अजमेर. गैंगरेप प्रकरण में एफआर लगाने के एवज में परिवादी से 60 हजार रिश्वत लेने के मामले में सीओ दरगाह के रीडर, एक वकील और एलएलबी छात्र को दो दिन रिमांड अवधि पूरी होने पर एसीबी कोर्ट में पेश (Reader, lawyer and broker of CO Dargah presented in ACB court) किया गया है. यहां से आरोपियों को कोर्ट ने 15 दिन के लिए न्यायिक अभिरक्षा भेज दिया है. इधर सीओ पार्थ शर्मा की प्रकरण में भूमिका को लेकर अनुसंधान जारी है.
अजमेर एसीबी ने 7 फरवरी को परिवादी उदयपुर निवासी विनोद कुमार वैष्णव की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए सीओ दरगाह पार्थ शर्मा के रीडर भागचंद रावत को 60 हजार की रिश्वत राशि के साथ उसके परबतपुरा स्थित घर से गिरफ्तार किया था. परिवादी से रीडर भागचंद रावत ने रिश्वत की रकम गंज थाने में ली थी. रात के वक्त अंधेरे का फायदा उठाकर भागचंद थाने के पीछे के गेट से रकम अपनी पैंट की जेब में रखकर भाग गया था. एसीबी रीडर का पीछा करते हुए उसके घर पहुंच गई. पकड़े जाने के डर से भागचंद रावत ने रिश्वत की रकम टॉयलेट की सीट में डाल दी थी.
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एसीबी ने भागचंद की पैंट को बतौर सबूत कब्जे में लिया. साथ ही रिश्वत की रकम भी बरामद कर ली. इस प्रकरण में परिवादी से रिश्वत की डिमांड करने वाला दलाल वकील मनीष शर्मा और उसका साथी एलएलबी छात्र कुशाल राव को भी एसीबी ने गिरफ्तार किया है. एसीबी के मुताबिक आरोपियों ने परिवादी से सीओ दरगाह के नाम से रिश्वत मांगी थी, लेकिन प्रकरण में सीओ दरगाह पार्थ शर्मा का सीधे तौर पर जुड़ाव अभी सामने नहीं आया है.
इसके अलावा उनके खिलाफ कोई सबूत एसीबी को नहीं मिले हैं. एसीबी एएसपी सतनाम सिंह ने बताया कि तीनों आरोपी की रिमांड अवधि पूरी होने पर उन्हें एसीबी कोर्ट में पेश किया गया है. कोर्ट ने तीनों आरोपियों को 15 दिन के लिए न्यायिक अभिरक्षा में भेजा है. सीओ दरगाह पार्थ शर्मा के प्रकरण में संलिप्तता को लेकर जांच की जा रही है. प्रकरण उजागर होने के बाद सीओ दरगाह पार्थ शर्मा को एपीओ किया गया है.