियंका गांधी के जाने को लेकर हुए बवाल पर कहा कि प्रियंका वाड्रा राजस्थान के किसानों को किसान नहीं मानती. हनुमानगढ़ में प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने किसानों पर लाठियां बरसवाई. प्रियंका वाड्रा यदि राजस्थान के किसानों को किसान मान रही होती तो लखीमपुर में नाटक करने की तुलना में अपना जो कांग्रेस शासित राज्य है वहां आकर किसानों का हालचाल पूछती. राजस्थान में कांग्रेस ने किसानों के साथ वादे पूरे नहीं किए. लखीमपुर में भी कॉन्ग्रेस अपनी खोई हुई सियासी जमीन को हासिल करने के लिए नाटक नौटंकी कर रही है. इसको लेकर कांग्रेस ने पूरे राजस्थान में विरोध प्रदर्शन किए, यह केवल अपने नेता के सामने अंक बढ़ाने का प्रदर्शन है.
एमएसपी बढ़ाएं कांग्रेस सरकारें
देवनानी ने कहा कि यदि प्रदेश की कांग्रेस सरकार के मन में किसानों के प्रति हमदर्दी है तो बाजरा की खरीद एमएसपी पर क्यों नहीं बढ़ाती. हरियाणा में बाजरा 22 सौ से 23 सौ रुपए प्रति क्विंटल है. राजस्थान में किसान बाजरे को 11 सौ से 12 सौ रुपये प्रति क्विंटल बेचने को मजबूर हैं. देवनानी ने कहा कि यूपी के लखीमपुर में कांग्रेस किसानों की हत्या के बारे में उठा रही है जबकि किसानों के साथ चार और बीजेपी कार्यकर्ताओं का मर्डर हुआ है. उन कार्यकर्ताओं के बारे में कोई कुछ नहीं बोल रहा है. उनमें एक पत्रकार भी है. इस मामले की जांच हो रही है, दूध का दूध पानी का पानी होगा. लेकिन प्रथम दृष्टया यह लगता है कि वहां जाकर कांग्रेस के नेता अराजकता फैलाने और दंगों को भड़काने का काम कर रहे हैं.
देवनानी ने सीएम गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा कि गहलोत ने योगी और मोदी पर यह टिप्पणी की कि यूपी में लोकतंत्र नहीं है. जबकि लोकतंत्र राजस्थान में नहीं है, यहां विधायकों को डेढ़ महीने बंदी बनाकर रखा गया और उसके बाद खुद बंदी बने रहे. देवनानी ने कहा कि आज भी राजस्थान में स्वतंत्र रूप से लोकतंत्र नहीं है. कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भी भाजपा के नेताओं को मौके पर जाने से रोका गया है. ऐसा सामान्यतः प्रशासनिक व्यवस्था में होता ही है.